Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख

Kerala State Board New Syllabus Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख

प्रश्न 1.
‘इस ठंडी रात में भी हमी दो व्यक्ति बाहर हैं। दोनों के बाहर रहने का विशेष कारण अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
यहाँ के दो व्यक्ति ‘दुःख’ कहानी का नायक दिलीप और दूसरा खोमचे बेचनेवाला लड़का है। दिलीप की पत्नी हेमा व्यर्थ रूठकर माँ के घर चली गयी है। इससे दुःखित होकर दिलीप मिंटो पार्क में मन बहलाने को गया था। इसलिए दिलीप अपने घर से बाहर था। खोमचे बेचनेवाला लड़का रोजी रोटी के लिए पकौड़े बेचने के लिए उसकी झोंपड़ी से बाहर था।

प्रश्न 2.
‘मैं इस जीवन में दुख ही देखने को पैदा हुई हूँ….. दिलीप ने आगे न पढ़ा, पत्र फाड़कर फेंक दिया’। हेमा का दिलीप के नाम का वह पत्र कल्पना करके लिखें।
उत्तर:

आमरा,
15.3.2015

प्रिय दिलीप,
आप कैसे हैं? माँ के घर मैं दुःख सहती सहती जीती हूँ। मैं इस जीवन में दुःख देखने को पैदा हुई हूँ। आप को मुझ से कोई प्यार नहीं है। मैं सदा आप को प्यार करती रहती हूँ। आप मुझे समझते क्यों नहीं? आप जैसे एक पति से क्या मुझे संतोष मिलेगा कभी? मेरी प्रतीक्षा है आप यहाँ पर जल्दी आ जायें और मुझे ले जायें। लगता हूँ मैं वापस आने के बाद आप मुझे दुःख फिर नहीं देंगे। दाम्पत्य जीवन के बारे में मुझमें कितनी आशाभिलाषाएँ थीं? सब निष्फल हो गयीं। आप के यहाँ आने की प्रतीक्षा में,

(हस्ताक्षर)
हेमा, आप की पत्नी

सेवा में,
दिलीप के.के.
मिंटो पार्क पि.ओ.
आरती नगर

प्रश्न 3.
‘मिट्टी ते तेल की ढिबरी के प्रकाश में देखा वह दृश्य उनकी आँखों के सामने से न हटता था’। उस दिन की दिलीप की डायरी लिखें।
उत्तर:

मार्च 15, 2014

मिंटो नगरः
आज मेरे लिए बड़े मानसिक संघर्ष का दिन था। हेमा रूठकर माँ के घर चली गयी। मन बहलाने के लिए मैं मिंटो पार्क गया। पार्क से वापस आते समय खोमचे बेचनेवाले एक छोटे-से लड़के से मेरी भेंट हुई। कितना गरीब लड़का है वह!! मैंने उससे खोमचे खरीदे। दाम देने पर वापस देने के लिए उसके पास छुट्टे भी नहीं थे। उसकी माँ कितनी बेचारी औरत है? लेकिन, माँबेटे के बीच का प्यार देखकर मुझे आश्चर्य हो गया। उस लड़के के घर से मुझे उसली दुःख की पहचान हुई। मैंने वहाँ के दुःख को हेमा के दुःख से तुलना की। हेमा का दुःख बनावटी है। हेमा का दुःख अमीरी-प्रदत्त नकली दुःख है। वह रसीला दुःख है। लड़के और उसकी माँ का दुःख अभाव-प्रदत्त असली दुःख है।

हे भगवान! हम अमीरों को क्षमा कर। हेमा को मनपरिवर्तन दे। नींद आ रही है। गहरी तो नहीं…….

प्रश्न 4.
बच्चे की माँ और दिलीप, दोनों के मुँह से निकलते हैं – भूख नहीं है।
दोनों के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना करके टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
दिलीप एक धनी आदमी है। उसकी पत्नी हेमा रूठकर माँ के घर चली गयी। इस पर दिलीप बड़ी निराशा में है। निराशा और मानसिक संघर्ष के कारण उसे भूख नहीं लगती। लेकिन, बच्चे की माँ दरिद्रता में है। अवश्य भोजन के लिए उसके पास सुविधा नहीं है। उसके पास केवल दो सूखी रोटयाँ हैं। उनको माँ बच्चे को खिलाना चाहती थी। स्वयं भूखी रहकर बेटे को रोटियाँ खिलाने के प्रयत्न में माँ झूठ बोलती है: ‘भूख नहीं है’। बेटे के प्रति बड़ी वत्सलता होने के कारण भी माँ कहती है: ‘भूख नहीं’। दिलीप के बिना भूख की अवस्था मानसिक संघर्ष के कारण से है, लेकिन माँ के बिना भूख का कारण दरिद्रता है।

प्रश्न 5.
स्कूलवालों ने लड़कियों को घर से लाने के लिए मोटर रख ली है और उसे निकाल दिया है।
मशीनीकरण ने एक ओर सुविधाएँ पैदा की हैं तो दूसरी ओर उसने बेरोज़गारी को बढ़ावा दिया है। मशीनीकरणः सकारात्मक बनाम नकारात्मक ।
‘मशीनीकरण के गुण-दोष’ – पर एक आलेख तैयार करें।
उत्तर:
मशीनीकरण ने एक ओर सुविधायें पैदा की हैं तो, दूसरी ओर उसने बेरोज़गारी को बढ़ावा दिया है। आज साधारण जीवन के सभी क्षेत्रों में मशीनीकरण तीव्र गति पकड़ रही है। घर में, दफ्तर में, स्कूल में, कारखानों में – सभी जगहों पर मशीनीकरण बहुत साधारण हो गया है। अनेक स्कूलवालों ने छात्रों के लिए गाड़ी का प्रबन्ध किया है। लेकिन अनेक स्कूल अधिकारियों ने आजकल इस सुविधा को रोक दिया है। मशीनीकरण एक बड़े पैमाने तक अच्छा है। इससे समय का लाभ होता है। नये नये आविष्कारों से विज्ञान और प्रौद्योगिकि का विकास होता है।

ऐसे गुण होने पर भी मशीनीकरण से अनेक बुराइयाँ भी होती हैं। मशीनीकरण की सबसे बड़ी बुराई इससे वातावरण का प्रदूषण होता है। इससे मानव अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। आपसी संबन्ध कम हो जाता है। मशीनीकरण के आगमन के पहले लोगा हिलमिलकर काम करते थे। इससे सामाजिकता बढ़ती थी। लेकिन मशीनीकरण ने अणुपरिवार को बढ़ावा दिया है।

उदाहरण के लिए पहले छात्रगण शिक्षाकेन्द्रों की ओर पैदल जाते थे। इससे स्वास्थ्य, मेल-मिलाप आदि संरक्षित रहते थे। लेकिन शिक्षा केन्द्रवाले मोटरों की सुविधा देने से मेल-मिलाप कम हो गया। अनेक छात्रों का स्वास्थ्य भी कम कसरत से बिगड़ जाने लगा।

मशीनीकरण से गुण है, साथ-साथ दोष भी है। अतिमशीनिकरण न हो जाये। कम मशीनीकरण भी न हो जाये।

Plus One Hindi दुःख Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मन वितृष्णा से कब भर जाता है?
उत्तर:
जिसे मनुष्य सर्वापेक्षा अपना समझ भरोसा रखता है, जब उसीसे अपमान और तिरस्कार प्राप्त हो तो, मन वितृष्णा से भर जाता है।

प्रश्न 2.
बहुत से लोग उसे ‘अति’ कहेंगे। किसे?
उत्तर:
दिलीप द्वारा हेमा को दिये गये स्वतंत्रता, आदर, आतंरिकता और अनुरक्त भरे प्यार को ।

प्रश्न 3.
हेमा माँ के घर क्यों चली गई?
उत्तर:
उसकी सहेली के साथ दिलीप सिनेमा देख आने के कारण रात भर हेमा रूठी रहकर सुबह उठते ही वह माँ के घर चली गई।

प्रश्न 4.
दिलीप को किसपर भय हुआ?
उत्तर:
समय को बीतता न देखने पर दिलीप को भय हुआ।

प्रश्न 5.
अपने निकटतम व्यक्ति से अपमान और तिरस्कार होने पर मनुष्य की दशा क्या हो जाती है?
उत्तर:
मन वितृष्णा से भर जाता है।

प्रश्न 6.
जिंदगी में कभी-कभी एक-एक मिनट गुज़ारना भी मुश्किल हो जाता है- कब?
उत्तर:
वितृष्णा और ग्लानि में स्वयं यातना बन जाते समय ।

प्रश्न 7.
दिलीप क्यों व्याकुल था?
उत्तर:
दिलीप अपनी पत्नी हेमा को बड़ी आंतरिकता से प्रेम करता था। उसको पूर्ण स्वतंत्रता देता था। उसे बहुत आदर करता था। उसके प्रति बहुत अनुरक्त भी था। लेकिन, हेमा दिलीप के प्रति अविश्वास प्रकट करके अपने घर चली गई। इससे दिलीप व्याकुल था।

प्रश्न 8.
दिलीप के मस्तिष्क की व्याकुलता कुछ कम हुई। कब?
उत्तर:
मिंटो पार्क के एकांत में एक बेंच में बैठे समय सिर में ठंड लगने से।

प्रश्न 9.
दिलीप ने संतोष का एक दीर्घ निश्वास लिया। क्यों?
उत्तर:
अपनी आकस्मिक मृत्यु द्वारा पत्नी हेमा से बदला लेने का निश्चय करने पर दिलीप ने संतोष का एक दीर्घ निश्वास लिया।

प्रश्न 10.
दिलीप का मन कुछ हल्का हो गया था – कब?
उत्तर:
स्वयं सह अन्याय के प्रतिकार की एक संभावना देख दिलीप का मन कुछ हल्का हो गया।

प्रश्न 11.
बिजली के लैंप किस प्रकार अपना प्रकाश सड़क पर डाल रहा था?
उत्तर:
बिजली के लैंप निष्काम और निर्विकार भाव से अपना प्रकाश सड़क पर डाल रहा था।

प्रश्न 12.
स्वयं सह अन्याय के प्रतिकार की एक संभावना देख उसका मन कुछ हल्का हो गया था यहाँ प्रतिकार की संभावना क्या थी?
उत्तर:
दिलीप की मृत्यु । (मिंटो पार्क में बेंच पर एकांत बैठने से सिर में ठंड लग जायेगा, बीमार हो जाएगा, मर जाएगा, दिलीप के शवशरीर के पास पछताकर हेमा बैठेगी।)

प्रश्न 13.
‘सौर जगत के यह अद्भुत नमूने थे’। यहाँ अद्भुत नमूने क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों के अभाव की कुछ भी परवाह न कर, लाखों पतंगे गोल बाँध-बाँध कर सड़क के लैंपों के चारों ओर नृत्य कर रहे थे।

प्रश्न 14.
मनुष्य के बिना भी संसार कितना व्यस्त और रोचक है। कैसे?
उत्तर:
प्रकृति के सुंदर दृश्यों से। (सड़क किनारे स्तब्ध खड़े बिजली के लैंप निष्काम और निर्विकार भाव से अपना प्रकाश सड़क पर डाल रहे थे। लाखों पतंगे गोले बाँघबाँध कर, इन लैंपों के चारों ओर नृत्य कर रहे थे। वृक्षों के भीगे पत्ते बिजली के प्रकाश में चमचमा रहे थे। पदछाईयाँ सुन्दर दृश्य बना रही थीं। सड़क पर पड़ा प्रत्येक भीगे पत्ते और लैंपों की किरणों के बीच संवाद हो रहा था। ये सब देखकर दिलीप सोचता है कि मनुष्य के बिना भी संसार कितना व्यस्त और रोचक है।)

प्रश्न 15.
कोई श्वेत-सी चीज़ दिखाई दी। वह कौन थी?
उत्तरः
एक छोटा-सा लड़का सफेद कुर्ता- पायजामा पहने, एक थाली सामने रखे कुछ बेच रहा है।

प्रश्न 16.
खोमचे बेचनेवाले छोटे लड़के की हालत का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर:
लड़का सफेद कुर्ता- पायजामा पहने, एक थाली सामने रखे कुछ बेच रहा है। बहुत छोटा उम्रवाला था। क्षुद्र शरीर था। सर्द हवा में बालक सिकुड़ कर बैठा था। रात में सौदा बेचनेवाला सौदागर लड़के के पास मिट्टी के तेल की ढिबरी तक नहीं थी।

प्रश्न 17.
उसने आशा की एक निगाह उसकी ओर डाली, और फिर आँखें झुका लीं। यहाँ बालक की कौन-सी चरित्रगत विशेषता प्रकट होती है?
उत्तर:
बिक्री की प्रतीक्षा में बालक ने आशा की एक निगाह दिलीप पर डाली। गरीब होने पर भी वह स्वाभिमानी है, बिक्री के लिए हाथ फैलाना या याचना करना वह नहीं चाहता। इसलिए उसने आँखें झुका लीं।

प्रश्न 18.
‘लड़के के मुख पर खोमचा बेचनेवालों की-सी चतुरता नहीं थी, बल्कि उसकी जगह थी एक कातरता’ – यहाँ ‘चतुरता’ एवं ‘कातरता’ शब्दों का तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
चतुरता = निपुणता, कातरता = दीनता

प्रश्न 19.
ठंडी रात में कौन-कौन बाहर हैं?
उत्तर:
दिलीप और खोमचेवाला बालक।

प्रश्न 20.
कौन-सी चीज़ मनुष्य-मनुष्य में भेद की सब दीवारों को लाँघ जाती है?
उत्तर:
मनुष्यत्व।

प्रश्न 21.
बालक की प्रफुल्लता दिलीप के किस प्रश्न से उड़ गई?
उत्तर:
‘कुछ कम नहीं लेगा’ प्रश्न से।

प्रश्न 22.
दिलीप क्यों लड़के के घर चला?
उत्तर:
लड़के का घर देखने का कौतूहल जाग उठने से।

प्रश्न 23.
‘आठ पैसे का खोमचा बेचने जो इस सर्दी में निकला है उसके घर की क्या अवस्था होगी, यह सोचकर दिलीप सिहर उठा’- क्या आप सोच सकते हैं कि बालक के घर की अवस्था क्या होगी?
उत्तर:
बहुत दरिद्र अवस्था।

प्रश्न 24.
बच्चे ने घबराकर कहा- ‘पैसे तो घर पर भी न होंगे’। दिलीप सिहर उठा। दिलीप के सिहर उठने का कारण क्या होगा?
उत्तर:
बच्चे के जीवन की दरिद्र अवस्था के बारे में जानकर ।

प्रश्न 25.
लड़के की माँ को नौकरी से हटा दिया। क्यों?
उत्तर:
लड़के की माँ बाबू के घर में अढ़ाई रूपया महीना लेकर चौका-बर्तन करती थी। लेकिन जगतू की माँ ने दो रूपये पर यह काम करने को तैयार हो गई। इसलिए लड़के की माँ को नौकरी से हटा दिया।

प्रश्न 26.
बाबू की घरवाली ने माँ को हटाकर जगतू की माँ को रख लिया है। यहाँ समाज की कौन-सी मनोवृत्ति प्रकट है?
उत्तर:
धनी लोग गरीबों को गरीबीपन का शोषण करते हैं। यहाँ नौकरी के क्षेत्र में होनेवाले आर्थिक शोषण का दृश्य है।

प्रश्न 27.
जगतू की माँ को नौकरी से क्यों निकाल दिया?
उत्तर:
जब स्कूलवालों ने लड़कियों को घर से लाने के लिए मोटर रख ली, तब जगतू की माँ को नौकरी से निकाल दिया।

प्रश्न 28.
स्कूलवालों ने लड़कियों को घर से लाने के लिए मोटर रख ली है और उसे निकाल दिया है। यहाँ कहानीकार किस सामाजिक समस्या की ओर इशार करते है?
उत्तर:
मशीनीकरण के कारण गरीब लोगों की नौकरी नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 29.
‘एक बड़ी खिड़की के आकार का दरवाज़ा’ – के प्रयोग से कहानीकार क्या बताना चाहते हैं?
उत्तर:
खोमचे बेचनेवाले लड़के के घर की शोचनीय अवस्था ।

प्रश्न 30.
कोठरी के भीतर दिलीप ने क्या-क्या देखा?
उत्तर:
धुआँ उगलती मिट्टी के तेल की एक ढिबरी, एक छोटी चारपाई , दो-एक मैले कपड़े और आधी उमर की एक स्त्री मैली -सी धोती में शरीर लपेटे बैठी थी।

प्रश्न 31.
‘बेटा, रुपया बाबुजी को लौटाकर घर का पता पूछ लें, पैसे कल ले आना’। यहाँ माँ की कौन-सी चरित्रगत विशेषता प्रकट होती है?
उत्तर:
ईमानदारी, दूसरों पर विश्वास, दूसरों को मानना और स्वाभिमान।

प्रश्न 32.
दिलीप ने शरमाते हुए कहा। क्यों?
उत्तर:
माँ की सच्चाई और ईमानदारी से प्रमावित होकर।

प्रश्न 33.
स्त्री क्यों ‘नहीं-नहीं’ करती रह गयी?
उत्तर:
छुट्टे वापस देने केलिए न होने पर भी स्त्री के मन में बड़ा स्वाभिमान और ईमानदारी होने के कारण ।

प्रश्न 34.
स्त्री के चेहरे पर कृतज्ञता और प्रसन्नता की झलक कब छा गयी?
उत्तर:
दिलीप ने बाकी पैसे न लेने पर स्त्री के चेहरे पर कृतज्ञता और प्रसन्नता की झलक छा गयी।

प्रश्न 35.
बेटा कब रीझ गया?
उत्तर:
उसे सुबह रोटी के साथ दाल भी खिलाने की बात माँ से सुनकर बेटा रीझ गया।

प्रश्न 36.
लड़का पुलकित हो रहा था। क्यों?
उत्तर:
अपनी मेहनत की कमाई से रोटी खाने की प्रतीक्षा में लड़का पुलकित हो रहा था। हम जानते हैं कि मेहनत की रोटी मीठी होती है।

प्रश्न 37.
बेटा बचपन के कारण रूठा था। मगर घर की हालत से परिचित भी था। इस कथन का तात्पर्य क्या है?
उत्तर:
बेटा बचपन की चपलता के कारण रूखी-सूखी रोटी पर रूठ जाता है। मगर अपने अनुभव से घर की परेशानी परचानता है। तब बचपन की चपलता परिपक्वता में बदल जाती है। बचपन में ही बालक माँ के साथ परिवार का भार अपने कंधे पर उठाता था। परंतु अच्छा भोजन खाने के लिए वह दिन-दिन ललचा रहा था। इसलिए थोड़े समय के लिए वह रूठ गया था।

प्रश्न 38.
मुझे अभी भूख नहीं, तू खा’ – माँ ऐसा क्यों कह रही है?
उत्तर:
माँ को खाने के लिए आवश्यक रोटी नहीं थी। जितना भोजन घर में था. उसे माँ बेटे को खिलाना चाहती थी। माँ की ममता और बेटे के भविष्य की सोच में माँ ऐसा कह रही है।

प्रश्न 39.
सौदा बेचनेवाले बच्चे के घर आए दिलीप ने अपनी डायरी में क्या लिखा होगा? वह डायरी तैयार करें।
उत्तर:

तारीक

मिंटोपार्क नगर :
आज मैंने समझा कि सच्चा दुःख क्या है। सबेरे से हेमा के बारे में सोचकर मन चिंता से भरा था। फिर टहलने गया। बारिश का मौसम बीत गया था। फिर भी, शाम को सड़क और पार्क सुनसान था। मैं धीरे चलते वक्त सड़क पर एक बालक को देखा। वह सौदा बेच रहा था। उससे बातें करते समय मैंने समझ लिया कि उसका बाप मर गया था और माँ बीमार है। घर की परेशानी उसे इस ठंडी रात में सौदा बेचने के लिए मजबूर करती है। मैंने उससे पूरा सौदा खरीदा और एक रूपया दिया। बाकी पैसे देने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। उसके साथ दिलीप उसके घर चला। कितनी दयनीय थी वहाँ की अवस्था! रूखी रोटी पर गुस्सा उतारनेवाला बच्चा अब भी मेरे मन में है। घर में पैसा नहीं था। फिर भी मुफ्त के पैसे वे नहीं चाहते थे। उनके दुःख के सामने मेरा दुःख कितना छोटा है? उसे और भी मैं जरूर मिलूँगा।

प्रश्न 40.
सौदा बेचनेवाले बच्चे को दिलीप ने फिर देखा । तब दोनों के बीच का वार्तालाप तैयार करें।
उत्तर:
दिलीप : हाँ बेटा, कैसे हो?
बच्चा : ठीक हूँ जी। आपको मैंने कई बार देखा था।
दिलीप : फिर क्यों पास न आया?
बच्चा : मैं आपके पास आने लगा तो आप कहीं निकल जाते हैं।
दिलीप : अच्छा। तो, आज मुझे कैसे मिला?
बच्चा : आप मेरे सामने से निकलते समय ही मैंने आपको बुलाया।
दिलीप : घर में माँ सकुशल हैं?
बच्चा : माँ की बीमारी कुछ कम हुई है।
दिलीप : क्या ये दो पकौड़े मुझे दोगे?
बच्चा : ठीक है, लेकिन पैसा न देना।
दिलीप : पैसा नहीं, रूपया हूँ और यह लूँ।
बच्चा : बाकी देने के लिए घर में पैसे नहीं हैं ….
दिलीप : बाकी तुम्हारे पास रखो। बड़ा होकर वापस देना।
बच्चा : ठीक है। धन्यवाद।

प्रश्न 41.
मिट्टी के तेल की ढिबरी के प्रकाश में देखा वह दृश्य उनकी आँखों के सामने से न हटता था। उस दिन की दिलीप की डायरी लिखें।
उत्तर:

तारीक

मिंटोपार्क नगर :
आज के दिन के बारे में क्या लिखू? कैसा दृश्य था वह? अपने बेटे की प्रतीक्षा में ठंडी रात में चादर ओढ़कर बैठी उस गरीब और बीमार माँ की आँखों में क्या क्या भाव थे? अपने बेटे को देखकर उसका चेहरा खिल उठा। सौदा बेचने की बात कहते समय उसके मुख पर खुशी आयी। बाकी पैसे की बात सुनकर उसने रूपए वापस देने की बात कही। गरीबी में भी उसे मुफ्त के पैसे की चाह नहीं! फिर उस माँ ने अपनी भूख भूलकर बेटे को भोजन खिलाया। दोनों का प्यार देख कर मेरा मन द्रवित हो गया। अभाव के इस दुःख के सामने मेरा दुःख कितना छोटा है ? कल ज़रूर उस बच्चे से मिलूँगा।

प्रश्न 42.
नौ कर विस्मित खड़ा रहा । क्यों?
उत्तर:
दिलीप की ‘भूख नहीं’ है बात सुनकर नौकर विस्मित खड़ा रहा।

प्रश्न 43.
दिलीप को भूख नहीं लगी। क्यों?
उत्तर:
खोमचे बेचनेवाले लड़के की माँ का ‘भूख नहीं’ कहना याद आने पर।

प्रश्न 44.
हेमा ने पत्र की पहली लाइन में क्या लिखा था?
उत्तर:
“मैं इस जीवन में दुःख ही देखने को पैदा हुई हूँ।”

प्रश्न 45.
‘रसीला दुख’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यशपालजी की दुःख कहानी से यह समझते हैं कि जीवन का यथार्थ दुःख गरीबी है। इसको न समझनेवाले दिलीप की पत्नी हेमा जैसे धनी लोगों का दुःख अमीरीप्रदत्त नकली दुःख है। सब कुछ होने पर भी, इस प्रकार दुःख करनेवाले लोगों का दुःख केवल तमाशा केलिए है, रस -विनोद के लिए है, सस्ती बातों पर है। अभाव – प्रदत्त असली दुःख की तुलना में यह एक प्रकार का सुखदायक दुःख है। इस दुःख में असलियत नहीं है और यह अनावश्यक दुःख है।
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 1

प्रश्न 46.
‘काश तुम जानती दुःख किसे कहते है। तुम्हारा यह रसीला दुःख तुम्हें न मिले तो जिंदंगी दूभर हो जाए।’ प्रस्तुत घटना को दिलीप अपनी आत्मकथा में लिखता है। आत्मकथांश तैयार करें।
उत्तर:

यह दुःख नहीं

हेमा की सहेली के साथ मैं सिनेमा देख आने के कारण, रात भर वह रूठी रही। अगले दिन सुबह उठते ही हेमा अपनी माँ के घर चली गयी। तब मेरे मन में क्षोभ का अंत न रहा। मेरी पत्नी की इस व्यवहार से मेरा मन वितृष्णा और ग्लानि से भर गया। मन बहलाने के लिए मैं मिंटो पार्क गया। सिर में ठंड लगने से मेरे मस्तिष्क की व्याकुलता कुछ कम हुई।

मिंटो पार्क से लौटते समय एक गरीब बच्चे से मेरी भेंट हुई। वह सड़क के किनारे नींबू के वृक्षों की छाया में बैठकर पकौड़े बेच रहा था। मैंने उससे पूरे पकौड़े खरीदे। मैंने उसे एक रूपया दिया। लेकिन बाकी पैसे वापस करने के लिए उसके पास छुट्टे नहीं थे। उसकी माँ से छुट्टे लेने के नाम पर मैं उसका घर गया। वहँ मैं ने उसकी माँ को देखा।

कितनी गरीब थी वह! बाकी पैसे देने के लिए माँ के पास पैसे नहीं थे। बेचारी औरत! माँ की परेशानी देखकर मेरा मन उत्कंठित हो गया। माँ के पास अच्छे कपड़े नहीं थे। खाने के लिए आवश्यक भोजन नहीं था। घर भी बहुत दयनीय अवस्था में थी।

मैंने वहाँ पर असली दुःख देखा। मुझे उस कोठरी में असली दुःख की पहचान हुई। मैंने पहचाना कि जीवन का यथार्थ दुःख गरीबी है। हेमा का दुःख अमीरी -प्रदत्त नकली दुःख है। वह एक प्रकार का रसीली दुःख है। हेमा का दुःख सही में दुःख नहीं है।

प्रश्न 47.
‘वन-संरक्षण सबका दायित्व’ विषय पर संगोष्ठी में प्रस्तुत करने के लिए आलेख तैयार करें।
उत्तर:

वन-संरक्षण : सबका दायित्व

पेड़-पौधे प्रकृति के वरदान हैं। धरती की हरियाली जीवन के लिए अत्यावश्क है। पेड़ – पौधे धरती की हरियाली सदा संरक्षित रखते हैं। पेड़-पौधों के अभाव में धरती में गर्मी बढ़ जाती है। गर्मि से धरती का बचाव पेड़-पौधों से ही होता है। भूक्षरण की रोक भी पेड़-पौधों से होती है। पेड़-पौधे मनुष्य को और भी विविध प्रकार लाभदायक होते हैं। मनुष्य को खाने के लिए अनेक प्रकार के भक्ष्य-पदार्थ पेड़-पौधों से मिलते हैं। वन के पेड़-पौधों से मनुष्य के उपयोग के लिए अनेक प्रकार की औषधी भी मिलती है।

पक्षी, जीव-जन्तु भी वनसंरक्षण से जीवित रहते हैं। अनेक प्रकार के पक्षी और जीव-जतु वंश-नाश के खतरे में है। इनके बचाव भी वन को संरक्षित रखने से संभव होता है।

वन-संरक्षण सामाजिक दायित्व है। प्रत्येक साल वन-संरक्षण केलिए वन-महोत्सव की आयोजना होती है। वन महोत्सव को हर प्रकार प्रोत्साहन करना हमारा कर्तव्य है।

वन संरक्षण सब का दायित्व है। इसलिए वन-संरक्षण संबंधित सभी आयोजनाओं को हमें प्रोत्साहन करते रहना चाहिए।

दुःख Previous Years Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘मिट्टी के तेल की ढिबरी के प्रकाश में देखा वह दृश्य उनकी आँखों के सामने से न हटता था’ उस दिन की दिलीप की डायरी निम्नलिखित सहायक बिंदु के आधार से लिखिए।
सहायक बिंदु:

  • बच्चे से भेंट
  • माँ की परेशानी
  • माँ-बेटे का प्यार
  • असली दुःख की पहचान और तुलना

उत्तर:

डायरी

25/7/2016,
सोमवार.

आज एक अजीब दिन था। हेमा मुझसे रूठकर अपनी माँ के घर चली गई। मैं कुछ समय तक उदास होकर रहे। श्याम होते होते बाहर कुछ देर घूमने केलिए निकला। रास्ते में एक बालक से मिला। वह कुछ पकोडों बेचने केलिए ठंडी रात में बैठे थे। उनके पास ठीक तरह से कपड़े तक नहीं था। मैं उनके पास जो पकोडे थे – पूरा खरीद लिया और बाकी पैसे न होने के कारण उनके साथ उनके घर चला। घर की हालत देखकर मैं स्तब्ध रह गया। उनकी माँ एक गरीब निस्सहाय औरत थी। फिर भी वह कितने प्यार से अपने बेटे के खयाल रखते हैं। मैं वहाँ से निकला तो मुझे समझ में आया असली दुःख क्या है। हम तो फालतू बातों को दुःख समझकर जी रहे हैं। हमें ज़रूर बाहरी दुनिया के बारे में सोचना चाहिए।

शुभरात्री

प्रश्न 2.
मान लीजिए ‘दुःख’ कहानी का पात्र दिलीप अपनी आत्मकथा लिखता है। आत्मकथा में गरीब माँ-बेटे का उल्लेख है। निम्नलिखित सहायत बिन्दुओं के आधार पर वह आत्मकथांश तैयार कीजिए।
सहायक बिंदु:

  • बच्चे से भेंट
  • माँ की परेशानी
  • माँ-बेटे का प्यार
  • हेमा का दुःख और खोमचेवाले लड़के का दुःखतुलना

उत्तर:

यह दुःख नहीं

हेमा की सहेली के साथ मैं सिनेमा देख आने के कारण, रात भर वह रूठी रही। अगले दिन सुबह उठते ही हेमा अपनी माँ के घर चली गयी। तब मेरे मन में क्षोभ का अंत न रहा। मेरी पत्नी की इस व्यवहार से मेरा मन वितृष्णा और ग्लानि से भर गया। मन बहलाने के लिए मैं मिंटो पार्क गया। सिर में ठंड लगने से मेरे मस्तिष्क की व्याकुलता कुछ कम हुई। मिंटो पार्क से लौटते समय एक गरीब बच्चे से मेरी भेट हुई। वह सड़क के किनारे नींबू के वृक्षों की छाया में बैठकर पकौड़े बेच रहा था। मैंने उससे पूरे पकौड़े खरीदे। मैंने उसे एक रूपया दिया। लेकिन बाकी पैसे वापस करने के लिए उसके पास छुट्टे नहीं थे। उसकी माँ से छुटटे लेने के नाम पर मैं उसका घर गया। वहँ मैं ने उसकी माँ को देखा। कितनी गरीब थी वह! बाकी पैसे देने के लिए माँ के पास पैसे नहीं थे। बेचारी औरत! माँ की परेशानी देखकर मेरा मन उत्कंठित हो गया। माँ के पास अच्छे कपड़े नहीं थे। खाने के लिए आवश्यक भोजन नहीं था। घर भी बहुत दयनीय अवस्था में थी।

मैंने वहाँ पर असली दुःख देखा। मुझे उस कोठरी में असली दुःख की पहचान हुई। मैंने पहचाना कि जीवन का यथार्थ दुःख गरीबी है। हेमा का दुःख अमीरी -प्रदत्त नकली दुःख है। वह एक प्रकार का रसीली दुःख है। हेमा का दुःख सही में दुःख नहीं है।

प्रश्न 3.
‘दुख’ कहानी के आधार पर असली दुख तथा नकली दुख के संबंध में संगोष्ठी में प्रस्तुत करने योग्य एक आलेख तैयार कीजिए।

  • गरीब तथा अमीर लोगों के दुख
  • दुख को हल करने का उपाय
  • मानवता का उदय

उत्तर:
दुःख एक ऐसी समस्या है जिसके कारण सभी लोग आज चिंतित है। गरीब और अमीर सभी लोग दुःखी है। सब के सब अपने दुःखों के लिए दूसरों को ही दोषी ठहराते हैं।

पहले हमें यह जानना चाहिए कि दुःख क्यों होता है और क्या होता है। जब तक हम अपने आप पर खुश नहीं है, अपने विजय पर खुश नहीं है, हमें दुःख ही दुःख मिलेगा। जो कुछ हमने पाया है या जो कुछ हमें है इस पर हमें खुश होना चाहिए। लेकिन मानव कभी भी ऐसा नहीं है। वह दूसरों की सुख-सुविधा और ऐश्वर्य देखता है और जो कुछ उसके पास नहीं है उसके बारे में सोचकर दुखी बन जाता है।

अपने दुःखों को हल करने का उपाय भी हमें खुद निकालना चाहिए। गरीबों के दुःख और अमीरों के दुःख में बहुत बड़ा अंतर है। जब अमीर बड़ी बड़ी सुखसुविधाओं के बारे में सोचकर दुःखी होते हैं तब गरीब रोज़ी-रोटी के बारे में सोचकर दुःखी हो जाते हैं। एक प्रकार से देखने पर अमीरों का दुःख कुछ रसीला है जब गरीबों का दुःख असली है।

जब तक पूरे समाज में मानव-मानव के बीच प्रेम और भाईचारे का संबंध नहीं पनपेगा, तब तक, दुःखी लोगों की संख्या कम नहीं होगा।

दुःख लेखक परिचय

यशपाल हिन्दी साहित्य के प्रगतिशील कहानीकारों में श्रेष्ठ माने जाते हैं। वे क्रांतिकारी साहित्यकार थे। कहानियाँ, उपन्यास, निबंध आदि अनेक विधाओं में साहित्य रचना कर यशपाल हिन्दी के शीर्षस्थ कथाकार बने। सामाजिक कुरीतियाँ, शोषण और अंधविश्वास के खिलाफ समाज को सचेत करना यशपाल का लक्ष्य था। ‘झुठा-सच’, ‘दिव्या’, ‘देशद्रोही’, ‘मनुष्य के रूप’, ‘अमिता’, ‘पिंजरे का उडान’, ‘सच बोलने की भूल’आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। निम्नवर्ग के दुःख और निराशा भरी ज़िन्दगी का चित्रण दुःख कहानी में हुआ है।

दुःख Summary in Malayalam

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 2
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 3
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 4
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 5
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 6
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 7
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 8
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 9
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 10
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 11
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 12
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 13
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 14
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 15
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 16
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 17
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 18
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 19

दुःख शब्दार्थ

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 20
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 21
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 22
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 23
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 24
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 25
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 26
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 27
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 28
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 3 Chapter 12 दुःख 29