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Kerala State Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 4 Chapter 2 दिशाहीन दिशा (यात्रावृत्त)
दिशाहीन दिशा Text Book Questions and Answers
दिशाहीन दिशा विश्लेषणात्मक प्रश्न
Hsslive Guru 10th Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 1.
घर में चलते समय मन में यात्रा की कोई बनी हुई रूप-रेखा नहीं थी।” – लेखक के इस कथन के आधार पर बताएँ कि किसी यात्रा पर जान से पहले यात्रा की रूप-रेखा बनाना ज़रूरी है?
उत्तर:
किसी यात्रा पर जाने से पहले यात्रा की रूपरेखा बनाना ज़रूरी है। यात्रा तो हम नई जगहों को पहचानने के लिए करते हैं। रूपरेखा बनाने से जगहों की सही जानकारी मिलती है. मसंदीदार जगह बड़ी चाव देख सकते हैं और अन्य जगह छोड भी सकते हैं। हम अपने समय का सही इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
Hss Guru 10 Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 2.
घने शहर की छोटी-सी तंग गली में पैदा हुए लेखक को कन्याकुमारी के विशाल समुद्र-तट के प्रति आत्मीयता का अनुभव होने का आधार क्या हो सकता है?
उत्तर:
नुभवहीन बातों पर ज़्यादा रुचि रखना स्वाभाविक है। विपरीत के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक ही है। किसी तंग गली में जन्म लेने से कन्याकुमारी के विशाल तट में अपनापन का भाव जागृत होगा।
Hss Live Guru 10th Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 3.
‘मगर बात करने की जगह उसने मेरा बिस्तर लपेटकर खिड़की से बाहर फेंक दिया और खुद : मेरा सूटकेस लिए नीचे उतर गया।’ अविनाश के इस आचरण से मोहन राकेश और अविनाश के बीच की मित्रता का क्या अंदाज़ा मिल जाता है?
उत्तर:
मोहन राकेश का एक दिली दोस्त है अविनाश। जब चाहे वह मोहन राकेश के साथ कोई भी आचरण कर सकता है। कुछ भी करने को उसके लिए स्वतंत्रता है। प्रस्तुत आचरण से उनके बीच का धनिष्ठ संबंध का परिचय मिलता है
10th Class Hindi Notes Kerala Syllabus प्रश्ना 4.
‘मगर आप चाहे तो चंद गज़लें तरन्नुम के साथ अर्ज कर सकता हूँ।’ इस कथन से आम जनता के साथ गज़लों के रिश्ते का क्या परिचय मिलता है?
उत्तर:
आम जनता गज़लों से खूब परिचित थे। गज़ल आम जनता की ही कविता है। वे उसे गाते रहते हैं। क्योंकि उतनी मार्मिकता उसमें है। इसलिए बूढ़ा मल्लाह अब्दुल जब्बार भी शायर गालिब से परिचित थे। गायक न होते हुए भी मल्लाह कुछ गज़लें पेश करने को तैयार भी हुआ।
10th Hindi Notes Kerala Syllabus प्रश्ना 5.
‘उसके खामोश हो जाने से सारा वातावरण ही बदल गया।’ – इससे आपने क्या समझा?
उत्तर:
बूढ़ा मल्लाह झूम-झूमकर गज़ल गा रहा था। लेखक और मित्र भी उसके गायन में विलीन हो गए। उसका गला काफ़ी अच्छा था, सुनाने का अंदाज़ा भी शायराना था। गाते समय रात, सर्दी, नाव का हिलना इन सबका अनुभव नहीं हो रहा था। अब होने लगा। झील का विस्तार भी उतनी देर के लिए सिमट गया था, अब खुल गया।
दिशाहीन दिशा Text Book Activities & Answers
Hsslive Guru Hindi 10 Kerala Syllabus प्रश्ना 1.
संबंध पहचाने, सही मिलान करें।
मोहन राकेश की बड़ी इच्छा थी | कि वहाँ जीवन बहुत सस्ता है। |
समय और साधन की कमी से | मोहन राकेश ने यात्रा करने का निश्चय किया। |
हाथ में पैसा आने पर | कि कन्याकुमारी चला जाऊँ |
मोहन राकेश ने पहले सोचा था | कि समुद्र तट का सफ़र करें। |
गोआ इसलिए हम जा सकते हैं | मोहन राकेश समुद्र तट की यात्रा न कर सके। |
उत्तर:
मोहन राकेश की बड़ी इच्छा थी | कि समुद्र तट का सफर करें। |
समय और साधन की कमी से | मोहन राकेश समुद्र तट की यात्रा न कर सके। |
हाथ में पैसा आने पर | मोहन राकेश ने यात्रा करने का निश्चय किया। |
मोहन राकेश ने पहले सोचा था | कि कन्याकुमारी चला जाऊँ |
गोआ इसलिए हम जा सकते हैं | कि वहाँ जीवन बहुत सस्ता है। |
Hsslive 10th Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 2.
पढ़ें, यात्रावृत्त के आधार पर उचित वाक्यों पर सही का निशान ✓ लगाएँ।
उत्तर:
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Notes प्रश्ना 3.
भोपाल ताल में अब्दुल जब्बार और अविनाश के साथ की सैर मोहन राकेश के लिए मज़ेदार थी। वे अपने अविस्मरणीय अनुभव दफ्तर के एक मित्र से बाँटना चाहते हैं। भोपाल ताल की सैर के अनुभवों का ज़िक्र करते हुए मित्र के नाम मोहन राकेश का पत्र लिखें।
उत्तर:
भोपाल,
30-12-1952
प्रिय जयप्रकाशजी,
आप कैसे हैं? दफ़्तर में सब कुशल है न? कुछ बातें आपसे बाँटना चाहता हूँ। सोचा कि एक चिट्ठी लिखू। अब मैं भोपाल में हूँ। मुंबई के रास्ते में था। डिब्बे में सोने के लिए सीट भी मिली थी। लेकिन रात आई तो मैं भोपाल ताल की एक नाव में लेटा बुढ़े मल्लाह अब्दुल जब्बार से गज़लें सुन रहा था।
भोपाल स्टेशन पर मित्र अविनाश ने मुझसे मिलने आया था। बात करने की जगह उसने मेरा बिस्तर लपेटकर खिड़की से बाहर फेंक दिया और खुद मेरा सूटकेस लिए हुए नीचे उतरा। रात ग्यारह बजे के बाद हम लोग घूमने निकले। जब भोपाल ताल के पास आया तो मन लगा कि नाव लेकर कुछ देर तक झील की सैर करें। अचानक अविनाश ने कहा कि कितना अच्छा होता अगर इस वक्त हम में से कोई कुछ गा सकता। हमारी नाव का मल्लाह अब्दुल जब्बार गायक तो नहीं, मगर उसने कुछ गज़लें तरन्नम के साथ पेश किया। उसका गला अच्छा था। सुनाने का अंदाज़ भी शायराना था। एक के बाद दूसरी फिर तीसरी। हम दोनों उसके गायन में विलीन हो गए थे। जब वह खामोश हो गया तो वातावरण ही बदल गया। रात, सर्दी का नाव का हिलना सबका अनुभव पहले नहीं हो रहा था, अब होने लगा। फिर उससे गालिब की गज़लें सुनाया गया। भोपाल-ताल की सैर मज़ेदार था, दिल को छूनेवाली थी। दफ्तर में सबको मेरा नमस्कार कहना। बाकी सब अगले पत्र में। तुरंत ही जवाबी पत्र की प्रतीक्षा करते हुए।
Hss Live Guru Hindi 10 Kerala Syllabus प्रश्ना 4.
पश्चिमी-तट की यात्रा निश्चय ही अवाच्य अनुभूति प्रदान करेगी। गोआ काफ़ी सुंदर जगह है। वहाँ की विशेषताओं को ध्यान में रखकर एक विवरणिका (ब्रॉशर) तैयार करें।
उत्तर:
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Guide प्रश्ना 5.
चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
बूढ़े मल्लाह ने एक गज़ल छेड़ दी। उसका गला काफ़ी अच्छा था और सुनाने का अंदाज़ | भी शायराना था। काफ़ी देर चप्पुओं को छोड़े वह झूम-झूमकर गज़लें सुनाता रहा।
‘दिशाहीन दिशाट के अब्दुल जब्बार का व्यक्तित्व बड़ा प्रभावशाली है। ये संकेत पढ़ें और अब्दुल जब्बार के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
1. गरीब
2. परिश्रमी .
3. खुशमिज़ाज .
4. सादा जीवन बितानेवाला
5. विनयशील .
6. गज़ल गायक
उत्तर:
गज़ल गायक – अब्दुलजब्बार
मोहनराकेश का यात्राविवरण ‘दिशाहीन दिशा’ के एक प्रभावशाली व्यक्ति है बूढ़ा मल्लाह श्री अब्दुल जब्बार । भोपाल-ताल की सैर में लेखक और मित्र का उनका परिचय होता है। हमेशा खुशमिज़ाज दिखाई पडनेवाला और सादा जीवन बितानेवाला था। दाढ़ी के ही नहीं छाति के भी बाल सफेद हो चुके थे। सर्दी के मौसम में भि सिर्फ तहमद लगाए आया था। भोपाल-ताल का नाविक अब्दुलजब्बार रात -दिन मेहनत करता रहता है। जब वह चप्पू चलाने लगता तो उसकी मांसपेशियाँ इस तरह हिलती जैसे उनमें फौलाद भरा हो । जब अविनाश गाने का आग्रह प्रकट किया तो बिना हिचक के तीन गज़लें छेड देता है। उसका गला काफ़ी अच्छा था। गज़लों से वह इतना परिचित था कि सुनाने का अंदाज़ भी शायराना था। कभी कभी नाव खोते समय चप्पुओं को छाड़े झूम-झूमकर गज़लें सुनाता था। असल में जब उसने गज़ले समाप्त की, वातावरण ही बदल गया था। अविनाश के अनुसार गालिब की चीज़ पेश करने को कहता है, तुरंत ही बिना एतराज के विनय के साथ गज़लें गाने लगा। मोटे तौर पर वह खुशमिज़ाज, विनयशील गरीब गज़लगायक अब्दुल जब्बार लेखक और मित्र के लिए उस रात अविस्मरणीय पात्र रहा।
10th Standard Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 6.
इंन शब्दों पर ध्यान दें :
मुझे | हमने |
उसमें | उसकी |
इनका | मुझसे |
उसने | किसका |
इनके मूल शब्दों को पहचानें और परिवर्तन के कारण पर चर्च करें।
उत्तर:
मुझे — मैं
हमने — हम
उसमें — वह
उसकी — वह
इनका — ये
मुझसे — मैं
उसने — वह
किसका — कौन
मैं, हम, वह, ये, कौन आदि हिंदी के सर्वनाम है।
इन सर्वनाम के साथ कुछ प्रत्य लगाने से उपयुक्त शब्द मिलता है। इन्हें सर्वनाम का रूपांतरण कहते हैं। उदाहरण के लिए ‘मैं’ के साथ ‘को’ प्रत्यय लगाने से ‘मुझे’ या ‘मुझको’ शब्द मिलता है। मैं, हम, तू, तुम, आप, यह, ये, वह,वे, जो, कौन, कोई आदि हिंदी के सर्वनाम हैं।
Hindi Notes 10th Class Kerala Syllabus प्रश्ना 7.
नमूने के अनुसार वाक्यों को बदलकर लिखें, अर्थ-भेद भी समझें।
उत्तर:
Standard 10 Hindi Kerala Syllabus प्रश्ना 8.
मान लें आप दिसंबर की छुट्टियों में दिल्ली जा रहे हैं। इसके लिए क्या-क्या पूर्व तैयारियाँ करेंगे। इस चार्ट की पूर्ति करें।
उत्तर:
दिशाहीन दिशा Additional Questions and Answers
10th Standard Hindi Meaning Kerala Syllabus प्रश्ना 1.
‘तीसरी गज़ल सुनकर वह खामोश हो गया। उसके खामोश हो जाने से सारा वातावरण ही बदल गया।’ बूढ़े मल्लाह अब्दुल जब्बार के साथ हुई भोपाल-ताल की सैर के बारे में लेखक अपनी डायरी में कुछ लिखते है। वह डायरी तैयार करें।
26 दिसंबर 1952.
कल जो भोपाल- ताल की यात्रा करने का मन हुआ वह अविस्मरणीय रहा। रात साढ़े ग्यारह बजे मैं अविनाश के साथ भोपाल-ताल पर यात्रा की। हमारा मल्लाह अब्दुलजब्बार नामक एक बूढ़ा था। वह बहुत खुशमिज़ाज नज़र आया। अविनाश के आग्रह प्रकट करते ही उसने तीन गज़लें छेड़ दी। वाह ! हम उसपर विलीन हो गए थे। रात, सर्दी एवं नाव के हिलने का अंदाज़ा पहले नहीं हुआ था। झील का विस्तार भी गाते समय सिमट गया था। उसका गला काफ़ी अच्छा था। सुनाने का अंदाज़ भी शायराना था। नाव चलाने का बीच काफ़ी देर चप्पुओं को छोडे वह झूम -झूमकर गज़लें सुनाता रहा। तेज़ गर्मी में भी बेचारा सिर्फ एक तहमद लगाए बैठा था। जब वह चप्पू चलाने लगता तो उसकी मांसपेशियाँ इस तरह हिल्ती जैसे उनमें फौलाद भरा हो। मैं और अविनाश उसके गज़ल गायन में इतना विलीन हो गए थे कि लौट जाने की बात ही नहीं सोचा था। आगे उसने गालिब की गज़ल पैश की – “मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए……”! आहा! क्या बात है! यह दुनीया ही कुछ और है।
Hsslive Hindi 10th Kerala Syllabus प्रश्ना 2.
रात को ग्यारह के बाद हम घूमने निकले। भोपाल ताल के पास पहूँचे तो मन हो आया कि नाव लेकर कुछ देर झील की सैर की जाए। प्रस्तुत घटना को लेकर पटकथा का एक दृश्य लिखें।
दृश्य।:
दृश्य का विवरणः
(भोपाल ताल में नाव खोते हुए एक बूढ़ा मल्लाह नज़र आ रहा है। नाव में मोहनराकेश और मित्र अविनाश है। मोहनराकेश लेटे हुए है। मल्लाह सिर्फ तहमद पहना हुआ है। कडी सर्दी है। अविनाश गज़ल गाने का आग्रह प्रकट करता है। बूढ़ा मल्लाह गाने की धुन में है)
मोहनराकेश : बडी सुहानी रात है, कडी सर्द भी है।
अविनाश : हाँ, अगर हममें से कोई इस वक्त कोई गाना पेश करें तो कितना अच्छा होता।
अब्दुलजब्बार : मैं गा तो नहीं सकता, हुजूर ।
अविनाश : फिर भी कुछ प्रयास करें।
अब्दुलजब्बार : कुछ गज़लें तरन्नुम के साथ पेश करने का प्रयास करूँ?
मोहनराकेश
और अविनाश : (एकसाथ) ज़रूर, ज़रूर ।
(बूढा मल्लाह ताल- लय के साथ गज़लें गाने लगता है।)
दिशाहीन दिशा Summary in Malayalam and Translation
दिशाहीन दिशा शब्दार्थ