Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता)

हाइकू (Text Book Page No. 78-81)

मेरी खोज

प्रश्न 1.
हाइकु हाइकू का मूलभाव क्या है?
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 1
उत्तर:

  1. माँ का प्यार सबसे महत्तर हैं। किसी भी हालत में माँ अपने बच्चे को नहीं छोड़ता।
  2. हमारा मन ही सुख और दुख देता है। सुख-सुविधाओं से नहीं मन की खुशी से आनंत मिलेगा।
  3. जीवन के हरएक अवस्थाओं को पहचानकर हमें जीना होगा। परिवर्तन प्रकृति का तत्व हैं।
  4. प्रकृति और मानव के बीच का संबंध अटूट हैं। जीवन प्रदान करना हर व्यक्ति या वस्तु के धर्म हैं।
  5. प्यार सबसे सुदृढ संबंध हैं। वह हमेशा कायम रहेगा।
  6. जीवन में सच्ची रस को प्राप्त करने के लिए विविध अनुभवों से गुसरना ही चाहिए। सुख-दुःख के मिश्रण है जीवन।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
प्रत्येक हाइकु की आस्वादन टिप्पणी तैयार करें।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 2
उत्तर:
1. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं।
आकाश में गूंज और आँधी होने से पक्षियों के । नीड़ नीछे गिरते हैं। शिशु पक्षि उड़ नहीं सकता। माँ बच्चों के पास ही रहती है – छोडकर जाते नहीं। जितने ही बड़ी विपत्ति पड़े, माँ अपने बच्चे को छोड़कर नहीं जाएगा। माँ का प्यार इतना बड़ा है और गहरा है। सामाजिक सच्चाई को यहाँ दिखाया गया है।

2. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। भाद्रपद महीना शोभा देने लगा। यानी बहुत अच्छा मौसम है। लेकिन विरहिणी का जीवन सूखा ही हैं। मौसम बदलने से उसके जीवन में किसी भी प्रकार के अंतर नहीं होता हैं। हमारे जीवन में प्रिय-जन न होते तो जीवन दुःखपूर्ण हो जाते हैं। मौसम कितने ही अच्छा हो, जितने ही सुखसुविधायें हो – लेकिन हम अकेले है तो सुख नहीं मिलेगा। विरह की व्यथा हमेशा दुःख ही देगा।

3. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह माने या माने मेहमान के रूप में बुढापा आयेगा। अर्थात बुढापे को निमन्त्रण (invite) करने की ज़रूरत नहीं हैं। परिवर्तन धरती की हकीकत हैं। शैशव से लेकर बुढापा तक परिवर्तन के साथ हम जीवन बिताते हैं। बुढापा किसी भी व्यक्ति को पसंद नहीं, लेकिन समय के अनुसार हर व्यक्ति बुढापे की ओर जाएगा, हमें जीवन के सभी अवस्थाओं को स्वीकार करना होगा।

4. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। वर्षा ऋतु धन्य हैं, क्योंकि पानी जीवनदायिनी हैं। खेतों में नये जीवन की कविताएँ बोनेवाले किसान के कारण वर्षा धन्य हो जाते हैं। कविता यानी भोजन हर व्यक्ति के जीवन केलिए अनिवार्य है। प्रकृति के कारण हमारा जीवन संपन्न हो रहा हैं। प्रकृति और मानव के बाच की रिश्ता इतना अटूट है। किसान लोग तन-तोड़ मेहनत करके दूसरों केलिए भोजन तैयार करते हैं। जीवन को कायम रखने केलिए पानी और भोजन अनिवार्य हैं।

5. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। बाग में फूल खिलने पर तुझे याद आती हैं। हर सुंदर वस्तु में प्रियतम की यात आती है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल एक दूसरे की इंतज़ार में है। हर वस्तु में एक दूसरे की याद आती हैं। क्योंकि प्रेम कभी भी मुरझाता नहीं, एक-दूसरे से अलग होने पर भी वह एक दूसरे से अलग नहीं है। प्रेम की शक्ति को यहाँ दिखाते हैं।

6. श्री भागवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को प्रमुख स्थान दिलानेवाला हैं। ‘इन्द्रधनुष’ आपका हाइकू संग्रह हैं। जिनको दर्द का अहसास नहीं हुआ है, उसे आँसू का मूल्य नहीं मालूम, आँसू और ओस देखने में एक समान है। लेकिन दोनों के पीछे की यथार्थ अलग है। दुख जीवन की हकीकत है, वेदना ही हमें पवित्र बनाएगा। रोने के बाद हमें शांती मिलते हैं। सुख का आनंद को समझने के लिए दुःख महसूस करना चाहिए। अन्यथा जीवन व्यर्थ हो जाएगा।

प्रश्न 2.
हाइकू कविताओं का संकलन करें।
उत्तर:
1. यह जीवन
किस तरह बाँचूँ
कोरा कागज़।

2. मन कागज़
छोड़ा दूर गगन
बना पतंग।

3. जीवन-गाथा
लिखी आँसू की स्याही
न बाँची जाए।

4. है व्यर्थ कथा
उतरी कागज़ पे
टूटी कलम।

5. लिख दे मृत्यु
अंतिम सुनवाई
तोड़ कलम।

6. सहमे पेड़
तूफानों से कहते-
हमें छोड़ दो।

7. डालियाँ झुकीं
बहती धाराओं पे
पीने को पानी।

8. पीर पराई
बेदिल की आँख में
नही समाई।

9. नैनों का नीर
किसी को न दिखाना
पीते रहना।

10. दुःख समझे
वही जो दुःख पाए
और क्या जाने।

11. उलझे रहै
जीवन की रस्मों में
जी ही न पाए।

12. बाँधे पाश में
उलझन सर्पिणी
ईश पुकारूँ!

13. बढ़े इच्छाएँ
मन को उलझाएँ
राह न पाएँ।

14. जकड़े रहे
कर्तव्य का पिंजरा
मन बौराए।

15. क्यों उलझन
बाँधा है जब स्वयं
अपना मन।

16. कैसी ये पीर
उला- सा जीवन
बहे है नीर।

17. रोएँ-हँसाएँ
जीवन् संग खेलें
ये उलझने।

18. जब भी खोलूँ
उलझती ही जाएँ
जीवन-गाँठे।

19. हुई बेमानी
उलझनों से भरी
ये जिंदगानी।

20. जीवन-नैया
फँसी भँवर-जाल
तू दे निकाल।

21. सखियाँ बनी
शैतान. उलझनें
साथ ना छोड़ें।

22. रोएँ-रूलाएँ
चिढ़ाके बाग जाएँ
यूँ उलझाएँ।

23. बहुत हुई
अब कशमकश
छोड़ो भी बस।

24. कभी सुलझी
कभी उलझी रही
जीवन-डोर।

25. रस्मों के गाँव
उलझ गए मेरे
भावों के पाँव।

Plus Two Hindi हाइकू Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
सूचनाः निम्नलिखित हाईकू पढ़ें।
धन्य है वर्षा
खेतों में कविताएँ
बोते किसान।
हाईकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
श्री भगवतशरण अग्रवाल हिंदी के एक प्रमुख हाइकू कवि है। प्रस्तुत हाइकू में कवि प्रकृति और मानव के अटूट संबंध के बारे में कहते हैं। जीवन प्रदान करना हर व्यक्ति या वस्तु का धर्म है। वर्षा ऋतु धन्य है क्योंकि पानी जीवनदायिनि है, खेतों में नये जीवन की कविताएँ बानेवाले किसान के कारण वर्षा धन्य हो जाते है। कविता या भोजन हर व्यक्ति के जीवन केलिए आवश्यक है।

प्रश्न 2.
सूचनाः हाईकू पढ़ें।
जब भी कोई
फूल खिला बाग में
तूं याद आया।
हाइकू का भावार्थ लिखे।
उत्तर:
प्रसिद्ध हाइकू कवि श्री भगवतचरण अग्रवाल की एक प्रसिद्ध हाइकू है यह।
बाग में फूल खिलने पर तुझे याद आती है। हर सुंदर वस्तु में प्रियतम की याद आती है, यानि प्रेमी-प्रेमिका के दिल एक दूसरे की इंतज़ार में है, हर वस्तु में एक दूसरे की याद आती है क्योंकि प्रेम कभी भी मुरझाता नहीं, एक-दूसरे से अलग होने पर भी वह एक दूसरे से अलग – नहीं है। प्रेम की शक्ति असीम हैं।

प्रश्न 3.
यह हाइकू पढ़ें।
भादों सरर्स
पर विरहिणी का
सूखा आँगन।
हाइकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवतशरण अग्रवाल का काफी योगदान है। उनकी हाइकू संग्ह का नाम है ‘इन्द्रधनुष”। प्रस्तुत हाइकू इससे ली गयी है।

विरहिणी की पीड़ा का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं सुख भरे भाद्रपद महीने में भी विरहिणी का मन अपने प्रिय की चिंता से रूखा-सूखा रहता है। सुख-सुविधाएँ जितनी भी हो, विरहिणी के लिए सब निरर्थक है। अपने प्रिय के बिना वह खुश नहीं रह सकती। प्रिय के बिना उसके लिए सब कुछ निरर्थक एवं अधूरा लगता है। कम शब्दों में बड़ी बातें कहने की क्षमता प्रत्येक हाइकू में है। हाइकू साहित्य की यही सबसे बड़ी विशेषता है। प्रस्तुत हाइकू इसका सशक्त उदाहरण है।

प्रश्न 4.
सूचनाः निम्नलिखित हाईकू पढ़ें।
मान न मान
मैं तेरा मेहमान
बने बूढापा
हाईकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हिन्दी साहित्य जगत में हाइकू को अगल पहचान दिलाने में श्रेष्ठ है श्री भगवत शरण अग्रवाल। प्रस्तुत हाइकू उनका काव्य संग्रह “इंद्रधनुष” से लिया गया है। हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता है। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हरेक को उसे स्वीकारना पडेगा। प्रत्येक हाइकू अपने में पूर्ण है। यही हाइकू की विशेषता है।

प्रश्न 5.
सूचना : निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
धन्य है वर्षा
खेतों में कवितायें
बोते किसान
हाइकू का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
श्री भगवतशरण अग्रवाल हिंदी काव्य जगत में हाइको को प्रमुख स्थान दिलानेवाला है। इन्द्रधनुष आपका हाइकू संग्रह है।

इस हाइकू में प्रकृति और मनुष्य का उपजाऊ रूप दिखाने का कोशिश किया है। वर्षा ऋतु धन्य है, क्योंकि पानी जीवनदायिनी है। खेतों में तनतोड़ मेहनत करके नये जीवन के लिए खेती करनेवाले किसान भी धन्य हैं। कविता यहाँ भोजन के पर्यायवादी शब्द बनते हैं। कवि कविता के ज़रिये नये नये विचार प्रकट करते हैं। किसान खेती करके वर्षा को भी धन्य बना देता है।

प्रश्न 6.
सूचनाः निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
मान न मान
मैं तेरा मेहमान
बने बुढ़ापा
हाइकू कविता का भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हाइकू एक विशेष काव्य-शैली है। जापानी कविता से प्रेरणा पाकर ही हिन्दी में भी हाइकू का उदय हुआ। हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवत शरण अग्रवाल का विशेष योगदान रहा है। ‘इन्द्रधनुष’ उनका प्रसिद्ध हाइकू संग्रह है। बुढ़ापे के बारे में कवि कहते हैं – हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता है। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हर व्यक्ति को उसे मानना ही पड़ता है। अर्थात् एक न एक दिन हर व्यक्ति बूढ़ा हो जाएगा। बुढापे के बारे में कवि ने यहाँ कहा गया है। प्रत्येक हाइकू अपने आप में पूर्ण एवं गरिमामय है।

प्रश्न 7.
सूचनाः निम्नलिखित हाइकू पढ़ें।
जब भी कोई
फूल खिला बाग में
तू याद आया।
हाइकू कविता की विशेषताओं का परिचय देते हुए भावार्थ लिखें।
उत्तर:
हाइकू एक विशेष काव्य-शैली है। जापानी कविता से। प्रेरणा पाकर ही हिन्दी में भी हाइकू का उदय हुआ। हिंदी काव्य जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में श्री भगवत शरण अग्रवाल का विशेष योगदान रहा है। ‘इन्द्रधनुष’ उनका प्रसिद्ध हाइकू संग्रह है।

प्रेम की महिमा का गायन करते हुए कवि कहते हैं – प्रेम कभी नहीं मुरझाता है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल में हमेशा यादें बनी रहती है। प्रत्येक फूल के खिलने में प्रेमी को प्रेमिका की याद आती है। प्रेम की गरिमा यहाँ व्यक्त की गयी है। प्रत्येक हाइकू अपने आप में पूर्ण एवं गारिमामय है।

हाइकू Profile

भगवतशरण अग्रवाल का जन्म 1930 को उत्तरप्रदेश के बरेली में हुआ। वे गुजरात विश्वविद्यालय के निदेशक थे। हिंदी काव्य-जगत में हाइकू को एक अलग पहचान दिलाने में उनका काफी योगदान रहा। अपनी साहित्य सेवा के लिए वे अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। इंद्रधनुष’ उनका प्रमुख हाइकू संग्रह है।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 3
– भगवतशरण अग्रवाल
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 4

हाइकू Summary in Malayalam

हाइकू Summary in Malayalam 1

हाइकू Glossary

हाइकू – 1

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 5
प्रकृति के प्रकोपों के कारण कभी पेडों से नीड़ नीचे गिरते हैं, परंतु नीचे गिरे बच्चों को छोड़कर उनकी माँ भाग नहीं जाती। माँ की ममता अतुलनीय है।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 6

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 7

हाइकू – 2

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 8
विरहिणी की जीवनगाथा आहों और पीड़ाओं की है। पति के दूर होने से सूख भरे मौसमों में भी उसका मन हमेशा सूखा – सूखा रहता है।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 9

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 10

हाइकू – 3

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 11
हर व्यक्ति बुढापे को अपना दुश्मन मानता हैं। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हरेक को उसे स्वीकारना पड़ेगा।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 12

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 13

हाइकू – 4

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 14
वर्षा जीवनदाता है, तन-तोड़ मेहनत करके खेतों में नये जीवन की कविताएँ खिलाने या बोनेवाले किसान के कारण वह धन्य हो जाती है।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 15

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 16

हाइकू – 5

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 17
प्रेम कभी नहीं मुरझाता है। प्रेमी-प्रेमिका के दिल में हमेशा यादें हरा रहती हैं।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 18

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 19

हाइकू – 6

शब्दार्थ
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 20
वेदना मन को पवित्र बनाती है, वेदना के कारण खुशी और प्यार का महत्व बनता है, जो इसे पहचानते नहीं, उसके सामने आँसू का कोई मूल्य नहीं होता ।
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 21

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 4 हाइकू (कविता) 22

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 2 सपने का भी हक नहीं (कविता)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 2 सपने का भी हक नहीं Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 2 सपने का भी हक नहीं (कविता)

सपने का भी हक नहीं (Text Book Page No. 65-67)

मेरी खोज

प्रश्न 1.
मगर नींद के टूटने के पूर्व ही नोटीस बैंक की आ धमकी सपने में। कवि यहाँ किस सामाजिक सच्चाई की ओर इशारा करते हैं?
उत्तर:
गरीब लोग बैंक से कर्ज लेते हैं और उसका भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं। अंत में बैंक से आनेवाली नोटीस की भीषणता में जीने के लिए वे विवश हो जाते हैं। कविता यही सामजिक सच्चाई की ओर प्रकाश डालती है।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
कविता की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
हिंदीतर प्रदेशों के लेखकों में डॉ.जे बाबू का महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है ‘मुक्तधारा’, ‘उलझन आदि। “सपने का भी हक नहीं’ उनकी एक महत्वपूर्ण कविता है। इसमें साधारण से साधारण एक मज़दूरिन की अवस्था का चित्रण है।

एक कमरेवाली झोंपड़ी में रहनेवाली गरीब मज़दूरिन सपने में लीन हो जाती है। सपने में अब वह एक विशाल घर में सो रही है। दो मंज़िलवाली अपने घर में बहुत सारे कमरे हैं। खाने, पीने, सोने से लेकर बैठक, रसोई और पूजा के लिए भी अलग-अलग कमरे हैं। नये घर की छत काँक्रीट की है, दीवार और खिड़की के रंग भी उसने तय किया है। ग्राइन्टर, फ्रिड्ज और मैक्रोवेव सभी से युक्त रसोई अत्यंत शानदार लग रहा है। मगर अचानक सपने में ही एक डरावनी सच्चाई उसके आगे बैंक के नोटीस के रूप में आ धमती है। इसके साथ साथ असकी सारे सपने छिन्न-भिन्न हो जाती है और जाग जाती है।

प्रस्तुत कविता में डॉ.जे बाबू ने एक कड़वी सच्चाई को , यहाँ प्रस्तुत किया है। कवि कह रहे हैं आज के उदारतावादी समाज में साधारण गरीबों को सने का भी हक नहीं है, सपने में भी जीवन की भीषणता और उसके ऊपर लादे कर्ज से वे मुक्त नहीं है। वे चैन से सपना भी नहीं देख सकते। कविता यही सामजिक सच्चाई की ओर प्रकाश डालती है।

Plus Two Hindi सपने का भी हक नहीं (कविता) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
“मगर नींद के खुलने के पूर्व ही नोटिस बैंक की आ धमकी सपने में।” – इस सपने के बारे में युवती.अपनी सहेली को एक पत्र लिखती है। वह पत्र तैयार करें।

  • झोंपड़ी में रहकर महल का सपना देखने वाली मज़दूरिन ।
  • सामाजिक सच्चाई का कठोर यथार्थ।
  • सपना देखना भी डरावना बन जाना।

उत्तर:

इलाहाबाद
18.03.2016

प्यारी सीमा,
ईश्वर की असीम अनुकंपा से मैं यहां खुश हूँ। मेरा विश्वास है तुम भी वहाँ खूश होगी। तुम्हें एक पत्र लिखने के बारे में कई दिनों से मैं सोच रहा हूँ। लेकिन अभी समय मिला है।

एक खास बात बताने के लिए ही मैं यह पग लिख रहा हूँ। हम गरीबों की हालत कभी भी युधारेगी नहीं। कितनी सालों से यह झोंपड़ी में रह रही हूँ। कई महलों में मज़दूरिन बनकर काम कर रही भी हूँ। शायद इसीलिए ही आज मैं ने ऐसा एक सपना देखा जिसमें मैं नया घर बनवा रही हूँ। लेकिन क्या करूँ मित्र, मकान तो पूरा नहीं हो गया और सपने में ही बैंक से नोटिस आ गयी। हम गरीबों का हाल सुधरेगा ही नहीं। हमें सपने देखने का भी हक नहीं है।

मित्र, अपनी लाचारी के कारण ही मैं यह पत्र लिख रही हूँ। इतना लिखकर मैं यह पत्र समाप्त कर रही हूँ। घरवालों से मेरा प्यार और प्रणाम कहना। जवाबी पत्र की प्रतीक्षा में……..

तुम्हारी मित्र,
राधा
(हस्ताक्षर)

सूचनाः
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“इक कमरेवाली झोपड़ी में
बच्चों के सो जाने पर
मैं अपनी मन-दीवार पर
अपना विस्तृत घर खींचने लगी।
खाने-पीने-सोने के
अलग-अलग कमरे,
रसोई यदि बूठक के
निकट रखती तो
पूजा का कमरा कहाँ होगा?”

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पंक्तियाँ किस कविता का अंश है?
(मातृभूमि, सपने का भी हक नहीं, आदमी का चेहरा)
उत्तरः
सपने का भी हक नहीं।

प्रश्न 2.
स्त्री अपना विस्तृत घर कहाँ खींचने लगी?
उत्तरः
स्त्री के मन दीवार पर |

प्रश्न 3.
स्त्री अपने घर में कौन-कौन से कमरे बनवाना चाहती है?
उत्तरः
स्त्री अपने घर में खाने-पीने-सोने के कमरे, रसोई और पूजा का कमरा बनवाना चाहती है।

प्रश्न 4.
हिंदीतर भाषी कविता की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कवितांश की असावादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
हिंदीतर भाषी कवियों में डॉ जे बाबू का महत्वपूर्ण स्थान है। ‘सपने का भी हक नही’ उनकी एक महत्वपूर्ण कविता है। इसमें एक साधारण मजदूरिन की अवस्था का सच्चा चित्रण है।

एक करमेवाली झोंपडी में रहनेवाली गरीब मज़दूरिन नए घर की सपने में लीन हो जाती है। दो मंजिलेंवाली उसकी घर में बहुत सारे कमरे हैं। खाने, पीने, सोने से लेकर बैठक, रसोई और पूजा के लिए भी अलग-अलग कमरे हैं। गरीब मजदूरिन की सपने के माध्यम से एक कड़वी सामाजिक सच्चाई की प्रस्तुति यहाँ हुई है। कवि यह बताना चाहते हैं कि आज के उदारतावादी समाज में साधारण गरीबों को सपने का भी हक नहीं है। जीवन की भीषणता सपने में भी उसके आगे साकार होकर उठी है। वे चैन से सो भी नहीं सकते और सपना भी नहीं देख सकते हैं। यही सामाजिक सच्चाई की ओर यह कविता इशारा करती है।

सूचनाः
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
काँक्रीट की छत के
नीचे पीले रंग की
दीवारों के मध्य में
खिड़की-दरवाज़े सब रख दिए।
संगमरमर की चमक
ज़मीन पर; उस चमक पर
चमकती मेज़-कुरसियाँ
टी.वी, होम थियेटर बैठक में भाते।

प्रश्न 5.
यह कविता किसकी है?
(कुँवर नारायण, डॉ.जे.बाबु, मैथिलीशरण गुप्त)
उत्तरः
डॉ.जे.बाबु

प्रश्न 6.
खिड़की-दरवाज़े कहाँ है?
उत्तरः
खिड़की-दरवाज़े दीवारों के मध्य में है।

प्रश्न 7.
दीवारों का रंग क्या है?
उत्तरः
दीवारों का रंग पीला है।

प्रश्न 8.
ज़मीन पर किसकी चमक है?
उत्तरः
ज़मीन पर संगमरमर की चमक है।

प्रश्न 9.
बैठक की शोभा बढ़ानेवाली चीजें क्या-क्या हैं?
उत्तरः
मेज़-कुरसी, टी.वी, होम थियेटर आदि बैठक की शोभा बढ़ानेवाली चीजें हैं।

प्रश्न 10.
कवितांश की अस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
हिंदीतर भाषी कवियों में डॉ जे बाबू का महत्वपूर्ण स्थान है। ‘सपने का भी हक नही’ उनकी एक महत्वपूर्ण कविता है। इसमें एक साधारण मज़दूरिन की अवस्था का सच्चा चित्रण है।

सपने में बनाई घर की छत काँक्रीट की है। घर के दीवार और खिड़की के रंग भी उसने तय किया है। चमकती संगमरमर से बनी ज़मीन के ऊपर घर की शोभा और शान बढ़ाने के लिए मेज़, कुरसी, होम थियेटर आदि सब कुछ है। आधुनिक सभी सुविधाओं से युक्त घर की सपना वह देखती है।

गरीब मज़दूरिन की सपने के माध्यम से एक कड़वी सामाजिक सच्चाई की प्रस्तुति यहाँ हुई है। कवि यह बताना चाहते हैं कि आज के उदारतावादी समाज में साधारण गरीबों को सपने का भी हक नहीं है। जीवन की भीषणता सपने में भी उसके आगे साकार हो उठे हैं। वे चैन से सपना भी नहीं देख सकते हैं। यही सामाजिक सच्चाई की ओर यह कविता इशारा करती है।

सूचनाः
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
क्रांति के लिए उठे कदम
क्रांति के लिए जले मशाल।
भूख के विरुद्ध भात के लिए
रात के विरुद्ध प्रात के लिए
जुल्म के खिलाफ जीत के लिए
हम लड़ेंगे हमने ली कसम।

प्रश्न 11.
कवि ने किसके के लिए कदम उठाने का आह्वान किया है?
उत्तरः
क्रांति के लिए

प्रश्न 12.
‘शपथ’ शब्द का समानार्थी शब्द कविता से ढूँढें ।
उत्तरः
कसम

प्रश्न 13.
‘हम लड़ेंगे, हमने ली कसम’ – कसम क्या है?
उत्तरः
जुल्म के खिलाफ जीत केलिए लड़ने का कसम हमने लिया है।

प्रश्न 14.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
यह हिंदी की एक विख्यात कविता है। इसमें गरीब लोगों की दीन अवस्था का सुन्दर चित्रण हुआ है। कवि कहते हैं – क्रांति के लिए हमें कदम उठाना चाहिए। दूसरों की भूख मिटाने के लिए हमें कर्मनिरत रहना है। जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए हमें ज़रूर शक्तिशाली बनना है। यह एक सुंदर समकालीन कविता है। समकालीन कविताओं में कवि का दृष्टिकोण अत्यंत सुन्दर मात्रा में झलकती है। कविता की भाषा सरल, सरस और जोशीली है।

सपने का भी हक नहीं Profile

हिंदीतर प्रदेश के हिंदी साहित्यकारों में प्रमुख है डॉ जे बाबू । उनका जन्म केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में 1952 को हुआ। मुक्तधारा, उलझन और उलाहना उनकी कविताओं का संकलन है। बिपाशा अखिल भारतीय कहानी पुरस्कार और हिंदीतर भाषी लेखक पुरस्कार से वे सम्मानित हैं।
सपने का भी हक नहीं Profile 1
– डॉ जे बाबू
सपने का भी हक नहीं Profile 2

सपने का भी हक नहीं (कविता) Summary in Hindi

हिंदीतर प्रदेशों के लेखकों में डॉ.जे बाबू का महत्वपूर्ण स्थान है। “सपने का भी हक नहीं’ उनकी एक महत्वपूर्ण कविता है। इसमें साधारण से साधारण एक मज़दूरिन की अवस्था का चित्रण है।

एक कमरेवाली झोंपड़ी में रहकर बडी महत्व की सपना देखनेवाली मज़दूरिन का चित्र अत्यंत मार्मिक है। सपने में भी उसके आगे बैंक की नोटीस दिखाई दे रही है। कवि कह रहे हैं…..

एक कमरेवाली झोंपड़ी में रहनेवाली गरीब मज़दूरिन अपने बच्चों के सो जाने के बाद नींद में पड़ जाती है और सपने में लीन हो जाती है। सपने में अब वह एक विशाल घर में सो रही है। दो मंज़िलवाली अपने घर में बहुत सारे कमरे हैं। खाने, पीने, सोने से लेकर बैठक और रसोई के लिए भी अलगअलग कमरे हैं। वह सोच रही है कि पूजा की कमरा कहाँ रखना है?

पूजा के लिए भगवान को बिठाने की कमया ऊपर की मंजिल में रखना वह चाहती है ताकि उसकी सारी समस्याएँ दूर हो सके। नये घर की छत काँक्रीट की है, दीवार और खिड़की के रंग भी उसने तय किया है।

ज़मीन तो चमकती संगमरमर का है और पूरा घर मेज़, कुरसी, टी.वी, होम-थियेटर जैसे सभी आधुनिक सुविधाओं से भरा है। रसोई तो अत्यंत नवीन है। ग्रानाइटर, फ्रिड्ज और मैक्रोवेव सभी से युक्त रसोई अत्यंत शानदार लग रहा है। सपने के दुमज़िले घर में रहनेवाली मज़दूरिन धूप के फैलने तक सो रही है। मगर अचानक सपने में ही एक डरावनी सच्चाई उसके आगे बैंक के नोटीस के रूप

में आ धमती है। इसके साथ साथ असकी सारे सपने छित्र-भित्र हो जाती है और जाग जाती है।

प्रस्तुत कविता में डॉ.जे बाबू ने एक कड़वी सच्चाई को यहाँ प्रस्तुत किया है। कवि कह रहे हैं आज के उदारतावादी समाज में साधारण गरीबों को सने का भी हक नहीं है, सपने में भी जीवन की भीषणता और उसके ऊपर लादे कर्ज से वे मुक्त नहीं है। वे चैन से सपना भी नहीं देख सकते।

गरीब लोग बैंक से कर्ज लेते हैं और उसका भुगतान समय पर नहीं कर पाते हैं। अंत में बैंक से आनेवाली नोटीस की भीषणता में जीने के लिए वे विवश हो जाते हैं। कविता यही सामजिक सच्चाई की ओर प्रकाश डालती है।

सपने का भी हक नहीं (कविता) Summary in Malayalam

सपने का भी हक नहीं (कविता) Summary in Malayalam 1

सपने का भी हक नहीं (कविता) Summary in Malayalam 2

सपने का भी हक नहीं Glossary

सपने का भी हक नहीं Glossary

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य)

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दवा (Text Book Page No. 98-102)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन किन-किन पत्रों के हैं?
i. “कुछ एसी दे दें, जिससे ये 5 – 6 घंटे जीवित रह सकें।”
उत्तरः अनंगजी की पत्नी ने कहा।

ii. “मैं इन्हें मज़े में कई घंटे जीवित रख सकता हूँ”।
उत्तरः
अनंगजी के मित्र ने कहा।

iii. “जाते जाते कुछ सुना जाइए।”
उत्तरः
अनंगजी के मित्र ने कहा।

iv. “आपकी प्रार्थना टाली भी नहीं जा सकती।”
उत्तरः
अनंगजी ने कहा।

प्रश्न 2.
मित्र की बात सुनते ही अनंगजी उठकर बैठ गए। इनमें कौन-सा व्यंग्य है?
उत्तरः
जीवन के अंतिम क्षण तर हर मनुष्य अपनी प्रशंसा के भूखे रहते हैं।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
कवि अनंग के नये कविता-संग्रह का प्रकाशन हुआ है। कविता-संग्रह की बिक्री बढाने के लिए एक विज्ञापन तैयार करें।
उत्तरः
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य) Q1

प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर निम्नलिखित तीन प्रसंगों के संवाद आगे बढाएँ।
उत्तरः
संवाद – 1
पत्नी : अरे डॉक्टर साहब! इनको एक्स्टेशन मिलेगा क्या?
डॉक्टर : नहीं, इनको बचाना मुश्किल है।
पत्नी : प्लीस डॉक्टर साहब, ऐस मत कहिएगा।
डॉक्टर : जी सुनिए, जो कुछ करना है, सब हमने कर डाला है।
पत्नी : डॉक्टरजी, मेरे परिवारवाले यह सह नहीं सकते। इनका और कोई दवा नहीं?
डॉक्टर : इसका कोई फायदा नहीं होगा।
पत्नी : जब मेरा बेटा आएगा, उससे मैं क्या कहूँगा। ये पूरे समाज से मैं क्या कहूँगा?
डॉक्टर : आप अपने बेटे से जल्दी ही आने को कहो। शाम तक इनका रहना असंभव है।

संवाद – 2

पात्र
मित्र, पत्नी और डॉक्टर

मित्र : कैसे हैं मेरे दोस्त?
पत्नी : डॉक्टर का कहना है, इनका बचना मुश्किल है।
डॉक्टर : मुश्किल नहीं, असंभव है।
पत्नी : डॉक्टर साहब! आप यह क्या कह रहे हैं?
मित्र : आप निश्चित रहिए। मेरे मित्र को मैं जीवित रह सकता हूँ। केवल शाम तक ही नहीं, अनेकों साल के लिए।
डॉक्टर : नहीं जी। आप कुछ भी नहिं कर सकते।
मित्र : डॉक्टरजी, आप देखिए मेरा कमाल |
पत्नी : क्षमा कीजिए डॉक्टर साहब। मुझे मेरे पतिदेव की जान बचाना है। कृपया आप इसे एक अवसर दीजिए।
डॉक्टर : अच्छा! तो अब हमारा कोई काम नहीं है! आप जो चाहे कर लो।
मित्र : आप निश्चित रहिए बहनजी, मेरि मित्र को बचाना मेरा कर्तव्य है।

संवाद – 3

पात्र
मित्र और कवि

मित्र : अरे यार! मैं पहूँच गया हूँ।
कवि : मित्र, मैं मर जाउँगा क्या?
मित्र : अरे अनग! तुम्हारा यह हाल मैं देख नहीं सकता।
कवि : डॉक्टर क्या कर रहा है, मित्र?
मित्र : उन्हें छोड़ दीजिए। तुम्हारा रक्षा मैं करूँगा।
कवि : मैं अब मरना नहीं चाहता है मित्र। कुछ कीजिएगा।
मित्र : आप निश्चित रहिए। आप के कंठ से एक सुंदर कविता सुनकर कितने दिन हुए?
कवि : अच्छा! अब भी आप तरस रहे हैं, मेरी कविता के लिए? ज़रा वह पुस्तक लीजिए।
मित्र : लो मित्र, सुनाइए। जाते-जाते कुछ सुनाकर ही जाइए।
कवि : अच्छा मित्र, लो, सुनो मेरी कविता।
मित्र : अरे वाह! वाह!! यदि आप न होते तो इस दुनिया का क्या होता?

‘दवा’ परसाईजी के एक व्यंग्य कहानी है। इसमें झूठी प्रशंसा चाहनेवालों पर कवि ने व्यंग्य किया है। कवि अनंगजी अपने अंतिम क्षण बिता रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार उनका बचना संभव नहीं है। परिवारवाले सब अत्यंत दुःखी है। शाम के समय उसके पुत्र के पहूँचने तक भी उनका जीवित रहना संभव नहीं है।

इसी समय अनंगजी का मित्र आकर कहता है वह अनंगजी की रक्षा करेगा। परिवारवालों को कमरे के बाहर बिठाकर मित्र और अनंगजी बात करने लगे। अनंगजी की झूठी प्रशंसा करके मित्र कहता है वह उनके कंठ से कुछ सुनना चाहता है। यह सुनते ही अनंगजी उसे कविता सुनाना शुरू कर डाला। कई घंटे बीत गए। अंत में जब परिवारवाले कमरे में घुसकर देखा तो अनंगजी कवितापाठ कर रहे हैं और मित्र, जो उन्हें बचाने आया था, मरे पड़े हैं।

इसमें बिना कवित्ववाले कवियों पर परसाईजी ने तीखा व्यंग्य किया है। झूठी प्रशंसा इतनी खतरनाक है कि वह ।। ज़िंदा को मुर्दा बना देता है।

Plus Two Hindi आदमी का चेहरा (कविता) Important Questions and Answers

सूचनाः
‘दवा’ कहानी का अंश पढ़ें।

मित्र ने कहा, “खैर, मुझे कोशिश तो कर लेने दीजिए। आप सब लोग बाहर हो जाइए।” सब बाहर चले गए। मित्र अनंग जी के पास बैठे और बोलो।

प्रश्न 1.
संकेतों के आधार पर मित्र और अनंग जी के बीच का वार्तालाप तैयार करें।

  • मित्र द्वारा अनंग जी की प्रशंसा करना।
  • मित्र को देखकर अनंग जी का खुश होना।
  • मित्र द्वारा कविता-पाठ करने की विनती करना।

उत्तरः
मित्र : अरे मित्र मैं पहूँच गया हूँ।
कवि : मित्र, मैं मर जाऊँगा क्या?
मित्र : अरे अनंग, तुम्हें कुछ नहीं होगा। तुम तो इतने मशहूर कवि हो। इतनी आसानी से मर नहीं सकता।
कवि : लेकिन. डॉक्टर कहते है….. कि…
मित्र : तुम यह सब बात छोडो। तुम्हारी कविता सुनकर कितने दिन हुए। मैं तुम्हारा कंठ से एक सुंदर कविता सुनना चाहता हूँ।
कवि : लेकिन क्या मैं कविता आलापन कर पाऊँ।
मित्र : तुम इतने प्रसिद्ध हो। तुमको कुछ नहीं होगा।
कवि : तुम इतने हठ करते हो तो मैं ज़रूर करूँगा। ज़रा वह कविता पुस्तक दीजिए।
मित्र : यह लो, अब शुरू करो।

सूचनाः
दवा कहानी का अंश पवें और 2 से 6 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।

कवि अनंग जी का अंतिम क्षण आ पहुंचा था। डॉक्टरों ने कह दिया कि ये अधिक-से-अधिक घंटे-भर के मेहमान हैं। अनंग जी की पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें, जिससे ये 5-6 घंटे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी से आनेवाले बेटे से मिल लें। डॉक्टरों ने कहा कि कोई भी दवा इन्हें घटे-भर से अधिक जीवित नहीं रख सकती।

प्रश्न 2.
कहानी का रचनाकार कौन है?
उत्तरः
हरिशंकर परसाई

प्रश्न 3.
अनंग जी की पत्नी ने डॉक्टर से क्या कहा?
उत्तरः
अनंग जी की पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दीजिए जिससे ये 5-6 घंटे जीवित रह सकें, ताकि, शाम की गाडी से आनेवाले बेटे से मिल ले।

प्रश्न 4.
डॉक्टर ने क्या जवाह दिया?
उत्तरः
डॉक्टरों ने कहा कि कोई भी दवा इन्हें घंटे-भर से अधिक जीवित नहीं रख सकती।

प्रश्न 5.
खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
कवि अनंग जी का मृत्यु निकट आया। पत्नी बेटे के आने तक कवि को जीवित रखने के लिए दवा देने को कहते है। लेकिन डॉक्टर कहते है कि यह नमुमकिन है।

प्रश्न 6.
संक्षेपण केलिए शीर्षक दें।
उत्तरः
अजीब दवा।

सूचना :
‘दवा’ कहानी का अंश पढ़ें।

कवि ‘अनंग’ जी का अंतिम क्षण का पहुंचा था। डॉक्टरों ने कह दिया कि ये अधिक-से-अधिक घंटे भर के मेहमान हैं।

प्रश्न 7.
संकेतों के आधार पर डॉक्टर और अनंग जी की पत्नी के बीच का वार्तालाप तैयार करें।

  • डॉक्टर द्वारा अनंग जी की हालत के बारे में बताना।
  • अनंग जी की पत्नी की बिनती।
  • डॉक्टर का निष्कर्ष ।

उत्तरः
अनंग जी
की पत्नी : अनंग जी की हालत कैसा है डॉक्टर?
डॉक्टर : अनंग का हालत अच्छा नहीं है। वह बचना मुश्किल है।
पत्नी : यह आप क्या कह रहा है?
डॉक्टर : मैं कुछ भी नहीं कर सकता।
पत्नी : ऐसा मत कहिए। इसे कुछ ऐसा दवा दीजिए ताकि यह कुछ और समय जीवित रहूँ। इसे कुछ समय जीवित रहना ज़रूरी है।
डॉक्टर : आप क्या कह रहे हैं?
पत्नी : हमारा बेटा आज शाम को यहाँ पहुँचेगा। वह आने तक इसे जीवित रहना होगा।
डॉक्टर : लेकिन यह एक घडे के अंतर मर जायेगा।
पत्नी : आप कुछ भी कीजिए। पाँच छः घंडे आप इसे जीवित रखिए।
डॉक्टर : यह असंभव है।
पत्नी : हाय! मैं क्या करूँ।

प्रश्न 8.
अनंगजी के पुत्र ने आने पर देखा कि ‘पिताजी कविता पढ़ रहे हैं और उनके मित्र मरे पड़े हैं।’
इस घटना का वर्णन करते हुए पुत्र अपने मित्र को एक पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
उत्तरः

दिल्ली,
25.10.2017

मित्र राजेश,
ईश्वर की असीम कृपा से मैं यहाँ खुश हूँ। मेरा विश्वास है तुम भी वहाँ सपरिवार खुश होंगे। कई दिनों से एक पत्र तुम्हें लिखने के बारे में सोच रहा हूँ। लेकिन आज ही मुझे फुरसत मिला है।

आज तो एक विचित्र घटना हुई। अब मैं दिल्ली में पिताजी के साथ हूँ। पिताजी का तबियत सबेरे खराब हो गया था और वे अस्पताल में हैं । डाक्टरों ने उनका बचना मुशकिल बता दिया था और इसलिए ही शाम की गाड़ी में मैं लोहोर से दिल्ली पहूँचा। अंतिम बार उन्हें देखने के लिए ही यहाँ पहुँचा। लेकिन कमरे में जब मैं खुसा तो देखा कि उनका एक मित्र कमरे में मरा पड़ा है और पिताजी उन्हें कविता पाठ करके सुना रहा है। शायद उनकी कविताओं की विरसत ने ही मित्र को समाप्त कर दिया है। क्या कहूँ मित्र, समाज में मेरे पिताजी जैसे अनेकों कवि और साहित्यकार हैं जो अपनी रचनाओं को सबसे श्रेष्ठ मानते हैं।

इतना लिखकर यह पत्र मैं यहाँ समाप्त करता हूँ। घरवालों से और अम्माजी से मेरा प्यार और प्रणाम कहना । जवाबी पत्र की प्रतीक्षा में ………

राम कुमार अनंग,
(हस्ताक्षर)

प्रश्न 9.
अनंगजी अपनी कविता-संग्रह का प्रकाशन करना चाहते हैं। उसके लिए एक आकर्षक पोस्टर तैयार करें।
उत्तरः
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य) Q9

प्रश्न 10.
मैं इन्हें मज़े में कई घंटे जीवित रख सकता हूँ।” अनंगजी को जिंदा रखने के लिए आए मित्र अंत में मर जाता है। अनंगजी के डॉक्टर अपने डॉक्टरी जीवन की इस विचित्र घटना को डायरी में लिखता है। वह डायरी तैयार करें।
उत्तरः
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य) Q10

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 4 दवा (व्यंग्य) Q10.1

प्रश्न 11.
अनंगजी की स्थिति बड़ी गंभीर है। बेटे के पहुंचने तक उसे जीवित रखने की बिनती पत्नी करती है। इस संबंध में पत्नी और डॉक्टर के बीच का संभावित वार्तालाप तैयार करें।
उत्तरः
पत्नी : डॉक्टर साहब, मेरे पति की रक्षा कीजिए।
डॉक्टर : बहिन जी, हम सब उनको बचाने की कोशिश में हैं।
पत्नी : मेरी बात तो सुनिए जी।
डॉक्टर : आप बताइए।
पत्नी : शाम की गाड़ी में मेरे बेटे आनेवाला है। कई महीने हुए उसके पिताजी से मिलकर।
डॉक्टर : आप बताइए, हमें क्या करना है?
पत्नी : कम से कम शाम की गाड़ी के आने तक आप उन्हें जिंदा रखने की कोशिश कीजिए।
डॉक्टर : अच्छा, उसकी गाड़ी कब तक आएगी।
पत्नी : शाम को पाँच बजे वह रेलवे स्टेशन पहूँचेगा। वहाँ से यहाँ पहुँचने के लिए आधा घंडा लगेगा।
डॉक्टर : लेकिन, यह कैसा संभव है जी?
पत्नी : डॉक्टर साहब, आप कुछ मत बताइए। मेरा बेटा अपने पिताजी को जीवन में अंतिम बार देखने के लिए ही आ रहा है।
डॉक्टर : आपकी वेदना मैं समझ रहा हूँ जी। हम लोग कोशिश तो ज़रूर करेंगे। आप भगवान पर उम्मीद रखिए।
पत्नी : अच्छा डॉक्टर साहब । आप ही अब हमारे लिए भगवान है। कृपया मेरी इच्छा पूर्ण कीजिए।

दवा Profile:

हरिशंकर परसाई हरिशंकर परसाई का जन्म 1924 को मध्यप्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यग्यकार थे। वे हिंदी के पहले रचनाकर हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और हल्के पुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। ‘हँसते है रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’ आदि उनके श्रेष्ठ कहानी संग्रह हैं। उनकी मृत्यु 1995 को हुई। हिन्दी व्यंग्य लेखकों में सबसे श्रेष्ठ है श्री हरिशंकर परसाई। उनका व्यंग्य केवल हँसी-मज़ाक के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक समस्याओं पर तीखा प्रहार है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं ‘हँसते है रोते हैं जैसे उनके दिन फिरे” आदि।
दवा Summary in Malayalam 1

दवा Summary in Malayalam 2

दवा Summary in Malayalam

दवा Summary in Malayalam 3

दवा Summary in Malayalam 4

दवा Glossary

दवा Summary in Malayalam 5

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 3 आदमी का चेहरा (कविता)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 3 आदमी का चेहरा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 3 आदमी का चेहरा (कविता)

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आदमी का चेहरा (Text Book Page No. 95-97)

प्रश्न 1.
कूली को आदमी के रूप में पहचानने से पहले कुली के साथ कवि की यात्रा कैसी थी?
उत्तरः
कुली को आदमी के रूप में पहचानने से पहले हर समय कवि उसके दस कदम पीछे ही चलता था।

प्रश्न 2.
कुली को आदमी मानने के पहले कवि ने उसको किस रूप में पहचाना था?
उत्तरः
कवि ने उसको नंबर के रूप में ही पहचाना था।

प्रश्न 3.
सामान खुद उठाते वक्त कवि के दिमाग में कौन-सा विवेक पैदा हुआ?
उत्तरः
कुली भी एक आदमी है। कुली जो काम करता है, उसका भी अपना महत्व है।

प्रश्न 4.
कुली कहकर पुकारने पर कवि को क्यों लगता है कि कुली नहीं एक इनसान आकर उसके पास खड़ा हो गया है?
उत्तरः
खुद सामान उठाने पर ही कवि को सामान लादने की वेदना और काम का महत्व का पता चला। इसलिए उसे अब कुली भी एक मनुष्य लगता है।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
कविता की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि है। सप्तकीय परंपरा के कवियों में और प्रगतिवादी कवियों में उनका अलग पहचान है। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा क्षेत्रों में भी उनकी प्रतिभा का चमक है। 2005 में उनको ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।

देश की प्रगति निम्न-वर्ग के श्रमिक लोगों के बिना संभव नहीं है। लेकिन जाने-अनजाने ही हर ज़माने में निम्न-स्तर के लोगों का तिरस्कार ही होता है। वे हमेशा हाशिएकृत हो जाते हैं। समकालीन कविताओं में ऐसे हाशिएकृत लोगों का चित्रण होता है। ‘आदमी का चेहरा’ कुँवर नारायण की ऐसी एक कविता है जिसमें कठिन मेहनत करनेवाला एक कुली के प्रति कवि अपना विचार प्रकट किया हैं। कवि कह रहे हैं – ‘कुली’ शब्द सुनते ही मेरे दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने खडा हो गया। जब वह मेरा सामान उठाकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलना शुरू किया। मुझे लगा, वह मुझसे तुच्छ है और उसके साथ नहीं चलना चाहिए। अनेकों यात्राओं में जो कुली मेरा सामान लाद था उसे मैं पहचान नहीं सकता। उसका चेहरा मुझे याद नहीं है। केवल नंबर से ही मैं उसको पहचानता था।

लेकिन आज जब मुझे अपना सामान खुद लेना पड़ा, तभी मुझे सामान लादने की वेदना और साथ-साथ परिश्रम के महत्व का पता चला। इसलिए अब मुझे कुली, केवल एक कुली ही नहीं बल्कि मनुष्य ही लगता है। मैं ने पहचान लिया कि इसी निम्न वर्ग के लोगों के परिश्रम से ही देश की प्रगति होती है।

देश की प्रगति ऊँच पदवाले लोगों से ही नहीं बल्कि निम्नवर्ग के मज़दूर, कुली सभी से तन-तोड़ मेहनत से ही संभव है। श्राम का अपना महत्व है। अर्थात् हमें श्रमिकों का महत्व जानकर उनका आदर करना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए श्रमिक और सर्वहारा भी मनुष्य है। उनके मेहनत से ही देश की प्रगति संभव है।

संगोष्ठी
विषयः किसी काम-धंधे का महत्व केवल उस काम पर निर्भर नहीं होता बल्कि काम करनेवाले की ईमानदारी पर भी निर्भर होता हैं।
उत्तरः
संगोष्ठी आलेख
अंग्रेज़ी में एक कहावत है ‘Work is worship’ – यानि श्रम ही ईश्वर साधना हैं। संसार में कई प्रकार के काम धंधे हैं। चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक, मेहतर से लेकर डॉक्टर तक। समाज में कई लोग काम को देखकर दूसरों को मेलते हैं। किसी काम को निम्न मानते है और कुछ को उच्च।

हमें एक बात समझना चाहिए कि हर काम के अपने विशेषताएँ हैं। अगर मेहतर (sweeper) कुछ दिन काम न किया तो हमारे शरहों का हालत क्या होगा? अगर किसान खेती नहीं करें तो क्या होगा? यानि समाज में जो भी काम-धंधे हो वे सब आवश्यक है। लेकिन एक बात याद में रखना चाहिए कि हम यह काम कैसे कर रहा हैं। दिलचस्पी से या विवशता से। ईमानदारी से या बेइमानी से। तहे-दिल से या रूढकर। डॉक्टर हो या अध्यापक, वकील हो या नेता – वे सब ईमानदारी से, दिलचस्पी से और तहे-दिल से अपना काम करना चाहिए। अध्यापक दिलचस्पी से नहीं पढ़ाते है तो छात्रों का हालत क्या होगा। डॉक्टर ईमानदारी से नहीं करते हैं तो मरीज़ के हालत क्या होगा।

काम-धंधे नहीं ईमानदारी पर ज़्यादा बल देकर हमें काम करना हैं। श्रम की महत्ता पहचानकर दिलचस्पी से काम करना हैं।

Plus Two Hindi आदमी का चेहरा (कविता) Important Questions and Answers

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“कुली!” पुकारते ही
कोई मेरे अंदर चौंका.। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस कदम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान।

प्रश्न 1.
यह किस कविता का अंश है?
(मातृभूमि, आदमी का चेहरा, सपने का भी हक नहीं, कुंमुद फूल बेचने वाली लड़की)
उत्तरः
आदमी का चेहरा।

प्रश्न 2.
कुली पुकारते समय कौन कवि के पास आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
एक आदमी (कुली) आकर खड़ा हो गया कवि के पास ।

प्रश्न 3.
वह सामान सिर पर लादे बढ़ने लगा – कैसे?
उत्तरः
कुली सामान सिर पर लादकर बढ़ने लगा, कवि के स्वाभिमान से दस कदम आगे वह बढ़ने लगा।

प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण समकालीन कवियों में प्रमुख है। आप ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित है। कविता, कहानी, समीक्षा और सिनेमा के क्षेत्र में वह मशहूर है। आप का एक प्रसिद्ध कविता है – आदमी का चेहरा।

आदमी का चेहरा कुँवर नारायण की ऐसी एक कविता है जिसमें मेहनत करनेवाला एक कुली के प्रति कवि अपना विचार प्रकट किया है। ‘कुली’ शब्द सुनते ही कवि के दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने खड़ा हो गया। जब वह मेरा सामान उठाकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलना शुरू किया। मैं अपने आप को उनसे भी महान समझता था। वह कई यात्राओं में मेरा सामान लादा था।

यहाँ कवि परिश्रम करने वाले साधारण लोगों का किसी भी प्रकार के महत्व न देनेवालों पर व्यंग्य करते हैं। जब कवि एक बार अपना सामान खुद उठाते है तो उसे पता चलता है कि कुली का प्रयत्न कितना महान है। परिश्रम की महत्व हमें पहचानना चाहिए। विशाल अर्थ में देखते है तो देश की प्रगति में साधारण श्रमिक लोगों के महत्वपूर्ण स्थान है। सरल भाषा में सहजीवियों से प्यार और सहानुभूति दिखाने के लिए कवि आह्वाल करते है। यह कविताँश छात्रानुकूल और प्रासंगिक है।

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखें।
“कुली !” पुकारते ही
कोई मेरे अंदर चौंका। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस कदम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान ।

प्रश्न 1.
इस कविता के रचयिता कौन है?
उत्तरः
कुंवर नारायण

प्रश्न 2.
कवि के पास कौन आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
कुली/ एक आदमी

प्रश्न 3.
कुली किससे आगे बढ़ने लगा?
उत्तरः
कवि के स्वाभिमान से दस कदम् आगे बढ़ने लगा।

प्रश्न 4.
कविता की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
हिन्दी के समकालीन कवियों में श्री कुंवर नाराय सबसे श्रेष्ठ है। समाज की हाशिएकृत लोगों की आवाज़ है समकालीन कविता। कुली ऐसी एक कविता है जिसमें श्रमिकों का महत्व बताया गया है। कवि कह रहे हैं – ‘कुली’ शब्द सुनते ही मेरे दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने आकर मेरा सामान उठाकर चलने लगा और मैं उसके दस कदम पीछे चलने लगा। वह मुझसे तुच्छा है और इसलिए साथ नहीं चलना है। अनेकों यात्राओं में चो मेरा सामान उठाया था, उसका चेहरा तक मुझे याद नहीं।

प्रस्तुत कवितांश द्वारा कवि हमें परिश्रम का महत्व बता रहै हैं। कविता की भाषा सरस और सरल है।

सूचना: निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“मैंने उसके चेहरे से उसे
कभी नहीं पहचाना,
केवल उस नंबस के जाना
जो उसकी लाल कमीज़ पर टॅका होता।
आज जब अपना सामान खुद उठाया
एक आदमी का चेहरा याद आया।”

प्रश्न 1.
यह किस कविता का अंश है?
(सपने का भी हक नहीं, आदमी का चेहरा, मातृभूमि, कुमुद, फूल बेचने वाली लड़की)
उत्तरः
आदमी का चेहरा

प्रश्न 2.
कमीज़ पर क्या टँका होता था?
उत्तरः
कुली का नंबर/ संख्या

प्रश्न 3.
कवि पहले कुली को कैसे पहचानता था? उसकी आदमी का चेहरा कब याद आया?
उत्तरः
कवि पहले कुली को उसकी लाल कमीज़ पर टॅका नंबर से पहचानता था। अपना सामान खुद उठाने पर कवि को एक आदमी का चेहरा याद आया।

प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि है। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा आदि क्षेत्रों में भी उनकी चमक हैं। 2005 को उनको ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। देश की प्रगति निम्नवर्ग के श्रमिक लोगों के बिना संभव नहीं है। लेकिन इन लोगों को समाज स्थान नहीं देते हैं। ऐसे हाशिएकृत लोगों को कविता के माध्यम से दिखाने का प्रयास प्रस्तुत कविता में किया है।

कवि जब भी कुली को देखते हैं केवल लाल कमीज़ पर टँका नंबर से पहचानते हैं। उसे नाम से नहीं कुली ही पुकारते हैं। वह एक मानव है ऐसे उसे देखते नहीं, लेकिन पहली बार जब अपना सामान खुद उठाया तो कवि को लगता है कि कुली भी आदमी है।

यहाँ कुछ ही शब्दों में सरल शैली में निम्नवर्ग के लोगों की ओर ध्यान दिया हैं। हम सब मानव है, जो भी काम करना पड़े। आज भी यह कविता प्रासंगिक है।

“निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।
“कुली! पुकारते ही
कोई मेरे अंद चौंका। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस क़दम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान।

प्रश्न 1.
यह किस काव्यधारा की कविता है?
(द्विवेदीयुगीन कविता, समकालीन कविता, छायावादी कविता)
उत्तरः
समकालीन कविता

प्रश्न 2.
कवि के पास कौन आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
एक आदमी आकर खड़ा हो गया।

प्रश्न 3.
कवि किससे आगे बढ़ने लगा?
उत्तरः
कवि अपने स्वाभिमान के ‘दस कदम आगे बढ़ने लगा।

प्रश्न 4.
समकालीन कविताओं की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी तैयार करें।
उत्तरः
प्र बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि श्री कुंवर नारायण की एक कविता है आदमी का चेहरा। वे ज्ञानपीठ से पुरस्कृत कवि है। प्रस्तुत कविता में श्रम के महत्व के बारे में कवि बता रहे हैं।

कुली शब्द सुनते ही कवि के अंदर कोई चौंक गया। कवि को लगा एक आदमी उसके आगे खड़ा हो गया है। जब वह मेरा सामान लेकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलने लगा। अपने स्वाभिमान के कारण कवि को ऐसा लगा कि कुली के साथ नहीं चलना चाहिए।

अनेकों यात्राओं में जो कुली हमारे सामान उठाते हैं हम उसे कभी नहीं पहचानते हैं। देश की प्रगति के लिए ही हर व्यकति काम करते हैं चाहे वह ऊँचे पदवाले हो या निम्न पदवाले। सभी. के काम का अपना महत्व है। आदमी को यह समझना चाहिए कि देश की प्रगति केवल ऊँचे पदवाले लोगों से ही नहीं, बल्कि निम्नवर्ग के मज़दूर, कुली आदि सभी के तन-तोड़ मेहनत से ही संभव है। हमें यह समझना चाहिए कि श्रमिक और सर्वहारा लोग भी मनुष्य है। और उनके भी मेहनत से देश की प्रगति संभव है।

“निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।
आईना हमारी शक्ल सूरत दिखाता है,
एकदम बराबर सब कुछ बताता है,
किसी को असली नकली में
फर्क समझ में नहीं आता,
इसलिए वो आइना है कहलाता।

प्रश्न 1.
आईना क्या दिखाता है?
उत्तरः
गा आईना हमारी शक्ल-सूरत दिखाता है।

प्रश्न 2.
‘असली’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द कविता से ढूँढें
उत्तरः
नकली

प्रश्न 3.
आईना, आईना क्यों कहलाता है?
उत्तरः
मग आईने में देखने से किसी को असली और नकली में फर्क समझ में नहीं आता है। इसलिए आईना, आईना कहलाता है।

प्रश्न 4.
कविता की व्याख्या करते हुए आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
अ यह हिंदी के एक विख्यात कविता है। समकालीन कविताओं में छोटे-बड़े, निम्न-उच्च सभी स्तर के व्यवतियों और चीज़ों के बारे में कहते हैं। प्रतीकों के माध्यम से सामाजिक सच्चाई को उजागर करने में समकालीन कविता की निजी विशेषता है।

आईना हमारी शक्ल और सूरत दिखाता है। आईने में देखने से सभी को अपना शक्ल बराबर ही दिखाई देता है। असली और नकली में किसी को कोई फर्क नहीं दिखाई देता है। इसलिए ही आईने को आईना कहलाता है। आईने के द्वारा कवि ने यह बताने की कोशिश की है कि दुनिया भी एक आईना जैसा है। यहाँ किसी का कोई फर्क नहीं है। जिस प्रकार आईने में व्यवति का शक्ल उसी प्रकार दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार दुनिया में भी हर व्यक्त का शक्ल एक जैसा है। वहाँ उच्च-निम्न या छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं है।

आदमी का चेहरा Profile

कुंवर नारायण का जन्म उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद में 1927 को हुआ। अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक के प्रमुख कवि वर नारायण नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा और सिनेमा में उन्होंने 7 लेखनी चलाई। ‘चक्रव्यूह’, ‘अपने साम..’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’ आदि उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से 2005 में वे सम्मानित हुए।
आदमी का चेहरा Profile 1

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आदमी का चेहरा Summary in Malayalam

आदमी का चेहरा Summary in Malayalam 1

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आदमी का चेहरा Glossary

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Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 2 वह भटका हुआ पीर (संस्मरण)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 2 वह भटका हुआ पीर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 2 वह भटका हुआ पीर (संस्मरण)

प्रश्न 1.
चित्र और रहीम की पंक्तियों में कौन-सा संदेश मिलता हैं?
उत्तरः
चित्र में मदर तेरेसा बच्चों के देखपाल करने का दृश्य है तो रहीम की पंक्तियों में दूसरों को अपना सर्वस्व देनेवाले प्रकृति का चित्रण हैं। परोपकार हर जीव का फर्ज़ हैं।

मेरी खोज

प्रश्न 1.
लेखिका ने स्कूटरवाले की तुलना गुलमोहर से क्यों की है?
उत्तरः
जिसप्रकार स्कूटरवाला गर्मी में राहगीरों को पानी पिलाता है उसी प्रकार गर्मी के मौसम में गुलमोहर अपने फूलों से दूसरों को छाया और तृप्ति देते हैं, दोनों परोपकार की भावना रखनेवाले हैं।

प्रश्न 2.
स्कूटरवाला कैसे अपने मन का बादशाह बन गया?
उत्तरः
वह मिली नौकरी को भी छोडा और स्कूटर अपने मर्जी के अनुसार चलाता है। अपने दिल के विचार के अनुसार दूसरों की सहायता करके वह जीवन बिताते हैं। संपत्ति के पीछे न भागकर दिलं के अनुसार जीते हैं।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
विशेष समाचार – मशकवाला स्कूटर നെ ആധാരമാക്കി ഒരു കൗതുക വാർത്ത തയ്യാറാക്കുക. സഹായക സൂചനകൾ ഉപയോ ഗിക്കണം. ശീർഷകം, സ്ഥലം എന്നിവ ആവശ്യമാണ്.
उत्तरः
मशकवाला स्कूटर – दिल्ली में
दिल्लीः दिल्ली के साधारण लोगों को देवता के रूप में दिखाई देता है एक स्कूटरवाला, क्योंकि वह रास्ते पर चलनेवाले प्यासे लोगों को मुफ़्तं पानी पिलाता है। वह अपने माँ के, उपदेश के अनुसार अपने पैसे से मशक में पानी भरवाकर सहगीरों को पानी पिलाता है, वह अपने लिए केवल दो जून रोटी ही कमाता है, पैसे के पीछे न … दौड़कर लोगों के दिल से रिस्ते जोडते हैं, लोग उसे मशकवाला स्कूटर कहते हैं। वह केवल एक स्कूटरवाला न होकर एक पीर हो गया है। .

प्रश्न 2.
स्कूटरवाले के चरित्र पर टिप्पणी करते हुए वर्तमान समाज में ऐसे लोगों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
एक साधारण स्कूटरवाला कैसे असाधारण व्यक्ति बनते हैं – इसका उदाहरण है मशकवाला स्कूटर, भौतिक जीवन में वह गरीब हैं। माँ के उपदेश के अनुसार वह दूसरों को मुफ़्त पानी देता हैं, पैसे के पीछे न जाकर लोगों से दिल के रिश्ते जोड़ते हैं। आज के समाज में इसीप्रकार के लोग बहुत विरल है, परोपकार की भावना. हर व्यक्ति के लिए आवश्यक गुण है। यहाँ इसी गुण को दिखाया गया है। केवल अपने बात ही सोचनेवाले इस समाज में एक अजीब चरित्र हैं मशकवाला स्कूटर।

प्रश्न 3.
स्कूटरवाला जैसे लोगों को आपने देखा है? वह अनुभव प्रस्तुत करें।
उत्तरः
जैसे – हमारे गाँव में एक ऐसे व्यक्ति है जो एक साधारण दूकानदार है जो एक छोटी सी दुकान चलाकर आजीविका कमाते है। कई लोगों के लिए वह ईश्वर समान है क्योंकि दुपहर के भोजन से मिलने का कारण है वह । हर दिन वह दुपहर के समय दूकान बंद करके बाहर निकलते है। एक थैली में तैयार किये भोजन लेकर रास्ते में आवश्यकता के अनुसार पड़े रहनेवाले लोगों को भोजन देते है। वह कई सालों से यह करते आ रहे हैं।

Plus Two Hindi वह भटका हुआ पीर (संस्मरण) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण के स्कूटरवाले पात्र का आत्मकथांश तैयार करें।
* पितृविहीन बालक
* गरीब बचपन
स्कूटर चलाकर रोटी की कमाई
* माँ का उपदेश
* दूसरों की प्यास बुझाने की कोशिश
उत्तरः
आत्मकथांश
मैं एक स्कूटरवाला हूँ, लोग मुझे मशकवाला स्कूटर कहते हैं। मेरा जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। मेरा पिता मेरे बचनप में ही चल बसा | मेरी माँ कठिन परिश्रम करके मेरा पालन-पोषण किया। मैं स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई किया, मैं छोटे उम्र में ही छोटे-छोटे काम करने लगे थे, बड़े होकर मैं स्कूटर चलाने के साथ साथ पढ़ाई भी किया। ग्रेजुएट हो गया, मुझे दफ्तर में काम मिला था।

लेकिन मैं आज भी स्कूटर चलाता हूँ – मशकवाला स्कूटर | जब मैं शहर में स्कूटर चलाने लगे तब मैं देख कि कई लोग पानी के लिए गरस रहे हैं। मैं एक मशक में पानी भरकर रास्ते में मिलनेवाले प्यासे लोगों को पानी पिलाने लगे। पानी पिलाने में, जो पुण्य मिलते है वह पैसों से सौ गुना बेहत्तर है। मैं यह काम दम तोडने वक्त तक करूँगा। यही मेरा जीवन का मकसत है।

प्रश्न 2.
सूचनाः वार्तालाप तैयार करें।
संकेतों के अनुसार स्कूटरवाले और लेखिक का बीच का वार्तालाप कल्पना करके लिखें।
* स्कूटरवाले की कहानी
* पितृविहीन बालक
* गरीब माँ
* माँ का उपदेश
* मन का बादशाह
उत्तरः
स्कूटरवाला : आप यहाँ रहते है?
लेखिका : हाँ, आओ, बैठो।
स्कूटरवाला : नहीं, कई लोग पानी की प्रतीक्षा में होगा।
लेखिका : आप ऐसे क्यों करते है।
स्कूटरवाला : मुझे ऐसे करने में बहुत खूशी मिलती है।
लेखिका : आप के घर में कौन-कौन है?
स्कूटरवाला : पिताजी बचपन में चल बसा। माँ छोटे छोटे काम करके मेरा देखबाल किया है।
लेखिका : आप पढ़ाई नहीं किया?
स्कूटरवाला : हाँ। मैं स्ट्रीट लैइट में पढ़कर ग्राजुएट हो गया। मुझे नौकरी भी मिला था।
लेखिका : फिर भी आप स्कूटर चलाते हो?
स्कूटरवाला : मुझे इसमें खुशी है। अपने मन का बादशाह हूँ। जहाँ चाहे जाता हूँ, पानी पिलाता हूँ।
लेखिका : आप एक पीर हो।
स्कूटरवाला : शुक्रिया। अब मैं चलता हूँ।

प्रश्न 3.
दूसरों की सहायता करना सबसे महान कार्य है – इस विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता हो रही है।
‘वह भटका हुआ पीर’ पाठभाग के संकेतों के आधार पर एक भाषण तैयार करें।
संकेत : तू पानी पिलाया कर, पुण्य मिलता है।
वह पूजा के लिए कहीं भी न बैठकर लोगों के दिल में जगह बनाता है।
दिल के रिश्ते जोड़ता है।
उत्तरः
प्र प्यारे भाइयो, बहनो ……….
जीवन की विभिन्न पहलुओं की आज यहाँ चर्चा हो रही है। हम सब जानते हैं “मानव सेवा ही माधव सेवा है। इसका तात्पर्य है मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है, वही असली पूजा है।

मित्रो, पुराने जमाने से भारत की ऐसी एक परंपरा है। भारत के ऋषि-मुनि लोग यही करते आते हैं। जो दीन दुःखियों की सेवा करता है, बेसहारों को सहारा देता है, वही सबसे महान है। इससे बढ़कर पुण्य और कुछ भी नहीं है। दूसरों को तू पानी पिलाया कर, तुम्हें पुण्य मिलता है। दिल्ली के,ये जो स्कूटरवाला है, उससे हमें यह समझना चाहिए उसके दिखाए मार्ग हमें अपनाना चाहिए। पूरे मानव राशि के प्रति भाईचारा का संबन्ध ही महान है। तो मित्रों, हम भरोसा करेंगे कि आनेवाला कल एकता, भाईचारा और मानवता का रहेगा।
जय भारत।

सूचनाः
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण का अंश पढ़ें। वह पूजा के लिए कहीं भी न बैठकर लोगों के दिल में जगह बनाता है। दिल के रिश्ते जोड़ता है।

प्रश्न 4.
संकेतों के आधार पर लेखिका और अपनी बहन के बीच का वार्तालाप तैयार करें।

  • लेखिका का स्कूटर वाले से परिचय ।
  • स्कूटर वाले के सेवा मनोभाव से प्रभावी।
  • लेखिका की श्रद्धा-भावना।

उत्तरः
लेखिका : बहनजी, बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर।
बहन : मैं भी खुश हूँ, तुझे यहाँ देखकर। कहो, कैसे आना हुआ?
लेखिका : क्या कहूँ बहनजी। कई दिनों से सोच रहा हूँ। आज ही फुरसत मिली थी।
बहन : तुम्हारी यात्रा कैसी रही?
लेखिका : हाँ जी, बहुत अच्छी रही। एक विचित्र स्कूट्टरवाले से आज भेंट हुई।
बहन : विचित्र क्यों? ज़्यादा पैसा माँगा उनसे? ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो ज़्यादा पैसा माँगकर हमें तंग करते हैं।
लेखिका : नहीं, नहीं। यह जो है एकदम अलग है। वह बड़ा परोपकारी मालूम पड़ता है।
बहन : परोपकारी और स्कूट्टरवाले!
लेखिका : हाँ जी, सुनो तो। वह एक ऐसा स्कूट्टरवाला है जो अपनी यात्रियों को बीच बीच में पानी पिलाया करता है।
बहन : बाप रे! यह तो एकदम विचित्र निकला। दिल्ली की गरमी में वह ऐसा करता है।
लेखिका : वह अपनी गाड़ी में ही पानी रखता है और रास्ते में मिलनेवालों को पानी देता है। पानी के खतम होने पर वह खुद रास्ते से पानी भरता है और राहगिरों को पानी पिलाया करता है।
बहन : कितना अच्छा स्कूटरवाला है।
काश! अज के सभी लोग ऐसा होता तो कितना अच्छा होता।

प्रश्न 5.
गर्मी की एक साँझ में स्कूटर वाला लेखिका के गेट के सामने आया। उसने लखिका से अपनी जीवन-गाथा बतायी।
संकेतों के आधार पर ‘वह भटका हुआ पीर’ पाठ के स्कूटर वाले का आत्मकथांश तैयार कीजिए।
* पितृविहीन बालक
* स्कूटर चलाकर माँ को संभालना
* माँ के उपदेश का पालन
* लोगों के दिल में जगह बनाना
उत्तरः
आत्मकथा
मेरा जीवन सफल है या नहीं यह मैं नहीं जानता पर मैं खुश हूँ इस जीवन से। मेरा बाप की मृत्यु मेरी छोटी उम्र में ही हुआ था। माँ कठिन परिश्रम करके मेरा देखपाल किया। छोटी उम्र में ही भूख और गरीबी की हालत समझ लिया। स्ट्रीट लइट के नीचे बैठकर पढ़ते थे। बड़े होने पर स्कूटर चलाना शुरू किया। माँ और मेरे लिए भूख मिटाने के लिए मैं काम करता था। साथ साथ पढ़ते थे और ग्राजुइट हो गया। रास्ते में प्यास के मारे तड़पते रहने लोगों को देखकर उन्हें पानी पिलाना शुरु किया। और काम मिला तो भी मैं यह स्कूटर चलाना और राहगीरों को पानी पिलाना पसंद करता हूँ।

एक मशक में पानी खरीदकर स्कूटर में रखता हूँ। रास्ते में जो भी प्यासा आये उन्हें पानी पिलाये घूमता हूँ। माँ कहते हैं पानी पिलाने से पुण्य मिलेगा। पैसे केलिए जीवन में दौड़नेवाले कई लोग होते हैं। मेरे पास पैसे नहीं बल्कि कई लोगों के पुण्य है। मैं बहुत खुश हूँ इस जीवन से क्योंकि मैं लोगों के दिल में जगह बनाता हूँ और वह मुझे प्यार से मशकवाला स्कूटर कहते हैं।

‘वह भटका हुआ पीर’ का अंश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।

जब घर के बड़े बुजुर्गों को कोई पानी नहीं पिलाता और पानी माँगने पर अँगारों जैसी जलती आँखें दिखाई जाती हों, तो यह स्कूटरवाला तो पीर जैसा लगेगा ही न । गर्मी की एक साँझ में वह मेरे गेट के सामने खड़ा होकर मुझसे पूछ रहा था, ‘पानी पिएँगी? अभी भरवा कर ला रहा हूँ।’ ‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं।’ मैने उसे बरामदे में बिठाया और उससे कुशलक्षेम पूछने लगी। वह पितृविहीन बालक स्ट्रीट लाइट में बैठकर अखबार पढ़ता, स्कूटर चलाकर माँ और अपने लिए दो जून रोटी का जुगाड़ करता।”

प्रश्न 6.
‘वह भटका हुआ पीर’ संस्मरण किसकी रचना है?
उत्तरः
राज बुद्धिराजा

प्रश्न 7.
बड़े बुजुर्गों के पानी माँगने पर घर के लोग क्या करते हैं?
उत्तरः
बडे बुजुर्गों के पानी माँगने पर घर के लोग अंगारों जैसी जलती आँखों से उन्हें देखते हैं और पानी नहीं देते हैं।

प्रश्न 8.
स्कूटरवाले ने लेखिका से क्या पूछा?
उत्तरः
र स्कूटरवाले ने लेखिका से पूछा कि क्या वह पानी पिएगी?

प्रश्न 9.
पितृहीन बालक अपनी लोटी कैसी जुगाड़ता था?
उत्तरः
का पितृहीन बालक स्ट्रीट लाइट में बैठकर अखबार पढ़कर और स्कूटर चलाकर अपनी रोटी जुगाडता था।

प्रश्न 10.
खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
घर के बुजुर्गों को पानी पिलाना पुण्य माननेवाला है। एक दिन लेखिका के घर में आकर उसने बता दिया कि वह एक पितृहीन बालक है। स्ट्रीट लाइट में बैठकर वह अखबार पढ़ता था और स्कूटर चलाकर कमाता भी था।

प्रश्न 11.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक लिखें।
उत्तरः
परिश्रम का महत्व

प्रश्न 12.
“मुझे तो पुण्य मिल ही गया। लाखों लोगों की दुआओं से मैं ग्रेजुएट हो गया। घर बैठे नौकरी चलकर आई, लेकिन मुझे पानी पिलाने में जो सुख मिलता है, वह नौकरी में कहाँ! अपने मन के बादशाह !!
वह भटका हुआ पीर के इस अंश के आधार पर स्कूटरवाले के चरित्र पर टिप्पणी करें।
उत्तरः
स्कूटरवाला परोपकार को पुण्य माननेवाला है। अपने माँ-बाप एवं बुजुर्गों के प्रति उसके दिल में सच्चा प्यार एवं आदर है। अपने माँ की बातों को वह बहुत अधिक मानता है। उसका विश्वास है माँ की बातें सुनने से ही उसे पुण्य मिल गया है और वह ग्रेजुएट भी हो गया है। वह अपने इच्छा के अनुसार जीना चाहता है। इसलिए ही नौकरी छोड़कर वह स्कूटर चलाना शुरु करता है।

प्रश्न 13.
“मुझे लगा कि वह आम आदमी न होकर एक भटका हुआ पीर है, जो आपा-धापी की दुनिया में खुशी बाँटता फिर रहा है।” – ‘वह भटका हुआ पीर’ के स्कूटरवाले के जैसे हमारे समाज में भी ऐसे बहुत से पीर हैं और हुए थे। उनमें से किसी के विवरण के साथ वर्तमान समाज में ऐसे सच्चे पीर की आवश्यकताओं पर निबंध तैयार करें।
उत्तरः
मानव की सेवा ही असल में ईश्वर की सेवा है। हमें भगवान को खोजने मंदिर-मस्जिदों में नहीं जाना है। सच्चे दिल से जब हम समाज की सेवा करेंगे हम ईश्वर से पास पहुँच जाएँगे।

‘पीर’ शब्द का अर्थ ही सन्यासी है। भौतिक सुखों को छोड़कर जो समाज की कल्याण के लिए उतरते हैं उन्हें ही पीर या सन्यासी कह सकते हैं। पीर बनने के लिए किसी वेष-भूषा की ज़रूरत नहीं है। सच्चे दिल चाहिए। मानव को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए। समाज के पीड़ितों, गरीबों, मजदूरों की पीड़ा समझ लेना चाहिए। जब हम दूसरों की पीड़ा समझ सकेंगे तभी हम एक इचित मानव बन पाएँगे। हमारे समाज में ऐसे बहुत ही .. इंसान है जो अपने सुखों को त्यागकर दूसरों की भलाई के लिए उतरे हैं। ऐसे लोगों से प्रेरणा पाकर प्रत्येक विद्यार्थी को समाज की भलाई के लिए कर्म निरत रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन का लक्ष्य केवल स्कूली शिक्षा नहीं बल्कि समाज एवं अपने वातावरण से उत्पन्न अनुभवों से जानकारी प्राप्त करना भी है। अपने समाज की भलाई के लिए कर्मनिरत रहना प्रत्येक नागरिक का दायित्व भी है। विद्यार्थी लोगों का इसमें खास योगदान है। एक अच्छे समाज एवं मानवराशी के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पीर बनना ही चाहिए।

‘सौ वर्ष का एकांत’ गेब्रियल गार्सिया मार्वेज़ का विख्यात उपन्यास है। इस उपन्यास के छपते ही मार्वेज़ का नाम विश्व के महान उपन्यासकारों में शामिल हो गया। इसकी लाखों प्रतियाँ प्रकाशित हुईं। संसार भर के साहित्य प्रेमी पाठकों ने इसे पूरी रुचि से पढ़ा। इसके संसार की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हुए। वे इतने अधिक प्रसिद्ध हो गए थे कि उनसे मिलने के लिए सालभर पहले समय लेना होता था। इस प्रसिद्धि के बाद भी वे हर दिन सुबह नौ बजे से दोपहर के तीन बजे तक लिखने का कार्य किया करते थे। उनकी यह दिनचर्या तीस-चालीस वर्षों तक चली। इतने कठिन परिश्रम से ही यह संभव हुआ कि उन्होंने एक के बाद दूसरा सुंदर उपन्यास लिखा। कई सुंदर कहानियाँ लिखीं।

प्रश्न 14.
मार्वेज़ का बहुचर्चित उपन्यास कौन सा है?
उत्तरः
सौ वर्ष का एकांत

प्रश्न 15.
मावेज़ के कठिन परिश्रम का क्या फायदा हुआ?
उत्तरः
अपने कठिन परिश्रम का फायदा यह हुआ कि उन्होंने एक के बाद दूसरा सुंदर उपन्यास लिखा।

प्रश्न 16.
‘सौ वर्ष का एकांत’ की क्या-क्या खूबियाँ थीं?
उत्तरः
इस उपन्यास के छपते ही मावेज़ का नाम विश्व के महान उपन्यासकारों में शामिल हो गया। इसकी लाखों प्रतियाँ प्रकाशित हुई। वे इतने प्रसिद्ध हो गए कि उनसे मिलने के लिए सालभर पहले समय लेना होता था।

प्रश्न 17.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
गब्रियेल गार्सिया मावेज़ का विख्यात उपन्यास ‘सौ वर्ष का एकांत’ के प्रकाशन से ही वह अत्यंत ख्यातिप्राप्त हो गया। इस प्रसिद्धि के बाद भी वे हर दिन कुछ समय अपना लेखन कार्य करते थे। तीस-चालीस वर्षा की इस दिनचर्या और कठिन परिश्रम के फलस्वरूप उन्होंने अनेक सुंदर उपन्यास और कहानियाँ लिखा।

प्रश्न 18.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक लिखें।
उत्तरः
गाब्रियल गार्सिया मावेज़

प्रश्न 19.
‘युवा पीढ़ी पर मोबाइल फोण का प्रभाव’ विषय पर संकेतों की मदद से स्कूल पत्रिका में प्रकाशित करने योग्य एक लेख तैयार करें।
उत्तरः
प्र युवा पीढ़ी पर मोबाइल फोण का प्रभाव
विज्ञान का एक नूतन आविष्कार है मोबाइल फोण | आधुनिक बदलते युग में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया का हर बदलाव उसी क्षण में ही विभिन्न जगहों में पहुँचाने में मोबाइल फोण का महत्वपूर्ण योगदान है। हर वैज्ञानिक आविष्कारों का गुण और दोष है। मोबाइल फोण भी इससे अलग नहीं है। आगे हम इसके लाभ और हानियों के बारे में चर्चा करेंगे।

सुविधाजनकः मोबाइल फोण अत्यंत सुविधाजनक है। इसके माध्यम से खबरों को ही नहीं हर बात दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हम समय समय पर जान सकते हैं।

बहुआयामीः आज मोबाइल फोण केवल एक फोण न होकर एक बहुआयामी चीज़ बन गया है। मोबाइल फोण आज तो सबसे बड़ा मनोरंजन के माध्यम बन गया है।

ज्ञानार्जन का साधनः ज्ञानार्जन के लिए भी आज मोबाइल फोण अत्यंत उपयोगी है। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित और दुनिया के हर परिवर्तन से संबंधित सभी प्रकार के खबरें इसके द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

अंतर्जाल का सदुपयोगः मोबाइल फोण के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी परिवर्तन है अंतर्जाल का उपयोग। इसके माध्यम से क्षण-क्षण में होनोवाले परिवर्तन दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हम जान सकते हैं। अंतर्जाल का सदुपयोग से किसी को हानी नहीं पहूँचेगा।

खर्चीलाः विज्ञान के नए आविष्कारों के अनुरूप आज मोबाइल फोण खर्चीला भी बन गया है। इसलिए साधारण जनता के लिए यह अत्यंत हानिकारक भी बन गया है।

तंदुरुस्ती के लिए हानिहारकः मोबाइल फोण से उत्पन्न रेडियेशन कैन्सर जेसे भयानक बीमारियों का कारण बन गया है। इसलिए मोबाइल फोण के उपयोग में आदमी को खुद नियंत्रण रखना है।

अंतर्जाल का दुरुपयोगः अंतर्जाल विज्ञान का सबसे बड़ा देन है। लेकिन इसका दुरुपयोग अत्यंत खतरनाक भी बन गया है। इसलिए अंतर्जाल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
विज्ञान का सबसे श्रेष्ठ चमत्कारों में एक है मोबाइल फोण का आविष्कार । हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए।

वह भटका हुआ पीर Profile

डॉ. राज बुद्धिराजा ने हिन्दी की लगभग सभी विधाओं में अपनी क्षमता दिखाई। उनका जन्म लाहोर में 1937 को हुआ था। उन्होने लगभग तीन सौ संस्मरण लिखे है। ‘सफर की यादें’, ‘साकूरा के देश में’, ‘दिल्ली अतीत के झरोखे से’, ‘हाशिए पर दिल्ली’ आदि अपके संस्मरणों के संग्रह है। जापान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से वे सम्मानित है।
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वह भटका हुआ पीर (संस्मरण) Summary in Malayalam

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Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 1 कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी (कविता)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 1 कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 Chapter 1 कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी (कविता)

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(Text Book Page No. 84-88)
प्रश्न 1.
कविता के निम्नलिखित वाक्यांश किससे संबंधित हैं? कुमुद फूल या लड़की से?
उत्तरः
1. ईश्वर का इष्ट नैवेद्य – कुमुद फूल
2. लंबे डंठलों के छोरों पर खिले – कुमुद फूल
3. मुरझाये फूल की डंठल-ज्यो – लड़की
4. दीन स्वर में प्रार्थना करती – लड़की

प्रश्न 2.
लटकते हुए लंबे डेठलों की तुलना किससे की गई हैं?
उत्तरः
मृत जल-साँप से किया गया हैं।

प्रश्न 3.
हाय! मुरझा रहे दो सुकोमल रूप’ – कौन-कौन-से हैं?
उत्तरः
कुमुद फूल और फूल बेचनेवाली लड़की – दोनों मुरझाया गया हैं।

अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 1.
कविता की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
श्री ओ.एन.वी. कुरुप मलयालम् के लोकप्रिय कवि हैं। भूमिक्कोरु चरमगीत उनके प्रसिद्ध कविता-संग्रह हैं।
‘कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी कविता में फूल बेचनेवाली एक लड़की की बेबसी का चित्रण है, मंदिर में आराधना के लिए आनेवाला भक्त कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी को देखता है और लड़की की बुरी हालत देखता है। वह लड़की की फूल का पैसा देता हैं फूल नहीं लेते हैं। उसे लगता है कि फूल और लड़की मुरझाया गया है। भक्त को लगता है कि भगवान को फूल देने से अच्छा है एक गरीब लड़की की सहायता करना।

आज के समाज में प्रासंगिकता रखनेवाली कविता है यह। मानवता की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य हैं। सरल भाषा में गरीबों की हालत को सुधारने के कर्तव्य को कवि
व्यक्त किया है।

प्रश्न 2.
वर्तमान सामाजिक परिस्थिति में उपर्युक्त कविता की प्रासंगिकता पर चर्चा करके, टिप्पणी तैयार करें।
उत्तरः
कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी’ श्री. ओ.एन.वी.कुरुप की प्रसिद्ध कविता हैं। वर्तमान सामाजिक जीवन के एक मार्मिक चित्र यहाँ पेश किया है। मंदिरों और मस्जितों में प्रार्थना के लिए कई लोग जाते हैं। कई गरीह लोग भी आजीविका के लिए ऐसी जगहों में आते हैं, भारत में गरीबों के संख्या कम नहीं है, लड़की होने के बाबजूद भी. पढने के लिए न जाकर फूल बेचने के लिए विवश लड़की का चित्रण यहाँ किया गया हैं। कविता में वर्णित व्यक्ति नैवेद्य फूल के दाम लड़की को देता है, यहाँ मनुष्यता प्रकट करने की आवश्यकता को दिखाया हैं, मानवता मनुष्य को अन्य जीवियों से अलगां करते हैं। दूसरों केलिए हमें कुछ न कुछ करना ही चाहिए। मानवता कम होते इस समाज में इसी प्रकार का विचार आवश्यक हैं।

Plus Two Hindi कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी (कविता) Important Questions and Answers

पुराना देवालय
उसके निकट है कुमुद-सरोवर
रास्ते में पूजा-द्रव्य
बेचनेवालों के कितने ही दल;

‘इधर इष्टदेव का
इष्ट नैवेद्य है कुमुद फूल
मार्गदर्शी ज्यों
यों कहकर किसी कोने में,
मृत जल-साँप ज्यों
लटके लंबे डंठलों के
छोरों पर खिले
श्वेत कुमुद फूल बेचनेवालियाँ,
‘मेरे हाथ से, मेरे हाथ से।’

प्रश्न 1.
यह कवितांश किस कविता’ का है?
(सपने का भी हक नहीं, कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की, आदमी का चेहरा)
उत्तरः
कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की।

प्रश्न 2.
कुमुद सरोवर कहाँ है? |
उत्तरः
प्र कुमुद सरोवर पुराना देवालय के निकट है।

प्रश्न 3.
इष्टदेव का इष्टनैवेद्य क्या है?
उत्तरः
प्रय इष्टदेव का इष्टनैवेद्य है कुमुद फूल ।

प्रश्न 4.
कवि ने लटके लंबे डंठलों की तुलना किससे की है?
उत्तरः
कवि ने लटके लंबे डंठलों की तुलना मृत जल-साँव से की है।

प्रश्न 5.
अनूदित कविताओं की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
ओ.एन.वी.कुरुप मलयालम् के लोकप्रिय कवि है। उनकी विख्यात कविता है “आंबलपूवु विलकुन्न पेणकुट्टी।” इस कविता का अनुवाद डॉ.एस.तंकमणी अम्मा द्वारा की गयी है जिसका नाम है कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की। इसमें कुमुद फूल बेचनेवाली एक लड़की की माध्यम से एक सामाजिक सच्चाई की ओर इशारा की है।

पुराना देवालय के पास रास्ते में कुमुद फूल बेचनेवाली अनेक लड़कियाँ हैं। मंदिर में आनेवाले प्रत्येक लोगों के पास जाकर वे फूल बेचने की कोशिश कर रही हैं। अपनी गरीबी, बेबसी और भूख के कारण ही ये लोग ऐसा कर रही है।

कुमुद फूल बेचनेवाली लड़कियों के माध्यम से कवि ने एक सामाजिक सच्चाई को यहाँ दिखाया है। आज के समाज में प्रासंगिकता रखनेवाली कविता है यह। इस कविता के माध्यम से कवि ने यह बताया है कि गरीबों की भूख मिटाने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है।

“हे फूल, तू अन्न है इस छोटी बहन के लिए
इससे बढ़कर पुण्य भला क्या है!
तुझे चढ़ाकर भला अब
क्या पाऊँ मैं…..!’
खाली हाथ,
आगे बढ़ जाता हूँ मैं
‘मेरे हाथ से, मेरे हाथ से’
का दीन स्वर धीमा होता जाता है…..।

प्रश्न 6.
यह कैसा काव्य हैं?
(अनूदित काव्य, खंड काव्य, विलाप काव्य, महाकाव्य)
उत्तरः
अनूदित काव्य

प्रश्न 7.
‘तुझे चढ़ाकर भला आब
क्या पाऊँ मैं……!’ किसे चढ़ाकर?
उत्तरः
म कुमुद फूल को चढ़ाकर

प्रश्न 8.
‘हे फूल, तू अन्न है इस छोटी बहन के लिए…..’ कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तरः
फूल के दाम के रूप में उसके साथ में जो सिक्का मिलता है, वही सिक्के से वह अन्न खरीदता है। इसलिए कवि ऐसा कहता है।

प्रश्न 9.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
ओ.एन.वी.कुरुप मलयालम के लोकप्रिय कवि है। उनकी विख्यात कविता है “आंबलपूवु विलकुन्न पेणकुट्टी।” इस कविता का अनुवाद डॉ. एस.तंकमणी अम्मा द्वारा की गयी है जिसका नाम है कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की। इसमें कुमुद फूल बेचनेवाली एक लड़की के माध्यम से एक सामाजिक सच्चाई की ओर इशारा की है।

कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की के लिए यह फूल उसका अन्न है। फूल के दाम के रूप में जो पैसा उसे मिलता है, वही पैसा इकट्ठा करके वह अपने लिए अन्न खरीदती है। कवि को लगता है इस छोटी लड़की को अन्न के लिए पैसा देने से बढ़कर पुण्य और कुछ भी नहीं है। इसलिए मंदिर में फूल चढ़ाए बिना कवि वापस चला जाता है।

कुमुद फूल बेचनेवाली लड़कियों के माध्यम से कवि ने एक सामाजिक सच्चाई को यहाँ दिखाया है। आज के समाज में प्रासंगिकता रखनेवाली कविता है यह। इस कविता के माध्यम से कवि ने यह बताया है कि गरीबों की भूख मिटाने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है।

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Profile

ओ. एन. वी कुरुप मलयालम के लोकप्रिय कवि है। उनका जन्म 1931 को केरल प्रांत के कोल्लम के चवरा नामक गाँव में हुआ। ‘ताहिक्कुन्न पानपात्रं, ‘माटुविन चट्टले’, ‘भूमिक्कु ओरु चरमगीत’ आदि उनके प्रसिद्ध कवितासंग्रह है। 2007 के ज्ञानपीठ पुरस्कार और 2011 के पद्मविभूषण पुरस्कार से वे सम्मानित है।
कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Profile 1
कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Profile 2

अनुवादिका – डॉ. एस. तंकमणि अम्मा

हिन्दी मौलिक लेखन तथा अनुवाद के क्षेत्र में डॉ. एस. तंकमणि अम्मा की अलग पहचान है। उनका जन्म 1950 को तिरुवनंतपुरम में हुआ था। ‘गोत्रयान’, ‘स्वयंवर’, ‘लीला’, ‘एक धरती एक आस्मान एक सूरज’ आदि उनकी अनूदित काव्य रचनाएँ हैं। राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, सौहार्द पुरस्कार, द्विवागीश पुरस्कार आदि से वे सम्मानित है।
कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Profile 3
कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Profile 4

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Summary in Malayalam

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Summary in Malayalam 1

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी शब्दार्थ

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Summary in Malayalam 2

कुमुद फूल बेचनेवाली लडकी Summary in Malayalam 3

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 बुझा दीपक जला दो

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 बुझा दीपक जला दो Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 बुझा दीपक जला दो

बुझा दीपक जला दो इकाई परिचय :

चोथी इकाई है ‘बुझा दीपक जला दो’ दूसरों का उपकार करते हुए हमें पूरा सुख तक मिलता है जब हमारा कर्म स्वार्थता से परे हो। हम सब दूसरों का उपकार करना तो चाहते हैं, पर साहस के अभाव में हम कुछ नहीं कर पाते। मलयालम के विख्यात कवि ओ. एन.वी. कुरुप की कविता का हिंदी अनुवाद ‘कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की’ इकाई का पहला पाठ है। इसमें भगवान पर फूल चढ़ाने का पैसा फूल बेचनेवाली लड़की की भूख मिटाने को देनेवाला भक्त मानवता का अनोखा रूप प्रस्तुत करता है। अपनी गाड़ी में दिल्ली के रास्ते पर प्यासे-तड़पे लोगों को अपने ही खर्च से पानी पिलानेवाला गाडीचालक दूसरे पाठ में हमें आश्चर्य में डाल देता है। इकाई का तीसरा पाठ ‘आदमी का चेहरा’ नामक कविता है। अपने सामान उठानेवाले कुली को लंबे अरसे के बाद इनसान के रूप में पहचाननेवाला व्यक्ति एक अनमोल संदेश दे रहा है। अंतिम पाठ एक व्यंग्य है जो जीवन की अस्थिरता की याद दिलाता है। संक्षेप में इकाई परोपकार और मानवता का संदेश देती है।

बुझा दीपक जला दो इकाई परिचय : (Malayalam)

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 बुझा दीपक जला दो 1

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 4 बुझा दीपक जला दो 2

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा)

ज़मीन एक स्लेट का नाम है (Text Book Page No. 57-64)

प्रश्न 1.
चित्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः
ए.पि.जे.अब्दुलकलाम और उसके आत्मकथा का चित्र है।

प्रश्न 2.
अग्नि की उड़ान किस विधा की रचना है?
उत्तर:
आत्मकथा । (auto biography)
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) Page 57 Q2

मेरी खोज

प्रश्न 1.
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) मेरी खोज Q1
उत्तरः
कल राजिस्ट्रि के बाद ज़मीन अपनी कहाँ रह जाएगी, मैंने झुककर मिट्टी को छुआ। मगर ज़मीन की विदाई आज ही हो रही थी।

प्रश्न 2.
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) मेरी खोज Q2
मैं ज़मीन नहीं बेचता
……….
मैं बेचता हूँ।
ज़मीन की तुलना हृदय से क्यों की गई है?
उत्तरः
जिसप्रकार एक व्यक्ति के जीवन केलिए हृदय जितना आवश्यक है उसी प्रकार लेखक और पिताजी केलिए ज़मीन उतना ही आवश्यक था। इसलिए ज़मीन की तुलना हृदय से की गई है।

प्रश्न 3.
पाठभाग की कविता केलिए शीर्षक लिखें।
उत्तरः
ज़मीन/हृदय/जीवन

अनुवर्ती कार्य (P.62)

प्रश्न 1.
डायरी लिखें।
(आपको सहायक संकेत के साथ एक डायरी लिखने की आवश्यकता है)
उत्तरः

डायरी

सोमवार
07.07.15

आज मेरी जीवन में एक विशेष दिन है, मेरी शादी की तैयारियाँ हो रही है। पिताजी और भाई शादी के खर्च केलिए ज़मीन बेच रहे हैं। मुझे मालूम है कि वह ज़मीन दोनों के जीवन से कितना संबध रखता हैं। फिर भी वे मेरी शादी केलिए ज़मीन बेच रहा है। कुछ ही दिनों में मेरी शादी हो जाएगी और मैं यह घर छोडकर दूसरा घर जाएगी। मेरे परिवारवालों ने मेरेलिए कितना कष्ट सहन करते हैं। पति के घर जाकर मुझे खुशी मिलेगी या नहीं – पता भी नहीं, सबकुछ देखकर मुझे थोडा सा डर हो रहा है। ईश्वर मेरी रक्षा करें।

प्रश्न 2.
आलेख लिखें।
उत्तरः
“शादी के नाम पर होनेवाले आडंबर और दुर्व्यय” – विषय पर मैं आज एक आलेख प्रस्तुत कर रहा हूँ। आज हमारे समाज में शादी एक ऐसा मौका है जिसमें आडंबर और दुर्व्यय हो, शादी एक पवित्र बंधन है। वहाँ प्रेम को प्रमुखता है। यह दो व्यक्तियों के ही नहीं, दो परिवार – दो समाज – के बीच के रिश्ता है। आज की शादी को देखिए साधारण लोग भी कर्ज़ लेकर शादी के अवसर पर इतना खर्च करते हैं कि करना ही शादी है। खर्च बढाना आज एक आदत बन गया है। अमीर लोगों के नकल करना साधारण लोग भी पसंद करते हैं।

दहेज प्रथा भी आज बढ़ते जा रहा है। दहेज देना और स्वीकार करना एक आदत हो गया। कानूनन अपराध होने पर भी दहेजप्रथा समाज में सर्वत्र देख सकता है। हमें सोचना चाहिए कि क्या हम सही दिशा पर चल रहे हैं। आनावश्यक खर्च और आडंबर हमारे नाश की ओर हमें ले जाएँगे। सोच-विचार के साथ हमें इस विपत्ति के विरुद्ध आवाज़ उड़ाना चाहिए। छात्र जीवन में ही इसके विरुद्ध हमें जानकारी हाजिल करना है।

प्रश्न 3.
टिप्पणी।
उत्तरः
एकांत श्रीवास्तव की आत्मकथा “ज़मीन एक स्लेट का नाम है” में लेखक एक पिता के विवशता को दिखाया है। बेटी की शादी के खर्च केलिए वह अपना ज़मीन बेच रहा है। ज़मीन से उसका संबंध जितना गहरा था बेटी भी उतनी प्यारी थी। ज़मीन उसको अपना हृदय के समान है। फिर भी बेटी और परिवार के लिए वह ज़मीन बेचने केलिए तैयार हो जाता है।

एक अच्छे पिता का चित्रण यहाँ देख सकता है। आज प्रेम और रिश्ते केवल दिखावा हो रहा है। लेकिन एक ऐसा परिवार के चित्रण से आज भी प्रेम की गहराई को यहाँ दिखाया है।

Plus Two Hindi ज़मीन एक स्लेट का नाम है Important Questions and Answers

सूचनाः
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का अंश पढ़ें और 5 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
‘हमारे पास समय न था। शादी की तैयारियां शुरू करनी थीं। भविष्य निधि से भी कुछ हज़ार रुपए पिताजी निकाल लाए थे। दीदी बहुत भावुक हो गई थी और बात-बात में रो पड़ती थी। मंडप लगा दिया गया। शादी के कार्ड छप गए। मेहमान आने लगे। हल्दी-तेल चढ़ाना शुरू हो गया। हम सब व्यवथा से संतुष्ट थे पर मन जैसे अबी से खाली-खाली और उदास था। जो उपस्थित था उसकी अनुपस्थिति अभी से दिल में घर कर गई थी।

प्रश्न 1.
“ज़मीन एक स्लेट का नाम है” किसकी रचना है?
(हिमांशु जाशी, मैथिली शरण गुप्त, एकांत श्रीवास्तव, अमृता प्रीतम)
उत्तरः
एकात श्री वास्तव

प्रश्न 2.
पिताजी किससे रुपए निकाल लाए थे।
उत्तरः
पिताजी भविष्य निधि ने कुछ हज़ार रुपए निकाल लाए थे।

प्रश्न 3.
शादी की क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?
उत्तरः
रुपए का बंदोबस्त हो गयी थी। मंडप लग दिया गया। शादी के कार्ड छप गए। मेहमान आने लगे, हल्दी-तेल चढ़ाना शुरू हो गए।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
लेखक की दीदी की शादी की तैय्यारियाँ हो रहे थे। लेकिन एक चीज़ की अनुपरस्थिति की चिंता सभी के मन को उदास कर रहे थे।

प्रश्न 5.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उत्तरः
दीदी की शादी।

आत्मकथा का अंश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

उनकी पीड़ा मैं समझ रहा था। मुझे खुद बहुत अच्छा नहीं लग रहा था। खेतों में पहुँचकर वे सूर्यास्त तक उन खेतों में टहलते रहे जो बिकनेवाले थे। वे खामोश थे। कुछ बोल नहीं रहे थे। मगर उनके भीतर का हाहाकार मेरी समझ में आ रहा था। मैंने झुककर मिट्टी को छुआ – चुपचाप – पिताजी के देखे बगैर। क्या जमीन एक स्लेट का नाम है जिसपर हमारे बचपन की कविता लिखी है ? या शायद एक फूल का नाम जिसके रंग में हमारे रक्त की चमक है?

प्रश्न 1.
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ किसकी रचना है?
उत्तरः
एकांत श्रीवास्तव
(मैथिली शरण गुप्त,एकांत श्रीवास्तव,हिमांशु जोशी,जे बाबू)

प्रश्न 2.
पिताजी ने रजिस्ट्री के एक दिन पहले ही खेत में चलने को क्यों कहा?
उत्तरः
रजिस्ट्री के बाद खेत परायों का हो जाएगा। दूसरों की खेत देखना उसे पसंद नहीं है।

प्रश्न 3.
खेत में पहुँचकर पिताजी ने क्या क्या किया?
उत्तरः
सा सुबह से शाम तक वह खेतों में टहलते रहा। किसी से वह कुछ कह नहीं पा रहा था।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
अपना – पराया
लेखक और पिता खेत पहूँचे। पिता को वहाँ खामोश टहलते देखकर लेखक में मन में भी मिट्टी के प्रति लगाव हो गया। उसके मन में यह शंका उत्पन्न हो गया कि असल में क्या है? यह खेत एक स्लेट ही है?

प्रश्न 5.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उत्तरः
मिट्टी और मानव।

सूचनाः
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का यह वाक्य पढ़ें।
बेटी के विदा होने में अभी दो-चार दिन वक्त था। मगर ज़मीन की विदाई आज ही हो रही थी।

प्रश्न 1.
उपर्युक्त वाक्य के आधार पर पिताजी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
“ज़मीन एक स्लेट का नाम है” पाठभाग का पिताजी आज के साधारण जनता का प्रतीक है। बैटी एवं अपने ज़मीन से उनका गहरा संबंध है। उसका बचपन और यौवनकाल ज़मीन से जुड़ा है। परिवार और ज़मीन दोनों के प्रति उनका लगाव आज के पीढ़ी को समझना चाहिए।

सूचना:
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का अंश पढ़ें।
कल रजिस्ट्री के बाद वह ज़मीन अपनी कहाँ रह जाएगी। फिर दूसरों की ज़मीन में क्या जाना ।

प्रश्न 1.
इस कथन के आधार पर लेखक के पिताजी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
लेखक के पिताजी एक साधारण व्यक्ति है जो अपने ज़मीन और बेटी को प्यार करता है। वह एक अच्छा पिता है जो बेटी केलिए अपना ज़मीन बेचते हैं। वह एक अच्छा किसान है जो धरती को केवल पैसा नहीं मानता है। उसे सहानुभूति हैं। वह प्रकृति को मानते है। अपने यादों को मन में जमाते है। एक सकारात्मक पात्र है पिताजी।

प्रश्न 2.
“सामान लाना इसलिए ज़रूरी था कि अगले वर्ष पुनः साक्षात्कार में मैं चुन ही लिया जाऊँ – इसकी गारंटी नहीं थी।” ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ का यह वाक्य वास्तव में एक बेकार युवक की बेचैनी को व्यक्त करता है। नौजवानों की बेकारी के कारण और उसे दूर करने के मार्गों पर अपना मंत व्यक्त करते हुए निबंध लिखें।
उत्तरः
बेकारी – एक समस्या
भारत एक प्रगतिशील राष्ट्र है। भारत की प्रगति में हरेक भारतीय का अलग पहचान और परिश्रम है। भारत के नौजवान अपनी मातृभूमि की प्रगति के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। फिर भी नौजवानों के बीच बेकारी की समस्या खूब मात्रा में बढ़ रही हैं। इसके बारे में हम। यहाँ चर्चा करेंगे।

बढ़ती आबादीः बेकारी का मूल कारण भारत की बढ़ती आबादी ही है। आबादी के बढ़ने के कारण पढ़े-लिखे नौजवानों को भी काम-धंधे का अवसर नष्ट हो रहे हैं। बढ़ती आबादी के अनुकूल यहाँ नौकरी का अवसर नहीं है।

सही मार्गदर्शन अभावः जितना ही यहाँ काम-धंधे का अवसर है इनसे आज के नौजवान अपरिचित भी है। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न नौकरी के बारे में भी लोगों को परिचित करवाना है। ऐसा करने से एक हद तक बेकारी की समस्य दूर कर सकते हैं।

मशीनीकरण का प्रचारः आज हर कहीं मशीनीकरण हो रहा है। दैनिक जीवन में छोटे-छोटे क्षेत्रों से लेकर बड़े बड़े दफ्तरों तक हर कहीं आदमी को छोड़कर मशीन काम कर रहा है। बेकारी बढ़ाने में यह भी एक कारण बन गया है।

सभी कामों के महत्व की पहचानः आज पढ़े-लिखे लोग केवल दफ्तरी कामकाज ही पसंद करते हैं। छोटे छोटे काम करने के लिए कोई भी तैयार नहीं हैं। इसलिए नौजवानों को यह भी समझाना चाहिए कि सभी कामकाज का अपना महत्व है।

कुटीर उद्योगों का प्रचारः कुटीर उद्योगों के प्रचार के साथ | साथ उसके महत्व से भी सभी को परिचित करवाना है।

तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षणः तकनीकी शिक्षा का भी प्रचार सभी जगहों में होना चाहिए। इसके साथ साथ तकनीकी प्रशिक्षण भी होना चाहिए। आज सब कहीं तकनीकी धंधों का प्रचार हो रहा है। लेकिन बहुत सारे नौजवान इससे अनभिज्ञ है। इसलिए तकनीकी शिक्षा का उचित प्रचार एवं प्रशिक्षण से भी बेकारी दूर कर सकते हैं।

रुचि के अनुरूप शिक्षाः आज ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र बहुत बढ़ गया है। छोटी आयु में ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा मिलेगा तो भी बेकारी को एक हद तक रोक सकते हैं। मुख्य कारण है बढ़ती आबादी। भारत क बढ़ती आबादी के अनुकूल यहाँ कामकाज का अवसर नहीं हैं। इसलिए ज़रूर ही आबादी का बढ़ाव रोकना चाहिए।

बेकारी के कुछ कारण और उसे दूर कराने के कुछ उपायों के बारे में यहाँ चर्चा हुई है। अगर हम सब मिलकर कोशिश करेंगे तो ज़रूर ही बेकारी की समस्या को एक हद तक दूर कर सकते हैं।

ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ का यह अंश पढ़ें।
“शादी की तैयारियों शुरू करनी थीं। भविष्य निधि से भी कुछ रुपए पिताजी निकाल लाए थे।”

प्रश्न 1.
भविष्यनिधि से पिताजी को क्यों रुपया लेना पड़ा?
उत्तरः
शादी की तैयारियां शुरू करने के लिए भविष्य निधि से कुछ रुपए निकाल लिए।

प्रश्न 2.
शादी के आड़बर के लिए किया जानेवाला खर्च आज एक सामाजिक दुर्घटना बन गई है। इस विषय पर संगोष्ठी में प्रस्तुत करने केलिए एक आलेख तैयार करें।
उत्तरः
शादी और अडंबर – एक सामाजिक समस्या
शादी एक पवित्र बंधन है। हर व्यक्ति के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण और सुप्रधान मोड़ है शादी। हर माँ-बाप का सपना है अपने बेटे या बेटी की शादी। लेकिन आज शादी के नाम पर जो खर्चा हो रहा हैं वह समाज में अपनी बड़प्पन दिखाने का अवसर मानते हैं कुछ लोग। यह अत्यंत बुरी बात है। ज़रूर इस दुर्व्यय पर रोक डालना चाहिए। आगे हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

दुर्व्यय की आदतः समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने आपको बड़े मानते हैं। उन लोगों का यह गलत विचार है कि शादी अत्यंत धूम-धाम से होनी चाहिए। शादी के नाम पर जितना खर्च करेगा उतना ही इनका इज्ज़त बढ़ेगा। लेकिन यह गलत है।

दिखावे के नाम आडंबरः कुछ लोग अपने बड़प्पन दिखाने केलिए आडंबर के नाम पर दुर्व्यय करते हैं। इन लोगों का नकल करके दिखावा करनेवाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। यह अत्यंत बुरी बात है।

बढ़ती दहेज प्रथाः समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी ईमान दहेज और दिखावे के आधार पर नापते हैं। ऐसे लोग दहेज के नाम पर कुछ भी देने को तैयार होते हैं। समाज में इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

रिश्ते का आधार प्रेमः रिश्ते का आधार दहेज या बाह्य आडंबर न होकर प्रेम होना चाहिए। प्रेम की पवित्रता सभी को पहचानना है। लोगों को यह समझना चाहिए कि सच्चे रिश्ते प्रेम के आधार पर ही पनपते हैं, न दहेज या दिखावे के आधार पर।

आज के समाज में शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय बहुत ही बढ़ गया है। अपने बड़प्पन दिखाने के लिए लोग कर्ज लेकर भी शादी के लिए खर्च करते हैं। फिर वे लोग यह कर्ज चुकाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बरबाद कर डालते हैं। इन्हें जीवन में किसी भी प्रकार के सुकून या आराम नहीं मिलते हैं। ज़रूर ही शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय रोकना ही चाहिए।

प्रश्न 3.
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ के पिता दोनों बिदाइयों से दुःखी है। ज़मीन की रजिस्ट्री के दिन वे अपनी डायरी लिखते हैं। वह डायरी कल्पना करके लिखें।
उत्तरः
Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) Q3

लेकिन क्या करूँ, दोनों मुझसे
बिदा लेने की तैयारी में है…..
बेटी ससुराल जाएगी और मेरा ज़मीन पराया हो जाएगा!
जिसके लिए मैं ने एक-एक पैसा इकट्ठा कर रखा था, सब व्यर्थ हो गया।
जिंदगी ………
ज़िंदगी, कुछ ऐसा ही है।

प्रश्न 4.
“मैं ज़मीन नहीं बेचता बेचता हूँ हृदय”
बेटी की शादी के खर्च के लिए अपने पसीने और खून से भीगी ज़मीन बेचने केलिए पिता विवश हो जाते हैं। वे यह विवशता अपने मित्र से बाँट रहे हैं। दोनों के बीच का वार्तालाप तैयार करें।
उत्तरः
मित्र : नमस्ते, श्रीवास्तवजी।
पिता : नमस्ते, नमस्ते। आइए बैठिए।
मित्र : सुना है मित्र, आपके बेटी की शादी बड़ी धूम-धाम से करवा रहे हैं। बधाई हो।
पिता : मित्र, आप यह क्या कह रहे हैं? अरे, शादी तो करवानी ही है। घर के सभी लोगों ने मिलकर तय किया है, बेटी की शादी बड़ी धूम धाम से करवाने की।
मित्र : अच्छा | यह तो बिलकुल सही है। अब पूरे गाँव में आप ही के बारे में चर्चा है।
पिता : लेकिन मुझे तो यह चर्चा पसंद नहीं है। शादी के नाम पर जो दुर्व्यय हो रहा हैं, ज़रूर ही वह रोकना है।
मित्र : ऐसा क्यों कह रहे हो मित्र?
पिता : सुनो, जी । आप यहाँ जो आड़बर देख रहे हैं, सब के सब दिखावा है। मेरे पास जो कुछ था, सब कुछ मैं ने बेच डाला है, यह दिखावे के लिए।
मित्र : श्रीवास्तवजी, छोड़िए ये सब । आप इतना उदास क्यों हो रहे हैं?
पिता : मित्र, पता है आपको, आज यहाँ दो बिदाइयाँ हो रही हैं। एक है ज़मीन की और दूसरी, बेटी की। दोनों मेरेलिए अत्यंत प्रिय हैं। लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना भी पड़ता है न?
मित्र : आप ने क्या खो दिया है?
पिता : अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करवाने के लिए मैं ने अपना पूरा ज़मीन बेच डाला है। अब मेरे पास कुछ भी नहीं रहा। बेटी भी नहीं और ज़मीन भी नहीं।
मित्र : खैर, छोडिए जी। यह तो आनेवाली पीढ़ी के लिए एक सबक भी है।

प्रश्न 5.
दीदी की शादी केलिए पिता को ज़मीन बेचना पड़ता है। लेखक इससे दुखी है और वह अपनी शादी बिना दहेज और कम खर्च में करना चाहता है। अपना यह विचार व्यक्त करते हुए वह अपने मित्र को एक पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
उत्तरः

बिलासपुर,
30.05.1972

प्रिय मित्र रामगोपाल,
भगवान की कृपा से हम यहाँ खुश हैं और मेरा विश्वास है कि उनकी कृपादृष्टि आप लोगों पर भी खूब छा गई हैं। आपको एक पत्र लिखने के बारे में कई दिनों से मैं सोच रहा हूँ। एक खास बात लिखने के लिए ही मैं यह पत्र लिख रहा हूँ।

पिछले महीने बहिन सोनम की शादी हुई थी। बड़ी धूमधाम से हमने शादी करवाई। सब लोग खुश थे। मगर मेरे पिताजी की आँसू अब भी आँखों के आगे छा गयी है। दहेज और शादी की खर्च के लिए वे अपनी सारी ज़मीन बेचने को विवश हो गए। शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय और दहेज को ज़रूर ही रोकना है। इसलिए मित्र, मैं ने एक ऐसा फैसला किया है कि मैं अपनी शादी बिना दहेज कर लूँगा। रिश्ते का आधार धन नहीं पवित्र प्रेम होना चाहिए। हमारे सभी मित्रों से भी मेरा यह अनुरोध है कि हम सबको मिलकर यह सामाजिक कलंक दूर करना है।

विस्तार से मैं फोन पर बात करूँगा। अब मेरे दफ्तर – जाने का वक्त हो गया है। माँ जी से मेरा प्यार और प्रणाम कहना। इतना लिखकर मैं यह खत यहाँ समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद,

तुम्हारा मित्र,
एकांत श्रीवास्तव

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है। विषय है ‘बदलती जीवन-शैली स्वास्थ्य के लिए खतरा।’ संगोष्ठी में प्रस्तुत करने के लिए एक आलेख तैयार करें।
उत्तरः
‘बदलती जीवन-शैली स्वास्थ्य के लिए खतरा मानव जीवन में स्वास्थ्य का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है। लेकिन आधुनिक युग में मनुष्य ऐसा बदल गया है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलत रहा है।

भोजन शैली में बदलावः मनुष्य के भोजन-शैली में जो बदलाव आ गया है यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। मनुष्य को अपने परिस्थिति के अनुकूल भोजन चुनना चाहिएं।

फास्ट फुड़ के प्रति मोहः फास्ट फुड़ के प्रति जो मोह है ज़रूर ही उसे छोड़ना चाहिए। कँन्सर जैसे बीमारियाँ फास्ट फुड़ के बढ़ती प्रभाव का बुरा असर है।

शाकाहारी भोजन का गुणः शाकाहारी भोजन का महत्व, आधुनिक पीढ़ी को समझाना बहुत ही ज़रूरी एवं उपयोगी है। असल में मनुष्य शाकाहारी है। जब तक हम शाकाहारी भोजन को पूर्ण रूप से न अपनाएँगे तब तक हमारा तन और मन अस्वस्थ ही रहेगा।

प्रकृति की ओर लंगावः मनुष्य को अपनी प्रकृति एवं परंपरा को पहचानना है। अपनी प्रकृति के अनुकूल उन्हें जीवन बिताना है। प्रकृति के प्रति उन्हें लगाव होनी चाहिए।

कई प्रकार की बीमारियाः आज के बदलते युग में मनुष्य कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित हैं। इसका मूल कारण उनका जीवन-शैली और खाने की तरीके में आए बदलाव है। अपने शरीर के अनुकूल हम जीवन बिताएँगे तो ज़रूर ही हम बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

जागरण कार्यक्रमः बिगडते स्वास्थ्य और जीवन शैली के बारे में लोगों को जागृत करना है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को कर्मनिरत रहना चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों में विद्यार्थियों का भी बड़ा योगदान है। प्रत्येक विद्यार्थी को कम से कम अपने परिवारवालों को ही जागृत करना है और समझाना है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।

ज़मीन एक स्लेट का नाम है Profile

एकांत श्रीवास्तव हिंदी के जाने माने लेखक हैं। छत्तीसगढ़ के छुटा गाँव में सन् 1964 को उनका जन्म हुआ था। उनके तीन कविता-संग्रह निकले हैं। ‘मेरे दिन मेरे वर्ष’ उनकी आत्मरचना है। वे केदार सम्मान से सम्मानित हैं।
ज़मीन एक स्लेट का नाम है Profile 1

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ज़मीन एक स्लेट का नाम है Summary in Malayalam

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ज़मीन एक स्लेट का नाम है Summary in Malayalam 4

एक नज़र

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ज़मीन एक स्लेट का नाम है Glossary

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ज़मीन एक स्लेट का नाम है Summary in Malayalam 8

ज़मीन एक स्लेट का नाम है Summary in Malayalam 9

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 4 मंजिल की ओर (पारिभाषिक शब्दावली)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 4 मंजिल की ओर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 4 मंजिल की ओर (पारिभाषिक शब्दावली)

मंजिल की ओर अनुवर्ती कार्य:

प्रश्न 1.
श्रीवास्तव के नाम वीणा का खत।
उत्तरः

कोल्लम,
15.06.2015

आदरणीय श्रीवास्तव जी,

सादर प्रणाम।
आज मेरे जीवन का अच्छे दिनों में एक है। मुझे आज रिजर्व बैंक की हैदराबाद शाखा में राजभाषा अधिकारी के पद पर नियुक्ति पत्र मिली।

इस सुनहरे दिन में मैं अपनी सभी गुरुजनों के आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे हिंदी पढाया है। आपसे भी मैं आभारी हूँ। मैं आपका आशीर्वाद चाहड़ी हूँ।

सधन्यवाद,
आपका प्रिय छात्र
(हस्ताक्षर)
वीणा

प्रश्न 2.
सही मिलान करें।
Geography – ___________
Energy – ___________
Virus – ___________
Equation – ___________
Certificate – ___________
Humanities – ___________
उत्तरः
Geography – भूगोल
Energy – ऊर्जा
Virus – विषाणु
Equation – समीकरण
Certificate – प्रमाण पत्र
Humanities – मानविकी
പാഠപുസ്തകത്തിൽ കൊടുത്തിട്ടുള്ള സാങ്കേതിക പദങ്ങളും അർത്ഥങ്ങളും പഠിക്കുക.

Plus Two Hindi मंजिल की ओर Questions and Answers

प्रश्न 1.
सूचनाः कोष्ठक से सही हिंदी शब्द चुनकर मिलान करें।
Advance – ___________
Percentage – ___________
Geography – ___________
Bacteria – ___________
Humanities – ___________
Energy – ___________
Commerce – ___________
Pattern – ___________
उत्तरः
Advance – पेशगी
Percentage – प्रतिशत
Geography – भूगोल
Bacteria – जीवाणु
Humanities – मानविकी
Energy – ऊर्जा
Commerce – वाणिज्य
Pattem – प्रतिमान

प्रश्न 2.
सूचनाः सही मिलान करें।
Algebra – ___________
Atom – ___________
Commerce – ___________
Physics – ___________
Gravitation – ___________
Bio-chemistry – ___________
Sociology – ___________
Trade Union – ___________
उत्तरः
Algebra – बीज गणित
Atom – परमाणु
Commerce – वाणिज्य
Physics – भौतिकी
Gravitation – गुरुत्वाकर्षण
Bio-chemistry – जैव-रसायन
Sociology – समाज-विज्ञान
Trade Union – श्रमिक-संघ

प्रश्न 3
सूचना : सही मिलान करें।
Copyright – ___________
Atom – ___________
Zoology – ___________
Commerce – ___________
Sociology – ___________
Radiation – ___________
Constitution – ___________
Typist – ___________
(समाज विज्ञान, विकिरण, सर्वाधिकार, संविधान, टंकक, वाणिज्य, जंतु विज्ञान, परमाणु, गणतंत्र )
उत्तरः
Copyright – सर्वाधिकार
Atom – परमाणु
Zoology – जंतु विज्ञान
Commerce – वाणिज्य
Sociology – समाज विज्ञान
Radiation – विकिरण
Constitution – संविधान
Typist – टंकक

प्रश्न 4.
सूचनाः कोष्ठक से सही हिंदी शब्द चुनकर मिलान करें।
Accountancy – रक्तचाप
Atmosphere – वाणिज्य
Blood pressure – सर्वाधिकार
Commerce – वायुमंडल
Ecology – टीकाकरण
Copyright – पारिस्थितिकी
Vaccination – विषाणु
Virus – लेखाशास्त्र
उत्तरः
Accountancy – लेखाशास्त्र
Atmosphere – वायुमंडल
Blood Pressure – रक्तचाप
Commerce – वाणिज्य
Ecology – पारिस्थितिकी
Copyright – सर्वाधिकार
Vaccination – टीकाकरण
Virus – विषाणु

प्रश्न 5.
सूचनाः कोष्ठक से सही हिंदी शब्द चुनकर मिलान करें।
Affidavit – प्रमाण पत्र
Biodiversity – विकिरण
Certificate – शपथ पत्र
Discount – विषम संख्या
Geography – जैव-विविधता
Odd number – बट्टा
Bacteria – भूगोल
Radiation – जीवाणु
उत्तरः
Affidavit – शपथ पत्र
Biodiversity – जैव-विविधता
Certificate – प्रमाण पत्र
Discount – बट्टा
Geography – भूगोल
Odd number – विषम संख्या
Bacteria – जीवाणु
Radiation – विकिरण

प्रश्न 6.
सूचनाः सही मिलान करें।
1. Commerce – परमाणु
2. Atom – श्रमिक-संघ
3. Algebra – समाज-विज्ञान
4. Bio-Chemistry – भौतिकी
5. Trade Union – गुरुत्वाकर्षण
6. Physics – जैव रसायन
7. Sociology – बीज गणित
8. Gravitation – वाणिज्य
उत्तरः
Commerce – वाणिज्य
Atom – परमाणु
Algebra – बीज गणित
Bio-Chemistry – जैव रसायन
Trade Union – श्रमिक-संघ
Physics – भौतिकी
Sociology – समाज-विज्ञान
Gravitation – गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 7.
सूचनाः कोष्ठक से सही शब्द चुनकर लिखें। (बट्टा, विषाणु, उपग्रह, समीकरण, प्रतिशत, उदारतावाद, दर्शनशास्त्र, विकिरण)
1. Discount – ___________
2. Equation – ___________
3. Liberalism – ___________
4. Percent – ___________
5. Philosophy – ___________
6. Radiation – ___________
7. Satellite – ___________
8. Virus – ___________
उत्तरः
1. Discount – बट्टा
2. Equation समीकरण
3. Liberalism – उदारतावाद
4. Percent – प्रतिशत
5. Philosophy – दर्शनशास्त्र
6. Radiation – विकिरण
7. Satellite – उपग्रह
8. Virus – विषाणु

मंजिल की ओर Summary in Malayalam

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 4 मंजिल की ओर (पारिभाषिक शब्दावली) 1

मंजिल की ओर Summary in Malayalam 1

मंजिल की ओर Summary in Malayalam 2

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत)

प्रश्न 1.
फ़िल्मी गीत आपको पसंद है न?

प्रश्न 2.
हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने में फिल्मी गीत कहाँ तक उपयोगी है?

प्रश्न 2.
इन शब्दों के समानार्थी शब्द गीत में ढूँढ़ें। दुख, दृष्टि, अलग, क्रोध, ईश्वर, आशीर्वाद  चुनकर लिखें।
उत्तरः
दुख : गम
दॄष्टि : नजऱ
अलग : जुदा
क्रोध : खफा
ईश्वर : खुदा
आशीर्वाद : दुआ

प्रश्न 3.
दोस्ती को सूचित करनेवाली आपकी पसंद की सबसे श्रेष्ठ पंक्ति?
उत्तरः
ये दोस्ती
हम नहीं तोडेंगे
तोडेंगे दम मगर
तेरा साथ ना छोडेंगे

दोस्ती अनुवर्ती कार्य:

प्रश्न 1.
अस्यादन टिप्पणी।
उत्तरः
श्रेष्ठ हिंदी गीतकार श्री आनंद बख्शी का जन्म सन् 1930 को वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ। ‘भला आदमी’ फिल्म में उनका पदार्पण हुआ। उनका प्रसिद्ध गीत है ‘शोले’ फिल्म की ‘ये दोस्ती……’। इस गीत का संगीतकार आर.डी.बर्मन और पार्श्वगायक किशोर कुमार और मन्ना डे हैं।

हमारा दोस्ती हम नहीं तोडेंगे, मृत्यु के अवसर पर भी तेरा साथ नहीं छोड़ेंगे। दोस्ती को बनाए रखने केलिए जान भी देने केलिए ये दो मित्र तैयार है। दोनों का दुख और जान भी एक है। दोनों की दृष्टि एक समान है, सुख और दुख में दोनों एक साथ रहते हैं। दोनों कोशिश करते हैं कि अगर ईश्वर की कृपा हो तो यह दोस्ती इसी तरह आगे जाएगा/रहेगा।

प्रश्न 2.
‘ये दोस्ती’ गीत का औचित्य।
उत्तर:
जावेद अख्तर और सलीम खान की पटकथा पर रमेश सिप्पी के निर्देशन में 1975 में बनी ‘शोले’ हिंदी फिल्मी जगत् की एक खास देन है।

फिल्म एक समस्या पर आधारित है, जो छठे एवं सातवें दशकों में उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के आम जनता केलिए भीषण समस्या रहा। डाकुओं ने अनेक निरीह लोगों को लूट-मारा था। अनेक पुलिस अधिकारी घायल हुए। सेवानिवृत्त पुलीस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह रामगढ गाँव में रहते हैं। गब्बर सिंह एक डाकु था। गब्बर सिंह को दबाना, ठाकुर के जीवन का चरम लक्ष्य रहा। इसकेलिए वीरु और जय नामक दो युवकों की नियुक्ति करते हैं, दोनों घनिष्ठ दोस्त है।

फिल्म का श्रेष्ठ गीत है ‘ये दोस्ती’। घनिष्ठ मित्र वीरू और जय एक बैक में यात्रा करते हुए यह गाते हैं। यह गीत बिलकुल संदर्भानुकूल है। दोनों मित्र हमेशा एक साथ रहते हैं, जेल में भी एक साथ रहे हैं।

प्रश्न 3.
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 1
उत्तर:
1. कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कही
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिए

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
के वदन ये निगाहें, मेरी अमानत है
ये गेसुओं की घनी छाँव है मेरी खातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत है

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयाँ सी राहों में
सुहाग रात है चूंघट उठा रहा हूँ मैं
सीमट रही है, तू शरमा के अपनी बाहों में

कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्रभर यूही
उठेगी मेरी तरफ प्यार की नज़र यूँ ही
मैं जानता हूँ के तू गैर है मगर यूँ ही

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 2

2. कभी सोचता हूँ के मैं खुद कहू
कभी सोचता हूँ के मैं चुप रहू
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िन्दगीभर वो सदाये पीछा करती है
आदमी जो देता है, आदमी जो लेता है,
ज़िन्दगीभर वो दुवायें पीछा करती है
कोई भी हो हर ख्वाब तो सच्चा नहीं होता
बहोत ज़्याद प्यार भी अच्छा नहीं होता
कभी दामन छुडाना हो तो मुश्किल हो
प्यार के रिश्ते टूटे तो, प्यार के रस्ते छूटे तो
रास्ते में फिर वफ़ायें पीछा करती है

कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है
कभी कभी फिर झूमके सावन बरसता है
पलक झपके यहाँ मौसम बदल जाये
प्यास कभी मिटती नहीं, एक बूंद भी मिलती नहीं
और कभी रिमझिम घटायें पीछा करती है

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 3

3. दर्द-ए-दिल दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपने
पहले तो मैं शायर था आशिक बनाया आपने
आपकी मदहोश नज़रे, कर रही है शायरी
ये गजल मेरी नहीं, ये गज़ल आप की
मैं ने तो बस वो लिखा, जो कुछ लिखाया आपने

कब कहा, सब खो गयी, जितनी भी थी परछाईयाँ
बुझ गयी यारों की महफ़िल हो गयी तनहाईयाँ
क्या किया शायद कोई परदा गिराया आपने

और थोड़ी देर में बस हम जुदा हो जायेंगे
आप को ढूँढूँगा कैसे, रास्ते खो जायेंगे
नाम तक भी तो नहीं, अपना बताया आप ने

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 4

4. आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
दिल की ए घड़कन ठहर जा, मिल गयी मंझील मुझे

जी हमें मंजूर है आप का ये फैसला
कह रही हैं हर नज़र, बन्दा परवर शुक्रिया
हँस के अपनी जिन्दगी में, कर लिया शामिल मुझे
आप की मंझील हूँ मैं, मेरी मंझील आप है
क्यों मैं तूफान से डरू. मेरा साहिल आप है
कोई तूफानोंसे कह दे, मिल गया साहिल मुझे

पड गयी दिल पर मेरे, आप की परछाईयाँ
हर तरफ बजने लगी, सेकडों शहनाईयाँ
दो जहाँ की आज खुशियाँ, हो गयी हासिल मुझे

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 5

5. चुरा लिया है तुमने जो दिल को
नज़र नहीं चुराना सनम
बदल के मेरे तुम जिंदगानी
कही बदल न जाना सनम
ले लिया दिल, हाय मेरा दिल
हाय दिल लेकर मुझको ना बहलाना
बहार बनके आऊँ कभी तुम्हारी दुनिया में
गुज़र न जाए ये दिन कहीं इसी तमन्ना में
तुम मेरे हो, तुम मेरे हो
आज तो इतना वादा करते जाना

सजाऊँगा लूट कर भी, तेरे बदन की डाली को
लहू जिगर का दूँगा, हसीं लबों की लाली को
है वफ़ा क्या, इस जहाँ को
एक दिन दिखलाढूंगा मैं दीवाना

अकेले मेरे अरमां तडप तड़पके क्यों रोते
मेरे भी दिन क्या होते जो तुम मेरे लिए होते
तुम मेरे हो, तुम मेरे हो,
आज तो इतना वादा करते जाना।

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 6

Plus Two Hind दोस्ती Questions and Answers

सूचनाः

गीत का यह अंश पढ़ें
ये दोस्ती…..
हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर
तारा साथ न छोड़ेंगे
मेरी जीत, तेरी जीत
तेरी हार, मेरी हार
सुन ऐ मेरे यार तेरा राम, मेरा ग़म
मेरी जान, तेरी जान
ऐसा अपना प्यार
जान पे भी खेलेंगे
तेरा लिए ले लेंगे …
सबसे दुश्मनी……. ये दोस्ती….

प्रश्न 1.
गीत की आस्वादन-टिप्पणी तैयार करें।
उतर:
प्रसिद्ध गीतकार श्री आनंद बख्शी करीब 4000 गीत लिखे हैं। अनेक पुरस्कारों से आप सम्मानित है। प्रस्तुत गीत मशहूर हिंदी सिनेमा ‘शोले’ से है। दोस्ती के बारे में लिखे मार्मिक गीत है यह गीत।

दोस्त कभी भी दोस्ती नहीं तोड़ने के वादा करते हैं। मरने पड़े तो भी दोस्ती छोड़ेंगे नहीं। दोस्त है, इसलिए जीत, हार, गम, जान – ये सब एक जैसा है। जानपर खेलकर भी अपने दोस्त केलिए दूसरों से दुश्मनी लेने के लिए तैयार है। लोगों को हम दो लगते हैं लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। ईश्वर से प्रार्थना है कि कभी भी अलग और एक दूसरे से नाराज़ न हो जाये, खाना और पीना, मरना और जीना पूरी ज़िन्दगी में एक साथ करेंगे। बहुत सरल शब्दों में असली दोस्ती का चित्र यहाँ खींच लिया है। आज भी यह गीत सब गुनगुनाते हैं और प्रासंगिक भी है।

प्रश्न 2.
दोस्ती को उजागर करनेवाला एक पोस्टर तैयार करें।
उतर:
संसार में सबसे पवित्र बंधन – दोस्ती
“जीवन को उजागर करने वाला जीवन में जोश लाने वाला”
“दोस्त जैसे कोई नहीं दोस्ती जैसे कोई ओर संबंध नहीं”
दोस्त अपनाये जीवन को सार्थक बनाये
दोस्ती फिल्मी गीत ‘शोले’ सुनिये
और अपने जीवन को सफल बनाये

दोस्ती Summary in Malayalam

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 7
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 8

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 9
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 10
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 11
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 12

दोस्ती Glossary

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 3 दोस्ती (फिल्मी गीत) 13

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 2  Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा)

प्रश्न 1.

विशेषण विशेष्य
भीषण गरमी
 बन
जल
यात्रा
वैश्विक
मंजिल

उत्तरः

विशेषण विशेष्य
भीषण गरमी
घने बन
नीले जल
लंबी यात्रा
स्वरूप वैश्विक
सांतवीं मंजिल

सूरीनाम में पहला दिन अनुवर्ती कार्य:

प्रश्न 1.
लेखक और भागीदार के बीच का वार्तालाप।
उत्तरः
लेखक : नमस्ते जी। भागीदार : नमस्ते। आपका स्वागत है।
लेखक : धन्यवाद। आप कहाँ से आए हैं?
भागीदार : श्रीलंका से। आप?
लेखक : भारत से। सम्मेलन का उद्घाटन कैसे लगा?
भागीदार : राष्ट्रपति का भाषण आकर्षक एवं दिलचस्पी था।
लेखक : यहाँ हिंदी का खूब प्रचार है।
भागीदार : जी हाँ। यहाँ भारतीय मूल के लोगों की संख्या ज्यादा अधिक है। लेखक ठीक है। दुनिया के कोने-कोने में भारतीय है।
भागीदार : हिंदी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
लेखक : अच्छा, आशा है, फिर कभी मिलेगा।
भागीदार : धन्यवाद।

प्रश्न 2.
‘विश्वभाषा के रूप में हिंदी का प्रचार-प्रसार’ विषय पर भाषण तैयार करें।
उत्तरः
माननीय प्रिंसिपल, आदरणीय गुरुजनों और मेरे प्रिय साथियों, आज मेरा कर्तव्य विश्वभाषा के रूप में हिंदी का प्रचारप्रसार विषय में आपसे कुछ बताने का है। हम सब जानते हैं कि हिंदी हमारी राजभाषा है। भारत में अंग्रेजी का खूब प्रयोग हो रहा है; लेकिन भारत की लगभग 80 करोड लोगों की बोलचाल की भाषा हिंदी है। आज दुनिया के कोने-कोने में भारतीय है। साथ ही भारत की मुख्य भाषा हिंदी का प्रचार भी दुनिया में व्यापक है। बहुत खुशी की बात है कि आज हिंदी विश्व के 40 से अधिक देशों में पदी-पढ़ाई जाती है। दुनिया में अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन अध्यापन होती है। अमेरिका में भी हिंदी अध्ययन के कई केन्द्र आज खुले हैं। भारतीय संस्कृति का प्रतीक यह भाषा का प्रचार आज ज़्यादा अधिक है। हम सब भारतीयों के लिए गौरव की बात है यह। हिंदी भाषा के छात्र होना हमारे लिए गर्व की बात है।

धन्यवाद।

Plus Two Hindi सूरीनाम में पहला दिन Questions and Answers

प्रश्न 1.
सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए सूरीनाम पहुँचे। राष्ट्रपति के उद्घाटन भाषण से वे बहुत प्रभावित हुए। इसके आधार पर लेखक की डायरी लिखें।

  • राष्ट्रपति का भाषण
  • सूरीनाम में हिंदी का प्रचार-प्रसात
  • सूरीनाम और भारत के बीच का संबंध

उतर:

डायरी

सोमवार

सुरीनाम
6 जूण 2003

आज मेरे जीवन में एक अनोखा दिन है। मैं विश्व-हिंदी सम्मेलन में भाग लेने केलिए सूरीनाम आया हूँ। आज सम्मेलन का पहला दिन है। इस प्रसिद्ध सम्मेलन के उद्घाटन सूरीनाम के राष्ट्रपति रुनाल्डो वेनेशियन द्वारा हुआ। उनके भाषण इतना प्रभावशाली था कि सब लोग विस्मय से स्तब हो गये। भारत और सूरीनाम के बीच के संबंध के बारे में उन्होंने जिक्र किया। हिंदी भाषा की आज के प्रासंगिकता के बाते में भी आपने कहा। हिंदी फिल्मी संगीत की विशेष योगदान के बारे में भी आपने कहा। मुझे लगा कि इतनी गहरी संबंध रखनेवाले दोनों देशों की भाषाई संबंध को कायम रखना अनिवार्य है। एक भारतीय होने के कारण मुझे बहुत खुशी हुई।

शुभ रात्री

प्रश्न 2.
सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए लेखक सूरीनाम पहुँचता है। राष्ट्रपति के भाषण से प्रभावित होकर वह अपने मित्र को एक पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।

  • विश्व हिंदी सम्मेलन का अनुभव।
  • राष्ट्रपति का भाषण।
  • सूरीनाम में हिंदी का प्रचार।
  • सूरीनाम और भारत के बीच का भाषाई संबंध।

उतर:
सूरीनाम,
प्रिय मित्र,

14/09/2003

तुम ठीक तो है न? मैं अब सूरीनाम में हूँ। मैं सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहाँ आया हूँ। सम्मेलन के पहला दिन यहाँ के राष्ट्रपति अपने भाषण में सुरीनाम और भारत के बीच के संबंध के बारे में, हिंदी भाषा के विशेषता के बारे में और सांस्कृतिक लेन-देन के बारे में कहा। मुझे बहुत अच्छा लगा। भारते से करीब बीस हजार किलोमीटर दूर पर रहे। इस देश में भी हिंदी बोलनेवाले हमारे अनेक भाई-बंधु है।

इस देश की आबादी में चालीस प्रतिशत मूल भारतीय हैं। यहाँ के शहर पारामारिबो भारत के शहरों जैसे लगते हैं। मुझे बहुत आकांक्षा थी यहाँ क्या क्या होगा। लेकिन एक और भारत है यह देश।

तुम भी मेरे साथ हो तो, बहुत अच्छा होता। यहाँ सम्मेलन तीन दिन और है। बाकी बातें भारत में आकर बताऊँगा।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
हिमांशु जोशी

सूरीनाम में पहला दिन निम्नलिखित वाक्य पढ़ें।

प्रश्न 1.
इस साल का विश्व हिंदी सम्मेलन केरल के तिरुवनंतपुरम में चौदह सितंबर को शुरू करने का आयोजन है। इस उद्घाटन भारत के माननीय राष्ट्रपति के द्वारा संपन्न होगा। उसमें केरल के मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे। सम्मेलन सत्रह सितंबर को समाप्त होगा। सम्मेलन में संगोष्ठियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, कवि सम्मेलन आदि भी होंगे।

कार्यक्रमों की सूचना देते हुए एक पोस्टर तैयार करें।
उतर:

ग्यारहवीं विश्व हिंदी सम्मेलन तिरुवनन्तपुरम में

उद्घाटन – भारत के माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा संपन्न होगा।
अध्यक्ष – केरल के मुख्यमंत्री श्री पिणराई विजयन

टागोर थियटर में पन्द्रह सितंबर से सत्रह सितंबर तक

आकर्षक संगोष्ठियों, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, कवि सम्मेलन आदि अनेक कार्यक्रम

संपर्क करें: 0484000777
ई मेइल : हिंदी तिरुवनन्तपुरम@gmail.com

प्रश्न 2.
सूरीनाम में पहला दिन पाठ का यह अंश पढ़ें।
“हिंदी को आम आदमी तक पहुँचाने में हिंदी फिल्मों तथा संगीत का भी विशेष योगदान रहा है। – “विश्व भाषा के रूप में हिंदी की व्यापकता में हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों का बड़ा हाथ है।” इस विषय पर एक निबंध तैयार करें।
उतर:
“विश्व भाषा के रूप में हिंदी की व्यापकता में हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों का बड़ा हाथ है।”

हम सब जानते हैं हिंदी फिल्मों एवं संगीत का महत्व। जब आकाशवाणी और दूरदर्शन से जो कार्यक्रम प्रसारित होते थे उसमें सबसे लोकप्रिय थे फिल्मी गीतों का कार्यक्रम। भारत के आहिंदी भाषी ही नहीं – सिंगपुर, श्रीलंका, मलेष्या, नेपाल, बर्मा, बंग्लादेशा, फिजी जैसे अनेक विदेशों में भी हिंदी फिल्म देखनेवालों की संख्या कम नहीं है। अमिताब बच्चन, धर्मेन्द्रा, हेममालिनी, जया बच्चन, शारूख खान, सलमान खान जैसे अभिनेताओं इन देशों में भी प्रसिद्ध है।

केरल के लोग सालों पहले से ही हिंदी फिल्मी गीतों से इतना लगाव रखते थे। शोले फिल्म के “ये दोस्ती” गीत केरल के आम लोग भी गुनगुनाते थे। जन साधारण की भाषा का प्रयोग इन फिल्मी गीतों में होते थे। कई लोग हिंदी सिनेमा समझने केलिए हिंदी भाषा सीखना शुरू किया था।

हिंदी की प्रवाहमयता भी एक वजह था कि साधारण लोगों के दिल में भी भाषा के प्रति रुचि और पसंद थे। धारावाहिकों देखने वाला भी अनेक हैं।

प्रश्न 3.
हिंदी सिनेमा और धारावाहिकों की इस भूमिका ने भाषा का प्रचार एवं प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिंदी को लोकप्रिय बनाने में फिल्मों एवं फिल्मी गीतों का विशेष योगदान रहा है। इस पर दो मित्रों के बीच का वार्तालाप तैयार करें।।
उतर:
सीता : श्यामा, तुमने शोले फिल्म देखा?
श्यामा : हाँ देखा। कितना अच्छा सिनेमा है यह। इतने साल पुराने इसका निर्माण हुआ है। फिर भी कितना खूबियत से हुआ है।
सीता : बहुंत ठीक कहा तुमने। इस फिल्म की गीतों भी कितना सुंदर है। हमें लगता है कि यह हमारा ही भाषा है।
श्यामा : हम केरल के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों में भी यह सिनेमा इतना पसंदीता हुआ है।
सीता : सिंगपुर, मलेष्या, बंग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, फिजी. सूरीनाम जैसे अनेक विदेशों में भी हिंदी अभिनेता प्रसिद्ध है। वे बच्चन, सीता शारुख, काजल आदि अभिनेताओं के फॉन है।
श्यामा : ठीक है। हम हिंदी फिल्मी गीतों के कारण भी हिंदी को बहुत पसंद करते हैं। यह भी नहीं हिंदी धारावाहिकों भी अहिंदी प्रदेशों में कई लोगों को आकर्षण करते हैं।
सीता : हमारे स्कूल के अध्यापक ने ठीक ही कहा था। हिंदी को लोकप्रिय बनाने में फिल्मों एवं गीतों का विशेष योगदान है।
श्यामा : यह बिलकुल सही है।

प्रश्न 4.
सूरीनाम का सौंदर्य एवं वहाँ के भारतवंशियों के बारे में लेखक ने एक सिनेमा का निर्माण किया। इस सिनेमा के प्रचार के लिए एक आकर्षक विज्ञापन तैयार करें।
उतर:

सीता सूरीनाम का सौंदर्य आपके सामने
सूरीनामः एक ओर भारत

निर्माण एवं निदेशनः प्रसिद्ध लेखक हिमांशु जोषी
अभिनेता : अमिताब बच्चन – शारूख खान, काजल अनुपम खेर

प्रसिद्ध लेखक और निदेशक द्वारा सूरीनाम के भारतवासियों के मार्मिक कहानी, प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ.

क्या हुआ था सूरीनाम में? आइए देखते हैं प्रमुख सिनेमा घरों में।

मार्च 12 से लेकर

सूरीनाम में पहला दिन Summary in Hindi

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा) 9
– सुमित्रानंदन पंत

“हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है”।।

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा) 10
– एस.के.पोटेक्काट्ट

“मेरे भाग्य में अगला जन्म बढ़ा है तो मैं आवारा के रूप में जन्म लेना चाहूँगा ताकि हमेशा मनमाना घूम सकूँ”।

हिमांशु जोशी
हिमांशु जोशी हिंदी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार थे। हिंदी की लगभग सभी विधाओं में उन्होंने अपनी लेखनी चलाई है। उत्तराखंड में 1935 को उनका जन्म हुआ। पत्रकारिता तथा आकाशवाणी के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किया ‘यात्राएँ’, ‘नवे’ सूरज चमके आधी रात आदि उनके श्रेष्ठ यात्रा-वृत्तांत हैं।

सूरीनाम में पहला दिन Summary in Malayalam

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा) 1
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सूरीनाम में पहला दिन Glossary

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 2 Chapter 1 सूरीनाम में पहला दिन (सफ़रनामा) 11

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 3 मेरे भारतवासियो (भाषण)

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 3 मेरे भारतवासियो (भाषण)

प्रश्न 1.
कि, लेकिन, और, या, इसलिए, क्योंकि, जहाँ, पर, था मेरे भारतवासियो अनुवर्ती कार्य:
उतर:
1. रमेश : अरे सुरेश, क्या तुमने नेहरुजी का भाषण पढा है?
सुरेश : नेहरुजी का भाषण!
रमेश : हाँ, हमारे नए हिंदी पाठ पुस्तक में है।
सुरेश : हाँ, मैं ने देखा। अच्छा है।
रमेश : जोशीला भी।
सुरेश : यह उस लंबी भाषण का एक अंश मात्र है।
रमेश : ठीक है, इसका पूर्ण रूप कहाँ से मिलेगा?
सुरेश : आओ, अपने हिंदी अध्यापक से पू)।
रमेश : अच्छा, ठीक है।
सुरेश : चलो, अध्यापक की कमरे की ओर।

2. संक्षेपण
कई वर्षों की कठिन प्रयत्न के बाद आज भारत स्वतंत्रता की धन्य वेला तक पहूँची है। वर्षों से शोषित जनता अपने लक्ष्य तक पहुंच गई है। इस पवित्र अवसर पर हम देश की सेवा करने केलिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं।

3. अनुवाद शायद तुम लोगों से मेरा आखिरी भाषण हो। यद्यपि सरकार ने मुझे कल सुबह जुलूस निकालने की अनुमति दें तो भी सबरमती के पवित्र किनारे पर यह मेरा अंतिम भाषण होगा। शायद मेरे यहाँ के जीवन के अंतिम शब्द होगा। मुझे जो कुछ बताना था वे मैं कल ही बता चुका हूँ। मेरी इच्छा है कि मेरा यह शब्द देश के कोने कोने तक पहूँचे।

Plus Two Hindi मेरे भारतवासियो Questions and Answers

प्रश्न 1.
हिंदी पुस्तिका में नेहरूजी का भाषण पड़कर उससे प्रभावित छात्र अपनी सहेली के नाम पत्र लिखती है। वह पत्र तैयार करें।

  • 1947 अगस्त 14 की मध्यरात्री की वेला
  • स्वतंत्र भारत पर नेहरूजी के सपने
  • भारतीयों का दायित्व

उतर:

तृशूर
31 जुलाई 2016

प्रिय सहेली,
नमस्कार, तुम कैसी हो। स्कूल में ठीक तरह से जाता। है ना। ग्यारहवीं कक्षा के पढ़ाई कैसे हो रही हैं। मैं यहाँ सकुशल हूँ।

मैं एक बात बताना चाहती हूँ। हमारे हिंदी पुस्तिका के बारे में। मैं लगभग सभी पाठ पढ़ लिया। इसमें नेहरूजी का भाषण मुझे बहुत अच्छा लगा। कितना प्रभावशाली है वह भाषण। 1947 अगस्त 14 की मध्यरात्रि की वेला में नेहरूजी जो भाषण किया उसमें भारत की गरिमा को दिखाया है। नेहरूजी स्वतंत्र भारत पर अपने सपनों को सही रूप में प्रस्तुत किया है। हमें परिश्रम करके आगे प्रगति की ओर अग्रसर होनो के बारे में आहवान करते हैं। हमारा दायित्यों के बारे में चेतावनी भी देते है।

मैं ज़्यादा नहीं कहना चाहता। तुम यह भाषण ज़रूर पढ़ना। आज के हर भारतीय यह भाषण सुने तो कितना अच्छा होगा। में खंत समाप्त करता हूँ। भाषण पढ़कर अपना राय मुझे लिखना।

तुम्हारी सहेली,
मिषा

सूचनाः
‘मेरे भारतवासियों’ भाषण का अंश पढ़ें और 1 से 5 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
भविष्य में हमें विश्राम करना या चैन से नहीं बैठना है बल्किं निरंतर प्रयास करना है ताकि हम जो वचन बारबार दोहराते रहे हैं और जिसे हम आज भी दोहरायेंगे, उसे पूरा कर सकें। भारत की सेवा का अर्थ है, लाखोंकरोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञता को मिटाना। बीमारियों और असमानता को मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आँख से आँसू मिट जाएँ।

प्रश्न 1.
“मेरे भारतवासियों’ किनका भाषण है?
उतर:
नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

प्रश्न 2.
भविष्य में हमें क्या करना है?
उतर:
निरंतर प्रयास करना है ताकि हमारा वचन पूरा कर सकें।

प्रश्न 3.
भारत की सेवा का मतलब क्या है?
उतर:
भारत की सेवा का अर्थ है। लाखों-करोड़ों पीडित लोगों की सेवा करना। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञता को मिटाना। बीमारियों और असमानता को मिटाना।

प्रश्न 4.
इस खंड का संक्षेपण करें।
उतर:
हमें निरंतर प्रयास करना है। साधारण लोगों की सेवा करना है। सब लोगों के पीड़ाओं को मुक्त करना गाँधीजी का महत्वाकांक्षा है।

प्रश्न 5.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उतर:
देशप्रेम

नेहरू के भाषण का यह वाक्य पढ़ें।

“हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आँख से आँसू मिट जाएँ”

प्रश्न 1.
महान व्यक्ति की महत्वाकांक्षा क्या है?
उतर:
महान व्यक्ति की महत्वाकंक्षा है कि हर एक व्यक्ति के आँख से आँसू मिट जाएँ।

प्रश्न 2.
इस महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं? इस पर एक भाषण तैयार करें।
उतर:
प्रिय मित्रों,
सब लोगों को नमस्कार।

मैं आज आप लोगों के सामने हमारी पीकी के सबसे महान व्यक्ति के महत्वाकांक्षा के बारे में कुछ शब्द बताना चाहता हूँ। आप सब लोग जानते है वह कौन है। इसमें कोई शक नहीं है कि वह महत्मागाँधी है। वह केवल भारत के राष्ट्रपिता नहीं है बल्कि विश्व में मानवता के राष्ट्रपिता है। लोग उसे महान शब्द जोड़कर ही पुकारते है। क्या थी उनकी महत्वाकांक्षा – सभी आँखों से आँसू मिटाए, यानी सभी के दुखों को समाप्त करें। भूख, गुलामी, आतंकवाद जैसे कई समस्यायें हमारे समाज में है। कई लोग भोजन सामग्रियाँ बरबाद करते हैं तो कई लोग भूख से मर रहे हैं। कई लोग आज़ादी के झुटे फायदे लेते हैं तो कई लोग गुलामी के कारण तड़प तड़पकर मर रहे हैं। ऐष आराम के साथ साथ आतंकवाद जैसे भीषतायें विश्व में फैल रहा है। गाँधीजी के महत्वकांक्षा को प्राप्त करने केलिए हमें कई बातों पर ध्यान देना ही चाहिए।

भूख से तड़पते लोगों के सहायता करना हमारा फर्ज है। इसके लिए कई प्रकार के योजनायें अपनाना चाहिए। सभी प्रकार के गुलामियों को हमें रोकना चाहिए। वह धर्म, राष्ट्र, वर्ण, कुल, भाषा जैसे कई बातों पर आधारित है। इसकेलिए सही प्रकार के शासकों को चयन करना चाहिए। मानवतावाद को सबसे प्रमुख स्थान देना ज़रूरी है। शिक्षा को प्रमुख स्थान देना है और सभी लोगों तक पहूँचना है। जानकारी योजनाओं को ठीक रूप में लागू करना चाहिए।

आज सब लोग यह जानते हैं कि हम सब के लिए आवश्यक चीज़ इस धरती में है। लेकिन इसके उपयोग सही रूप में करना ही चाहिए। हम सब को इस विचार को अपने मन में लाना ज़रूरी है।

जयहिंद

‘मेरे भारतवासियों’ पाठ का अंश पढ़ें।

“भविष्य में हमें विश्राम करना या चैन से नहीं बैठना है बल्कि निरंतर प्रयास करना है ताकि हम जो वचन वारबार दोहराते रहे हैं और जिसे हम आज भी दोहराएँगे, उसे पूर कर सकें। भारत की सेवा का अर्थ है लाखोंकरोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना। बीमारियों और अवसर की असमानता को मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आँख से आँसू मिट जाएँ।”

प्रश्न 1
यह किसके भाषण का अंश है? (नेहरू, गाँधी, तिलक)
उतर:
नेहरू

प्रश्न 2
नेहरू जी की पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की महत्वाकांक्षा क्या है?
उतर:
हर एक आँख से आँसू मिट जाएँ।’ यह नेहरू जी की पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की महत्वाकांक्षा है।

प्रश्न 3.
हमें समाज से क्या क्या मिटाना है?
उतर:
हमें समाज से – गरीबी, अज्ञानता, बीमारियों और अवसर की असमानता को मिटाना है।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उतर:
नेहरू जी कहते हैं कि निरंतर प्रयास करने की वचन को हमें पूरा करना है। पीड़ित लोगों की सेवा करके – गरीबी, अज्ञानता, बीमारियों और अवसर की असमानता को मिटाना है। गाँधीजी की महत्वाकांक्षा है कि हर एक आँख से आँसू मिटायें।

प्रश्न 5
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उतर:
देशप्रेम

अनुच्छेद का हिंदी में अनुवाद करें।

प्रश्न 1.
Television is one of the wonders of modern science Many useful programs on education, health and agriculture are telecasted. Interesting plays and films are shown at regular intervals. It is used for commercial advertisements. It was invented by John Baird.
उतर:
टेलिविषन आधुनिक विज्ञान के चमत्कारों में से एक है।शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि पर कई उपयोगी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। दिलचस्प नाटकों और फिल्मों को नियमित अंतराल पर दिखाया गया है। यह वाणिज्यिक विज्ञापन के लिए प्रयोग किया जाता है। यह जॉन बेयर्ड द्वारा आविष्कार किया गया था।

निम्नलिखित वाक्य पढ़ें।

प्रश्न 2.
नेहरू जी के भाषण से प्रभावित एक छात्र स्वतंत्रता प्राप्ति के उनहत्तर वर्षों के बाद भारत के विकास, सुरक्षा आदि पर सपना देख रहा है। उस सपने का वर्णन करते हुए छात्र अपने मित्र को पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
उतर:

पटना,
04.08.2017

प्रिय राकेष,
कैसे हो तुम? घर में सब ठीक तो है न? छोटे भाई क्या करते हैं? मैं एक विशेष बात बताने के लिए यह खत लिख रहा हूँ। हमारे बारहवीं कक्षा के हिंदी पाठपुस्तक में नेहरू जी का एक भाषण दिया है। यह भाषण नेहरूजी आज़ादी मिले आधी रात में 1947 अगस्त 15 का किया था। मुझे यह भाषण सुनकर बहुत उत्तेजना मिला। नेहरूजी के यह भाषण पढ़ने के बाद मैं एक ऐसा सपना देखा कि उसमें नेहरूजी के सपनों का पूर्ती सफल हो रहा है। भाषण में नेहरूजी भारत के विकास, भारतीयों का दायित्व, विश्वमानवता आदि कई बातों के बारे में बताया है। अब देश स्वतंत्रता प्राप्ति के उनहत्तर वर्ष मना रहे हैं। क्या हम नेहरूजी के सपनों को साकार कर सकेंगे? मैं ने सपने में देखा कि हमारा भारत के विकास, सुरक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में नए नए परिवर्तन हो रहा है। हम पड़ोसी देशों से दोस्ती के रिश्ता जोड़ रहे हैं। शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी तरक्की हो रहे हैं। मुझे बहुत खुशी हुई यह सपना देखकर। मेरा विचार है कि यह सपना ज़रूर साकार हो जायेगा। हो सके तो तुम भी नेहरू जी के यह भाषण सुने।

तुम्हारा प्यारा मित्र,
राम

अनुच्छेद का हिंदी में अनुवाद करें।

प्रश्न 3.
There was an accident near our school yesterday. A car was coming at full speed. A cyclist suddenly appeared in the middle of the road. The driver pressed the breaks very hard. But the car did not stop in time and the cyclist was knocked down. An old man who has seen the accident took the injured cyclist to the hospital.

(accident – दुर्घटना, full speed – तेज़ रफ़्तार, driverचालक, knocked down – टकराकर गिरना, cyclist – साईकिलवाला, hospital – अस्पताल)
उतर:
हमारे स्कूल के पास एक दुर्घटना हुई थी। एक कार तेज़ रफ्तार से आ रही थी। एक साइकिलवाला अचानक सड़क के मध्य में दिखाई दिया। कार के चालक ने पूरी तरह से ब्रेक दबाया। लेकिन कार समय के भीतर रुका नहीं और साइकिलवाले को टकराकर नीचे गिरा दिया। एक बूढा आदमी जिसने यह दुर्घटना को देखा वह घायल साइकिलवाले को अस्पताल ले गया।

प्रश्न 4.
विश्व पर्यावरण दिवस में प्रस्तुत करने के लिए ‘तरकारियों में कीटनाशकों का प्रयोग’ विषय पर एक भाषण तैयार करें।
उतर:
प्रिय मित्रों,
नमस्कार।

मैं आज तरकारियों में कीटनाशकों का प्रयोग विषय पर एक छोटी सी भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ। ध्यान दीजिए। आज सब लोग जानते हैं कि मानव को भोजन में कितने प्रतिशत तरकारी खाना है। कम से कम चालीस प्रतिशत यह हमारा तन्तुरुस्ति के लिए ज़रूरी है। प्राचीन काल से लेकर मानव तरकारियों को इस्तेमाल कर रहे हैं। तरह तरह के तरकारी हम उपयुक्त करते हैं।

आबादी के अनुसार तरकारी न मिलने पर हम खेती में रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करने लगा। लाभ को नज़र में रखकर हम कीटनाशकों का प्रयोग भी अनियन्त्रित रूप में करने लगा। आज हम यह भी जानते हैं कि रासायनिक पदार्थों और कीटनाशकों का कितना बुरा प्रभाव हम पर हो रहा है। कई प्रकार के बीमारियों से हम पीड़ित हो जाते हैं। नयी पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए यह इतना खतरनाक है कि इससे बचना बहुत ज़रूरी हैं।

हमें घर में आवश्यक तरकारियों को उगवाना चाहिए। केवल लाभ को देखकर नहीं बल्कि प्रकृति के संतुलन और मानव के रक्षा के बारे में हमें सोचना चाहिए। महात्मा गाँधी के अनुसार हमें स्ववलंबन की भावना जगाना ही चाहिए। आइए हम शुरू करते हैं अपनी तरकारी अपने आंगन में ही लगाकर।

जयहिंद

मेरे भारतवासियो कवि का परिचय

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 3 मेरे भारतवासियो (भाषण) 1
– पंडित जवाहरलाल नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। ‘मेरे भारतवासियों 14 में अगस्त 1947 की आधी रात में लाल किले में हमारा तिरंगा झंडा फहराते हुए राष्ट्र के प्रति किए गए नेहरु के प्रसिद्ध भाषण का एक अंश है।

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 3 मेरे भारतवासियो (भाषण) 3

मेरे भारतवासियो Summary in Malayalam

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मेरे भारतवासियो Glossary

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Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 बेटी के नाम (जवाबी पत्र)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 बेटी के नाम Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 बेटी के नाम (जवाबी पत्र)

प्रश्न 1.
हिंदी में अन्य भाषाओं से आए हुए कई शब्द हैं। निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी विदेशी शब्द पत्र से ढ़कर लिखें।
अनाथ – …………………….
सांत्वना – …………………….
देश – …………………….
नाश – …………………….
संभावना – …………………….
विधवा – …………………….
बार – …………………….
इनाम – …………………….
योग्य – …………………….
व्यक्ति – …………………….
चिंता – …………………….
उत्तरः
अनाथ – यतीम
सांत्वना – करोर
देश – मुल्क, वतन
नाश – तबाही, बरबादी
संभावना – गुंजाइश
विधवा – बेवा
बार – दफा
इनाम – तोहफे
योग्य – काबिल
व्यक्ति – शख्स
चिंता – फिक्र

प्रश्न 2.
कैदी बाप को अपनी बेटी का खत एक आंसूनामा था, क्यों?
उत्तरः
बाप और बेटी दोनों जेल में था। बाप रंगून में है तो बेटी यहाँ दिल्ली में। सख्त नज़रबंदी के बावजूद भी उस बेटी ने पिता को एक चिट्ठी भेजा, जिसमें अपने परिवार एवं देश की दुस्थिति का वर्णन हुआ है। खत पढ़कर पिता की आँखें भीग गई। उस कैदी बाप को पुत्री का खत एक आँसूनामा ही लगा।

प्रश्न 3.
दिल्लीवाले मुझको रोते ……. मैं भी रोता हूँ – यहाँ शासक का कौन सा गुण प्रकट होता है?
उत्तरः
प्रजाहित केलिए शासन करनेवाले एक सम्राट की देशस्नेह और सहानुभूति प्रकट होती है।

प्रश्न 4.
यह खत तुमको मिलेगा भी या नहीं – बादशाह के मन में ऐसा शक क्यों उभरा होगा?
उत्तरः
बादशाह ने ऐसे अनेक व्यक्तियों को देखा है, जो आखिर में दगाबाज और दूसरों के द्वारा भेजे गए जासूस सिद्ध हुआ है। इसलिए उनके मन में शंका उभर आई।

बेटी के नाम अनुवर्ती कार्य:

प्रश्न 1.
बादशाह की चरित्र-चित्रण।
उत्तरः
1857 की स्वतंत्रता संग्राम के बाद बहादूरशाह ज़फर को कैदी बनाकर रंगून भेजा गया। उनकी बड़ी बेटी दिल्ली में अंग्रेजों के कैदी में था। अपनी बेटी का खत उन्होंने बार-बार पढाया। खत पढकर उनकी आँखों से आँसू बहती है। अंग्रेज़ी सरकार के कैद में किसी दूर देश में रहने पर भी उनके मन में अपने देश और परिवारवालों के प्रति अगाध प्रेम था। अपनी जनता के बारे में सोचकर वह रोती है। उनको अपने दिल्लीवासियों के प्रति प्रेम और सहानुभूति था। बेटी के नाम पर लिखी गई खत में वह अपने देश की बुरी हालत का जिक्र भी करती है।

वे एक आदर्श देशप्रेमी एवं प्यारी पिता थे। कोसों दूर की कैद में रहकर भी उसका मन अपने परिवारवालों एवं दिल्लीवासियों के प्रति व्याकुल थे।

प्रश्न 2.
बादशाह ज़फर की डायरी।
उत्तरः
रंगून, 18/5/1857

बुधवार

आज बेटी का खत मिला। बार-बार पठा। मन न भरा। हाँ, आज का दिन आँसू से भीगा एक दिन था। मेरी बेटी की अवस्था अब कैसी होगी? एक बार उसे देखने की इच्छा है, लेकिन कैसे? हमारी दिल्लीवासियों की हालत! वे लोग मेरे प्रति रोते हैं। मेरी स्थिति भी भिन्न नहीं है। एक बार उन लोगों को देख सकने की इच्छा थी। बेटी का खत मिता, जवाब भी लिखा । कैसे भेजें? हाँ, कल किसी व्यक्ति का आश्रय लेना है। यदि उसने धोखा दे तो…..। शायद मेरे अंतिम शब्द होगा। यहाँ इस कैद से बाहर आना मुश्किल है। किसी दिन हमारा देश स्वतंत्र होगा तब मैं नहीं होगा। स्वतंत्रता की प्रतीक्षा में ………..

प्रश्न 3.
सुरभि केलिए जवाबी पत्र।
उत्तरः
प्रिय सुरभि,
तुम्हारा खत मिला। पढ़कर खुशी हुई। साथ सी.डी.भी मिला।

मैं ने उसे देखा। तुमने सच ही कहा था। बहुत जोशीला था। दर्शकों के मन में ज़रूर देशस्नेह उत्पन्न करेगा। ठीक है परीक्षा की इस समय ऐसी एक सी.डी.बहुत खुशी प्रदान करती हैं। कितने महानों का जान हमारे लिए नष्ट हो गया हैं?

सी.डी. भेज देने केलिए मैं बहुत आभारी हूँ। घरवाले भी देखा। उसको भी अच्छा लगा। अभी कुछ और पढना है। घरवालों को मेरा प्यार। फिर मिलने की प्रतीक्षा में

प्यार से,
तुम्हारी सहेली
सोनु

पत्तनमतिट्टा,
10.07.2015

प्रश्न 4.
‘कितने बच्चे यतीम हो गए, कितनी औरतें बेवा हो गई। पत्र के इस प्रसंग के आधार पर ‘युद्ध के भीषण परिणाम’ पर एक कॉलाज़ तैयार करें।
उत्तरः
Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 1

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 बेटी के नाम (जवाबी पत्र) 10

Plus Two Hindi बेटी के नाम Questions and Answers

सूचनाः
बहादुरशाह ज़फ़र के खत का यह वाक्य पढ़ें।

दिल्लीवाले मुझको रोते होंगे। वे क्या यह नदीं जानते, कि मैं भी उनको रोता हूँ।

प्रश्न 1.
उपर्युक्त वाक्य के आधार पर बहादुरशाह ज़फ़र के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
चरित्र चित्रण – बहादुरशाह ज़फ़र भारत के अंतिम मुगल बादशाह है। 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के बाद बादशाह को अंग्रेजों ने कैदी बनाया। किसी दूर देश के कैद में रहने पर भी मन में देश और परिवारवालों के प्रति अगाध प्रेम झलकता है। वह अब भी अपनी प्रजा के बारे में सोचते है। एक सच्चा शासक होने के कारण वह अपने प्रजा के बुरी हालत के बारे में सोचनेवाला है। अपनी लापरवाही को वह ठीक तरह से जानते है।

प्रश्न 2.
बेटी के आँसूनामा ने बादशाह के मन को विचलिक कर दिया। वे उस दिन की डायरी में इसका जिक्र करते हैं।
वह डायरी लिखें।

  • परिवारवालों की सोच।
  • दिल्लीवासियों के प्रति आकुलता।
  • खत पढ़ने उत्पन्न दर्द।

उत्तरः

डायरी

रंगून

बुधवार
18 जूण 1851

आज बेटी का खत मिला। बार-बार पढ़ा, मन न भरा । हाँ आज का दिन आँसू से भीगा एक दिन था। मेरी बेटी की अवस्था अब कैसी होगी? एक बार उसे देखने की इच्छा है, लेकिन कैसे? हमारी दिलीवासियों की हालत । वे लोग मेरे प्रति रोते है, मेरी स्थिति भी भिन्न नहीं है। एक बार उन लोगों को देख सकने की इच्छा थी। बेटी का खत मिला, जवाब भी लिखा, कैसे भेजूं? हाँ, कल किसी व्यक्ति का आश्रय लेना है। यदि उसने धोखा दे तो….। शादय मेरे अंतिम शब्द होगा। यहाँ इस कैद से बाहर आना मुश्किल है, किसी दिन हमारा देश स्वतंत्र होगा तब मैं नहीं होगा। स्वतंत्रता की प्रतीक्षा में ……..।

प्रश्न 3.
सूचना : बादशाह के ये वाक्य पढ़ें।
तीन दफ़ा सुनने के बाद भी दिल को करार नहीं आया। मेरे यहाँ आ जाने के बाद, पता नहीं और क्या-क्या परेशानियाँ शहरवालों पर पड़ी होंगी। इन वाक्यों के आधार पर बहादुरशाह ज़फ़र के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
बहादुरशाह ज़फर बड़े देशप्रेमी है। साथ ही साथ वे ‘स्वाभिमानी एवं परिवारवालों से प्यार करनेवाला है। अपने परिवार एवं देश से दूर रहते हुए वे अत्यंत दुःखी है। दूसरों के प्रति उनके दिल में सहानुभूति एवं ममता है। अपने देश और देशवासियों के प्रति उनके दिल में सच्चा प्यार है। इसीलिए ही कैद में रहते हुए भी वे अपने देश और परिवारवालों के बारे में सोचकर सदा खिन्न रहते थे।

प्रश्न 4.
बादशाह के बेटे ने खत तीन दफ़ा पढ़कर सुनाया। बेटे की उस दिन की डायरी लिखें।

  • पिताजी का दर्द
  • बहन की हालत
  • बेटे का मानसिक संघर्ष ।

उत्तरः

18
फरवरी

1857
रंगून

कैसे भूलूँ आज का दिन …….
अपने पिताजी की आँसू …….
बहन की दर्दभरी वाणी …….
कैसे सब सकूँगी वह। जो मैंने पढ़कर सुनाया, क्या वह एक खत था? नहीं आँसूनामा था।
मेरी प्यारी बहिना…. कहाँ हो तुम? कैसे हो तुम?
केवल आप ही नहीं यह पूरा देश गुलाम बन गया है। मेरे दिल्लीवासी ……
मेरे पिताजी …….
….. उनकी क्या दशा होगी!!
ऐ खुदा, मेरे देश की, देशवासियों की रक्षा करें।

‘बेटी के नाम’ पाठ का यह वाक्य पढ़ें।

“खत क्या भेजा, मेरी जान, आँसूनामा था।” यह बादशाह द्वारा बेटी को लिखे गए पत्र का अंश है।

प्रश्न 1.
बादशाह ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तरः
बाप और बेटी दोनों जेल में था। बाप रंगून में है तो बेटी दिल्ली में। बेटी द्वारा भेजे चिट्ठी में अपने परिवार एवं देश की बुरी हालत का वर्णन हैं। खत पढ़कर बादशाह को बहुत दुख हुआ। इसलिए बादशाह ऐसा लिखा होगा।

प्रश्न 2.
बादशाह के उस दिन की डायरी तैयार करें।
उत्तरः
रंगून / 18/5/1857 / बुधवार
आज बेटी का खत मिला। बार-बार पढ़ा। मन न भरा। हाँ आज का दिन आँसू से भीगा दिन हुआ। मेरी बेटी की अवस्था अब कैसी होगी? एक बार उसे देखने की इच्छा हैं, लेकिन कैसे?

हमारी दिल्लीवासियों की हालत! वे लोग मेरे लिए रोते हैं। मेरी हालत भी भिन्न नहीं है। एक बार उन लोगों को देखने की इच्छा थी।

बेटी का खत मिला, जवाब भी लिखा। कैसे भेजूं? कल किसी व्यक्ति का आश्रय लेना है। यदि उसने धोखा दिया तो…..। शायद मेरे अंतिम शब्द होगा। यहाँ इस कैद से बाहर आना मुश्किल है।

किसी दिन हमारा देश आज़ाद होगा – यही मेरा उम्मीद है। इसी प्रतीक्षा में……।

‘बेटी के नाम’ पाठ का यह वाक्य पढ़ें।

“मैं तो जिंदा हूँ।
वे तो बिना आई मैत र गए।”

प्रश्न 1.
यहाँ दिल्लीवालों की कौन सी हालत की सूचना मिलती है?
उत्तरः
यहाँ दिल्लीवालों की बुरी और दर्दनाक हालत की सूचना हैं। स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने दिल्लीवासियों पर भीषण अत्याचार किया था।

प्रश्न 2.
भारत की आजादी की लड़ाई में हज़ारों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। इन कुर्बानियों का जिक्र करते हुए आप अपने मित्र को एक पत्र लिखें।
उत्तरः

तृश्शूर
08.08.2017

प्रिय मित्र रामू
तुम तो ठीक-ठीक है न । पढ़ाई कैसे चल रहे हैं। माँ-बाप सकुशल है न। सब को मेरा प्रणाम।

हमारे बारहवी कक्षा के हिंदी पाठ्यपुस्तक में पहला स्वतन्त्रता संग्राम के समय भारत के बादशाह बहादुर शा जफर का एक खत है। यह खत पढ़कर मुझे बहुत दुःख हुआ, साथों साथ अभिमान भी। क्योंकि हजारों की कुर्बानी की कथा हमारे स्वतंत्रता के पीछे हैं। आज हमारे पीढ़ी में इस विचार नहीं है कि कितने व्यक्तियों के कठिन परिश्रम के कारण ही हमें आज़ादी मिली हैं। हमें ज़रूर इस बात पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि कल के प्रयत्न का फल ही हम भोग रहे हैं। मुझे बहुत खुशी हैं कि यह बात तुमसे बताकर । तुम्हारे मित्रों को भी इसके बारे में ज़रूर बताना। हो सके तो इसी प्रकार के कहानियाँ और घटनाओं को पढ़ना भी। खत समाप्त करता हूँ। जरूर जवाब लिखना।

तुम्हारा दोस्त,
अप्पू

प्रश्न 3.
‘तीन दफ़ा के बाद भी दिल को करार नहीं आया। बेटी के प्रति बादशाह का प्यार हमारे दिल को छूने वाला है। ‘संतानों के भविष्य निर्माण में माँ-बाप का प्यार’ विषय पर एक लेख लिखें।
उत्तरः

संतानों के भविष्य निर्माण में माँ-बाप का प्यार

आज के बच्चे कल का नागरिक है; तो ज़रूर बच्चों के विकास में ध्यान देना ज़रूरी है। माँ-बाप अपने अनुभवों के साथ बच्चों को पढ़ाना चाहिए। घर ही बच्चों के पहला विद्यालय होता है। बच्चों को घर में ही सच्चे प्यार के रिश्ते का अनुभव होना है। बाप बेटे में होते सच्चा प्यार ही उसे जीवन में ताकत और अच्छा नमूना देंगे। बेटी के नाम पाठ में लिखे खत, मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर जेल में रहकर अपनी बेटी को लिखे प्यार का नमूना बन जाता है। सिर्फ प्यार ही नहीं वात्सल्य और देशप्रेम भी यहाँ प्रकट होता है।

क्या आज के माता पिता और बच्चों के बीच में ऐसा प्यार का रिश्ता है? प्यार और सहयोग हमारे परिवारों से पहले सीखना चाहिए। माँ-बाप को अपने भरोसा और परंपरागत मूल्यों को बच्चों तक पहुँचाना ही चाहिए। ताकि बच्चे समझे कि हम भी एक दिन बड़े हो जायेंगे और दायित्वों के पूर्ती करना होगा। माता पिता केवल भोजन और पालन पोषण करनेवाला नहीं है। ये तो छात्रावासों में भी मिलते हैं। लेकिन भविष्य में अपने आदतों और मूल्यों को अपने अनुभवों के साथ बच्चों को सिखाना हैं। एक अच्छे कल के लिए माँ-बाप का दायित्व बहुत बड़ा है। प्यार और उत्तम विश्वास के साथ ये निभाना भी चाहिए।

‘बेटी के नाम’ पाठ का निम्नलिखित वाक्य पढ़ें।

“दिल्लीवाले मुझको रोते होंगे, मैं भी उनको रोता हूँ।’

प्रश्न 1.
शासक का कौन-सा गुण यहाँ प्रकट होता है?
उत्तरः
प्रजाहित केलिए शासन करनेवाले एक सम्राट के देशप्रेम । और सहानुभूति प्रकट होती हैं।

प्रश्न 2.
‘सच्चा शासक कौन है’ विषय पर एक लेख लिखें।
उत्तरः
सच्चा शासक शासक का मतलब क्या है? क्या केवल प्रजा पर अधिकार थोपनेवाले ही शासक है? नहीं; एक सच्चा शासक इससे परे है। एक सच्चा शासक के गुण को हम देखेंगे। भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई ऐसे शासक थे जो प्रजा के ऊपर नहीं बल्कि उनके हृदय में राज करते थे। एक सच्चा शासक अपने प्रजा की भलाई के लिए काम करते हैं। उनके लिए कई कार्यक्रमों और योजनाओं के निर्माण करते हैं। मुसीबत आने पर उनके सहायता करते हैं। अपने खुशी में प्रजा को भी भागीदार बनाते हैं। अपनी प्रजा के हानी अपनी हानी समझती है। केवल ऐश-आराम में जीवन व्यतीत नहीं करते हैं। एक सच्चा क्रान्तदर्शी होता है, जो आनेवाले कल केलिए, देश की भलाई केलिए सोचते हैं।

इसी प्रकार के शासकों को जनता अपने दिल में जगह देते हैं। हमारे भारत को ऐसा नाम मिला राजा भरत से। वह प्रजा के दिल में रहते थे। इसी प्रकार के राजा या शासक हमारे समाज केलिए अनिवार्य है। आज जनतंत्रात्मक देश होने के कारण हम ही हमारा शासक है। लेकिन शासक होने के बाद कई लोग यह भूल जाते हैं कि वह भी एक प्रजा है। सत्ता को केवल अपने लाभ केलिए प्रयुक्त शासक सच्चा शासक नहीं है। प्रजा केलिए अपने आपको अर्पण करने वाला ही सच्चा शासक है।

प्रश्न 3.
बेटी का खत पढ़कर बादशाह का मन विचलित हो गया। दुखी पिता को सांत्वना देते हुए पिता से बातें करता है। दोनों के बीच की बातचीत तैयार करें।
उत्तरः
बादशाह : दिल्लीवालों के बारे में सोचकर मुझे इतना दुख हो रहा है कि सह नहीं पाता।

बेटा : आप अधीर मत हो जइए पिताजी। आप ही अधीर हुआ तो बाकी लोगों की हालत क्या होगा।

बादशाह : मैं क्या करूँ। तुमने ही खत पढ़ा था कुलसुम की। क्या-क्या हालत लिखा है वह। मैं क्या करूँ।

बेटा : अंग्रेज़ों ने अपनी क्रूरता ज़रूर दिखाया है। फिर भी हम भारतीय किसी भी हालत में सब कुछ सहन कर लेंगे। कुलसुम भी डरपोक नहीं है। उसमें सब सहने की शक्ति है।

बादशाह : मुझे अपने प्रजा के लिए कुछ करना है। पर मैं यह कैद में रहकर क्या कर सकता हूँ।

बेटा : पिताजी एक न एक दिन हम इस गुलामी से जरूर मुक्त हो जायेंगे। भारत की आजादी अब दूर नहीं है।

बादशाह : मुझे गर्व है मेरी बेटी पर। वह इतनी मासूम थी लेकिन अब वह इतनी मज़बूत हो गयी है कि सब कुछ सहन कर रही है।

बेटा : आप ने ठीक ही कहा पिताजी। हमारी बहन जैसे अनेक औरतों की दिल इतना मज़बूद हो गया है कि अगली पीढ़ी के जोश को अंग्रेज़ रोक नहीं पायेंगे। हम ज़रूर आज़ाद हो जायेंगे।

बादशाह : यह सब सुनकर मन को कुछ सुख मिला बेटा। तुमने सही कहा हैं।

बेटी के नाम कवि का परिचय

बहादुर शाह ज़फर बहादुर शाह जफर दिल्ली के अंतिम मुगल बादशाह 1857 करके ब्रिटीश सरकार ने इन्हें कैदी करके रंगून भेजा। इधर दिल्ली में अंग्रेज़ों की कैद में था, इसकी बड़ी बेटी कुलसुम जमानी बेगम। सख्त पहरों के बीच में भी ये दोनों चिट्टियाँ भेजता रहा। अपनी बड़ी बेटी द्वारा कैदी बाप को भेजा गया पत्र का जवाबी पत्र यहाँ प्रस्तुत है।

बेटी के नाम Summary in Malayalam

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 2 बेटी के नाम (जवाबी पत्र) 2
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बेटी के नाम Glossary

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Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता)

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता)

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) 1
प्रश्न 1.
यह चित्र किससे संबंधित है?
उत्तर:
नमक सत्याग्रह से संबन्धित है।

प्रश्न 2.
यह यात्रा किसके लिए थी? (Page 9)
उत्तर:
यह ऐतिहासिक दण्डी यात्रा नमक कानून को तोड़कर नमक बनाने केलिए थी।

प्रश्न 3.
दो शब्दों के मेल से बने हुए अनेक शब्द कविता में हैं। उन्हें चुनकर लिखें।
जैसेः नीलांबर – नीले रंग का अंबर
उत्तर:

हरित तट हरित रंग का तट
सूर्य-चन्द्रसूर्य और चन्द्र
शेषफन शेष का फन
खग- वृदखगों का वृंद
हर्षयुत हर्ष से युक्त
खेलकूद खेल और कूद
प्रेम प्रवाह प्रेम का प्रवाह

प्रश्न 4.
कवि ने मातृभूमि का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तरः
मातृभूमि के हरे-भरे तट पर आकाश नीले रंग के वस्त्र की तरह शोभित है। सूर्य और चन्द्र इस भूमि का मुकुट है और समुद्र करधनी है। नदियाँ प्रेम प्रवाह है और फूल-तारे आभूषण है। बंदीजन पक्षियों का समूह है और शेष नाग का फन सिंहासन है। बादल पानी बरसाकर उसका अभिषेक करते रहते हैं। इस तरह की सगुण साकार मूर्ति है मातृभूमि।

प्रश्न 5.
मातृभूमि से कवि का बचपन कैसे जुडा है?
उत्तरः
मातृभूमि की धूली में लोट-लोट कर कवि बडे हुए है। इसी धरती पर घुटनों के बल पर रेंगकर वे धीरे-धीरे पौरों पर खडा रहना सीख लिया है। इसी पुण्य भूमि में रहकर उसने श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह सब सुखों को बाल्यकाल में ही भोगा है। इसके कारण ही उसे धूल भरे हीरे कहलाए।

प्रश्न 6.
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा – कवि इस प्रकार क्यों सोचता है?
उत्तरः
माता द्वारा अपने बच्चों केलिए किए गए कार्यों केलिए प्रत्युपकार करना आसान नहीं है। माँ का स्नेह असीम है। यहाँ मातृभूमि माँ का प्रतीक है। माँ की निस्वार्थ सेवाओं केलिए प्रस्तुपकार कभी नहीं कर सकता।

मातृभूमि अनुवर्ती कार्य:

प्रश्न 1.
कविता की अस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
द्विवेदी युग के प्रसिद्ध कवि है श्री मैधिली शरण गुप्त। वे राष्ट्रकवि माने जाते हैं। मातृभूमि गुप्त जी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अपने जन्मभूमि का गुणगान करके उसकेलिए अपने जान भी देना का आह्वान करते हैं। मातृभूमि के हरियाली केलिए नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है। सूरज और चाँद इसकी मुकुट है, सागर इसकी करधनी है। यहाँ बहनेवाली नदियाँ प्रेम का प्रवाह है। तारे और फूल इसके आभूषण है। पक्षियाँ स्तुतिपाठक है, आदिशेष का सहस्र फन सिंहासन है। बादलों पानी बरसाकर इसका अभिषेक करते हैं। कवि अपनी मातृभूमि के इस सुंदर रूप पर आत्मसमर्पण करते हैं। वे कहते हैं वास्तव में तू सगुण-साकार मूर्ती है।

जन्मभूमि से कवि का बचपन का संबंध व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि इसके धूली में लोट-लोटकर बडे हुए है। इसी भूमि पर घुटनों के बल पर सरक सरक कर ही पैरों पर खड़ा रहना सीखा। यहाँ रखकर ही बचनप में उसने श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह सभी आनंद पाया। इसके कारण ही उसे धूली भरे हीरे कहलाये। इस जन्मभूमि के गोदी में खेलकूद करके हर्ष का अनुभव किया है। एसी मातृभूमि को देखकर हम आनंद से मग्न हो जाते हैं। कवि कहते हैं – जो सुख शाँती हमने भोगा है, वे सब तुम्हारी ही देन है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है। यह देह तेरा है, तुझसे ही बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। अंत में मृत्यु होने पर यह निर्जीव शरीर तू ही अपनाएगा। हे मातृभूमि। अंत में हम सब तेरी ही मिट्टी में विलीन हो जाएगा। सरल शब्दों में कवि मातृभूमि केलिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा देती है। आधुनिक समाज में देशप्रेम की ज़रूरत बड़ते जा रहे हैं। आतंकवाद, सांप्रदायिकता आदि को रोकने केलिए देशप्रम की ज़रूरत हैं।

मातृभूमि कविता पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखें।

प्रश्न 1.
धरती का परिधान क्या है?
उत्तर:
नीलांबर।

प्रश्न 2.
मातृभूमि का मुकुट क्या है?
उत्तरः
सूर्य और चंन्द्र मातृभूमि के मुकुड है।

प्रश्न 3.
मातृभूमि का करधनी क्या है?
उत्तरः
मातृभूमि का करधनी समुद्र है।

प्रश्न 4.
कौन मातृभूमि के स्तुति गीत गाते है?
उत्तरः
पक्षियों का समूह।

प्रश्न 5.
कवि अपनी मातृभूमि केलिए क्या करना चाहते हैं?
उत्तरः
कवि अपनी मातृभूमि के लिए आत्मसमर्पण करना चाहते हैं।

प्रश्न 6.
कवि कैसे बड़े हुए हैं?
उत्तरः
इस धरती की धूली में लोट-लोट कर बड़े हुए है।

प्रश्न 7.
कवि पैरों पर खडा रहना कैसे सीखा है?
उत्तरः
इस धरती में घुटनों के बल पर रेंगकर पैरों पर खड़ा रहना सीखा।

Plus Two Hindi मातृभूमि Questions and Answers

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।

नीलांबर परिधान हरित तट पर सुंदर है।
सूर्य-चंद्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।।
नदियाँ प्रेम प्रवाह फूल तारे मंडन हैं।
बंदीजन खग-वृंद, शेषफन सिंहासन है।।
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।।

प्रश्न 1.
इसके रचनाकर कौन है? (आनंद बख्शी, कुँवर नारायण, मैथिलीशरण गुप्त, जगदीश गुप्त
उत्तरः
मैथिलीशरण गुप्त

प्रश्न 2.
“रत्नाकर’ शब्द का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखें। (नदी, समुद्र, तालाब, नाला)
उत्तरः
समुद्र

प्रश्न 3.
मातृभूमि के आभूषण क्या-क्या हैं?
उत्तरः
नीलांबर, सूर्य-चन्द्र युग, रत्नाकर, नदियाँ, फूल तारे, खग – वृंद, शेषफन आदि मातृभूमि के आभूषण है।

प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
द्विवेदी युग के प्रसिद्ध कवि है श्री मैथिलीशरण गुप्त। वे राष्ट्रकवि माने जाते हैं। प्रस्तुत कविताँश में कवि मातृभूमि भारत के गुणगान करते हैं। मातृभूमि के हरियाली में नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है। सूरज और चाँद इसकी मुकुट है। सागर इसकी करधनी है। यहाँ बहनेवाली नदियाँ प्रेम का प्रवाह है। पक्षियों मातृभूमि के गुणगान करते है, अदिशेष का सहस्र फन सिंहासन है, बादलों पानी बरसाकर इसका अभिषेक करते है। कवि अपनी मातृभूमि के इस सुंदर रूप पर आत्मसमर्पण करते हैं। कवि कहते हैं वास्तव में तू सगुण-साकार मूर्ती है। यहाँ कवि तत्सम शब्दों के साथ भारतीय दर्शन को साथ लिया है। धरती माँ के समान है। वह जीवनदायिनी है। हमें उसकी गरिमा पर गर्व करना चाहिए। इतना सुंदर रूप के साथ धरती माता सजा हुआ है। आज के प्रदूषित जीवन में इस कविता की प्रासंगिकता बहुत बड़ा है।

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।

पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा।
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है।
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है।।

प्रश्न 1.
यह किस कविता का अंश है? (मातृभूमि, सपने का भी हक नहीं, कुमुद फूल बेचनेवाली लड़की, आदमी का चेहरा)
उत्तरः
मातृभूमि

प्रश्न 2
कवि की राय में भारवासियों की देह किससे बनी हुई है?
उत्तरः
मातृभूमि से/ मिट्टी से

प्रश्न 3.
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा? ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तरः
मातृभूमि माँ के समान है। जिस प्रकार माँ की ममता का प्रत्युपकार कर नहीं सकता है उसी प्रकार मातृभूमि का भी प्रत्युपकार हम नहीं कर सकते। मातृभूमि का स्थान हम मानव से भी श्रेष्ठ है।

प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की विख्यात कविता है “मातृभूमि”। इसमें मातृभूमि को हमने जननी का स्थान दिया है। मातृभूमि के लिए हमें अपना जीवन अर्पित करना है।

मातृभूमि के महत्व के बारे में याद करते हुए गुप्तजी कह रहे हैं आज तक जिन सुखों को हमने प्राप्त किया है, वह मातृभूमि का देन है। कवि कह रहे हैं, मातृभूमि माँ जैसी है। ऐसी मातृभूमि का प्रत्युपकार कभी भी हमसे नहीं हो सकता। हमारा शरीर जो है, तुम्हारी मिट्टी से बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है।

सरल शब्दों में कवि मातृभूमि के लिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा दे रही है। कविता की भाषा एवं भाव अत्यंत सरल एवं सारगर्भित है।

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

नीलंबर परिधान हरित पट पर सुंदर है।
सूर्य-चंद्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।।
नदियाँ प्रेम प्रवाह फूल तारे मंडन हैं।
बंदीजन खग-वृंद, शेषफन सिंहासन है।।
करत अभिषेक पयोद हैं, बलिदारी इस वेष की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।।

प्रश्न 1.
मातृभूमि किसकी सगुण मूर्ति है? (ईश्वर की, माता की, गुरु की)
उत्तरः
ईश्वर की

प्रश्न 2.
मातृभूमि का मुकट क्या है?
उत्तरः
सूर्य और चंद्र

प्रश्न 3.
कवि मातृभूमि पर बलिहारी होता है। क्यों?
उत्तरः
मातृभूमि और प्रकृति में अटूट संबंध है। इसलिए कवि मातृभूमि को ईश्वर की सगुण मूर्ति मानता है और मातृभूमि पर बलिहारी होता हैं।

प्रश्न 4.
द्विवेदीयुगीन कविता की विशेषताओं पर चर्चा करके कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
द्विवेदी युग में कविता राष्ट्रीयता तथा समाज-सुधार की भावनाओं से मुखरित है। देशप्रेम, मानवतावाद तथा संवच्छंद प्रकृति चित्रण आदि भी देख सकते हैं। इस समय के प्रसिद्ध कवि है मैथिलीशरण गुप्त। साकेत, यशोधरा, पंचवटी आदि आपके प्रसिद्ध रचनायें हैं। मातृभूमि गुप्त जी के एक प्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि मातृभूमि के वर्णन किया है। हरित तट में नीलांबर यानी आकाश रूपी वस्त्र सौंदर्य देते हैं। सूर्य और चंद्र पृथ्वी के मुकंट है। समुद्र इस रूप की मेखला है। प्रेम प्रवाह के रूप में नदियाँ हैं। फूल और तारे आभूषण है। खग-वृंद वंदना करतें हैं। सिंहासन रूप में शेषनाग का फण हैं। पयोद पृथ्वी पर अभिषेक करते हैं। सत्य ही मातृभूमि ईश्वर की सगुण मूर्ति हैं और कवि इस वेष की बलिदारी होते हैं।

इस कवितांश में तत्सम शब्दों को इस्तेमाल किया है। प्रकृति, देशप्रेम आदि के प्रमुखता है। आज भी प्रासंगिकता रखते हैं यह छात्रानुकूल कविता।

सूचनाः

निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।

पाकर मुझसे सभी सुखों को हमने भोगा।
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है।
बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है।
फिर अंत समय तू ही इसे अचल देख अपनाएगी।
हे मातृभूमि! यह अंत में तुझमें ही मिल जाएगी।।

प्रश्न 1.
‘मातृभूमि’ किस युग की कविता है? (द्विवेदी युग, छायावादी युग, प्रगतिवादी युग)
उत्तरः
द्विवेदी युग

प्रश्न 2.
‘धुलि’ का समानार्थी शब्द कवितांश से ढूँढ़ें। (सनी, बनी, मिली)
उत्तरः
सनी

प्रश्न 3.
‘तेरा प्रस्तुपकार कभी क्या हमसे होगा’ – कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तरः
हमारा सबकुछ मातृभूमि से मिली है। यह देह, यह जीवन और अंत में हमें स्वीकार करनेवाला भी मातृभूमि है। इसलिए कवि ऐसा कहता है।

प्रश्न 4.
कवि एवं काव्यधारा का परिचय देते हुए कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
प्रस्तुत पंक्तियाँ द्विवेदी युग के प्रसिद्ध कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखा गया है। देशप्रेम, वीरता, प्रकृति चित्रण आदि इस समय के विशेषताएँ है। खड़ी बोली का विकास भी इस काल में हुआ है। साकेत पंचवटी यशोधरा आदि गुप्त जी के प्रसिद्ध रचनायें हैं।

प्रस्तुत कवितांश में मातृभूमि के विशेषतायें व्यक्त करते हैं। हमारा सभी सुखों का कारण मातृभूमि है। हमारा यह शरीर भी इस पृथ्वी से मिला है। हमें जीवन दिया है और मृत्यु के बाद वापस स्वीकार करेगा। इसलिए कवि के विचार में मातृभूमि का प्रत्युपकार करना असंभव है। यह छात्रानुकूल और प्रासंगिक कविता से कवि हमारे मन में देशप्रेम, प्रकृति से अटुट संबंध आदि दिखाते हैं। खड़ीबोली के साथ-साथ तत्सम शब्द भी यहाँ प्रयुक्त हुआ है। सभी नागरिकों को जागरित करने केलिए कविता सफल है।

मातृभूमि कवि का परिचय

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) 2
– मैथिली शरण गुप्त

मैथिली शरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के चिरगांव में 1885 में हुआ। भारतीय पुराणों में उपेक्षित कथा प्रसंग एवं पात्रों को लेकर युगानुरूप काव्य उन्होंने लिखे। साकेत, यशोधरा, जयद्रध वध आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ है।

मातृभूमि गुप्तजी की प्रमुख कविता है। इसमें कवि ने मातृभूमि को हमारी जननी के स्थान देकर उसकेलिए अपने जीवन अर्पित करने का आह्वान करती है।

मातृभूमि Summary in Malayalam

Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) 3
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Plus Two Hind Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) 6

मातृभूमि Glossary

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) Glossary 1

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 1 मातृभूमि (कविता) Glossary 2

Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 झंड़ा ऊँचा रहे हमारा

Kerala State Board New Syllabus Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 झंड़ा ऊँचा रहे हमारा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus Two Hindi Textbook Answers Unit 1 झंड़ा ऊँचा रहे हमारा

झंड़ा ऊँचा रहे हमारा इकाई परिचय :

आपकी पहली इकाई है झंडा ऊँचा रहे हमारा। यह इकाई स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाकर देशप्रेम की माँग करती है। पहला पाठ भारत के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की देशप्रेम भरी कविता है। मातृभूमि का गुणगान करनेवाली यह कविता देश के लिए अपनी जान अर्पित करने का परोक्ष आह्वान करती है। इकाई का दूसरा पाठ सम्राट बहादुरशाह ज़फर द्वारा अपनी बेटी को जेल से भेजा गया खत है। अपनी बेटी तथा देश की जनता के प्रति सम्राट के प्यार-भरे आँसू से खत भीगा पड़ा है। आगे भारत की स्वतंत्रता की ऐतिहासिक वेला में लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते हुए देशवासियों को संबोधित करनेवाले प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भाषण है। इकाई के हर पाठ के ज़रिए भारत का तिरंगा झंडा ऊँचाई पर लहरा रहा है।

झंड़ा ऊँचा रहे हमारा പാഠപരിചയം :

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