Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे

Kerala State Board New Syllabus Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे

प्रश्न 1.
जो दिल खोजौं आपना मुझ-सा बुरा न कोय- कबीर ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
मनुष्य में भलाई और बुराई का मिश्रण होता है। परंतु, मनुष्य अपनी बुराई को छिपाकर दूसरों की बुराई बताते फिरता है। अपने आपको सुधारने को हमें ज्यादा ध्यान देना चाहिए। दूसरों की बुराई खोज देखने के लिए हमें इच्छुक न रहना चाहिए। संक्षेप में कबीर का मत है अपने को पहचानना सच्चे ज्ञानी का लक्षण है।

प्रश्न 2.
प्रभुता का महत्व समझाने के लिए कबीर ने किसका सहारा लिया है?
उत्तर:
चींटी का।

प्रश्न 3.
दुख काहे होयइससे क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सुख और दुख जीवन के सत्य हैं। दुख में सब लोग आश्रय की याद करते हैं। तब दुःख कम हो जाता है। लेकिन सुख आने पर लोग उसी आश्रय को भूल जाते हैं। कबीर के अभिप्राय में यह कृतघ्नता और अज्ञता से होता है।

प्रश्न 4.
सच्चा शूर कैसे बनता है?
उत्तर:
जिसे जाति, वर्ण, कुल आदि के भेदभाव की चिंता नहीं, वही सच्चा शूर है। दूसरे शब्तों में समभाव की भावना रखनेवाला सच्चा शूर बनता है।

दोहे अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 5.
समानार्थी शब्द दोहे से ढूँढ़ लें।
कोई, शूर, संभाला, ढूँढ़ना, धूलि, वर्ण, स्मरण, क्यों, मिला
उत्तर:
कोई = कोय
शुर = सूरमा
संभाला = समाय
ढूँढना = खोजौं
धूली = धूरि
वर्ण = बरन
स्मरण = सुमिरन
क्यों = काहे
मिला = मिलिया

प्रश्न 6.
समान आशयवाला चरण दोहे से चुन लें।
a. दूसरा कोई भूखा न रहे।
b. सुख में कोई स्मरण नहीं करता।
c. मैं बुरे लोगों को ढूँढ़ने निकला।
d. हाथी के सिर पर धूलि है।
e. काम, क्रोध और लालच से भक्ति नहीं होती।
उत्तर:
a. साधु न भूखा जाय।
b. सुख में करे न कोय
c. बुरा जो देखन मैं चला
d. हाथी के सिर धूरि
e. कामी, क्रोधी, लालची, इनते भक्ति न कोय

प्रश्न 7.
व्याख्या करें-
साई इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।।
उत्तर:
यह दोहा निर्गुण भक्त कवि कबीरदास का है। कवि भगवान से केवल यह प्रार्थना करते हैं कि अपने कुटुंब को संभालने के धन मिल जाये। कवि की प्रार्थना है कि संवयं कभी भी भूखा न रहे और संसार में कोई भी भूखा न रहे। मनुष्य में सदा धन और संपत्ति का लालच रहता है। वह संपत्ति के पीछे दोड़ता रहता है। घन के प्रति मनुष्य में जो लालच है, उसे सीमित और नियंत्रित रखने का उपदेश कवि यहाँ देते हैं।

प्रश्न 8.
ये तत्व किन-किन दोहों से संबंधित हैं?
a. अहं दूर होने से महत्व बढ़ता है।
b. सुख और दुख में स्मरण करना है।
c. अपने को पहचाननेवाला सच्चा ज्ञानी है।
d. जीवन की शांति सादगी में है।
e. समभाव शूर का लक्षण है।
उत्तर:
a. प्रभुता से प्रभु दूरि
b. जो सुख में सुमिरन करै, तो दुःख काहे होय
c. जो दिल खोजौं आपना, मुझ-सा बुरा न कोय
d. लघुता से प्रभुता मिले
e. भक्ति करै कोई सूरमा।, जाति, बरन कुल खोय।।

प्रश्न 9.
‘जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय’- अपना विचार प्रकट करें।
उत्तर:
यह दोहा संत कवि कबीरदास का है। निर्गुण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि कबीरदास कहते हैं कि हमें सुख और दुःख दोनों में ईश्वर का स्मरण समभाव से करना चाहिए। मनुष्य साधारणतः केवल दुःख आते समय ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। सुख में ईश्वर से भक्ति रखनेवाला दुर्लभ होता है। कबीर के अभिप्राय में सुख में ईश्वर का स्मरण करनेवाले को दुःख कभी भी नहीं होता। अंधविश्वास को दूर करके सच्छी भक्ति की ओर मन रखने को कबीर इस दोहा द्वारा उपदेश देते हैं।

प्रश्न 10.
‘कबीरदास की रचनाएँ कालजयी एवं प्रासंगिक हैं’- इस विचार से जुड़े दोहों का संकलन करके प्रस्तुत करें। कबीर के दोहों का आलाप करें।
उत्तर:
काल्हि करै सो आज कर, आज करै सो अब
पल में परलय होयगा, बहुरि करैगा कब।।
पाहन पूजै हरि मिलै, तो मैं पूनँ पहार
ताते या चाकि भलि, पीस खाय संसार।।
मुंड़ मुड़ाए हरि मिलै, सब कोई लेय मुड़ाय।
बार-बार के मुँड़ते, भेड़ न बैकुंड जाय।।
तेरा साई तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास।
कस्तूरी का मिरग ज्यों, फिरि फिरि ढूँदै घास।।
माखी गुड़ में गड़ि रही, पंख रह्यो लिपटाय।
हाथ मलै और सिर धुने, लालच बुरी बलाय।
माया मुई न मन मुआ, मरि मरि गया सरीर
आसा त्रिष्णा न मुई, यौँ कहि गया कबीर।।
पानी बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम।
दोऊ हाथ उलीचिए,यही सयानो माक।।

प्रश्न 11.
कबीरदास किसे ढूंढने चला?
उत्तर:
बुरा देखने को चला।

प्रश्न 12.
अपना दिल खोजने पर कबीर को क्या पता चला?
उत्तर:
कबीर को पता चला कि अपने समान बुरा दूसरा कोई नहीं।

प्रश्न 13.
कौन दुनिया में सबसे बुरा है?
उत्तर:
अपने आपको न सुधारनेवाला।

प्रश्न 14.
चींटी के सिर पर क्या है?
उत्तर:
शक्कर।

प्रश्न 15.
हाथी के सिर पर क्या है?
उत्तर:
धूली।

प्रश्न 16.
लोग कब आश्रय का स्मरण करते हैं?
उत्तर:
दुःख में।

प्रश्न 17.
लोग कब आश्रय का स्मरण नहीं करते हैं?
उत्तर:
सुख में।

प्रश्न 18.
दुख काहे होय – इससे क्या तात्पर्य है?

प्रश्न 19.
‘स्मरण’ शब्द का समानार्थी पद क्या है?
उत्तर:
सुमिरन।

प्रश्न 20.
कौन-कौन भक्त नहीं बनता?
उत्तर:
कामी, क्रोधी और लालची।

प्रश्न 21.
कौन भक्ति कर सकता है?
उत्तर:
जाति, वर्ण, कुल आदि को महत्व न देनेवाला सच्चा शूर अर्थात, समभाव की भावना में जीनेवाला भक्ति कर सकता है।

प्रश्न 22.
‘साई’ शब्द का समानार्थी पद लिखें।
उत्तर:
स्वामी।

प्रश्न 23.
कबीरदास ‘साई’ से क्या चाहते हैं?
उत्तर:
चाहते हैं कि उनको साई से इतना मिले जिससे उनका कुटुंब चला सकें। वे यह भी चाहते हैं कि कोई भी भूखा न रहे। दूसरे शब्दों में वह जीवन में शांती देनेवाली उदार मनोभावना साई से चाहते हैं।

Kerala Plus One दोहे Important Questions and Answers

सूचनाः

निम्नलिखित दोहा पढ़िये और प्रश्न 1 एवं 2 का उत्तर लिखिए।

लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि।
चींटी ले शक्कर चली, हाथी के सिर धूरि।।

प्रश्न 1
‘धूली’ शब्द का समानार्थी शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए। (चींटी, हाथी, धूरि, दूरि)
उत्तर:
धूरि

प्रश्न 2.
इस दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास निर्गुण भक्तिशाखा के ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रसिद्ध कवि है। मानव-प्रेम, सामाजिक बोध आदि को वह प्रमुखता देते थे।

कबीरदास प्रस्तुत दोहे में कहते हैं कि लघुता से ही हमें प्रभुता मिलेंगे और जहाँ प्रभुता है वहाँ से अहं का भाव दूर होता है। अर्थात सादगी से ही जीवन सफल होगा। उदाहरण केलिए कबीरदास कहते हैं कि चींटी छोटे होने पर भी शक्कर लेकर चलते हैं। बड़े हाथी के सिर में अक्सर धूल ही होते हैं। शक्ति, बड़प्पन, कायबल आदि से नहीं बल्की व्यवहार के कारण ही एक व्यक्ति में उन्नति और अवनति होते हैं।

सूचनाः

निम्नलिखित दोहा पढ़िये और 3 एवं 4 के उत्तर लिखिए।
कामी क्रोधी लालची, इनते भक्ति न होय।
भक्ति करै कोई सुरमा, जाति बरन कुल होय।।

प्रश्न 3.
‘वर्ण’ शब्द का समानार्थी शब्द दोहे से ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
बरन

प्रश्न 4.
इस दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास प्रस्तुत दोहे से भेद-भावों को छोड़ने केलिए आह्वान करते हैं। भक्तकाल के निर्गुण ज्ञानाश्रयी शाखा के सर्वश्रेष्ट कवि है कबीरदास। उन्होंने अपने समय समाज में प्रचलित सभी धर्मी की बुराइओं का खंडण किया। काम, क्रोध, लालच आदि से भक्ति नहीं होते हैं। भक्ति होने केलिए वीरों को जाति, वर्ण, कुल आदि विचार छोड़ना चाहिए। जाति, वर्ण, कुल आदि में सोचनेवाले लोगों में काम, क्रोध, लालच आदि पैदा होते हैं। इसलिए असली वीरों को यह बातों को छोड़कर खुले मन से व्यवहार करना चाहिए।

सूचनाः

निम्नलिखित दोहा पढ़िए और 5 एवं 6 तक के उत्तर लिखिए।
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय।

प्रश्न 5.
‘स्मरण’ शब्द का समानार्थी शब्द दोहे से ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
सुमिरन

प्रश्न 6.
इस दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
भावार्थ:
कबीरदास ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर! आप हमें इतना धन दीजिए कि जिससे अपने कुटुंब को हम संरक्षण कर सकें। कबीरदास यह प्रार्थना भी करते हैं कि हे भगवान! आपका आशीर्वाद हो कि साधु लोग भी भूखा न रह जायें और मैं भी भूखा न रहूँ। दूसरों की कष्टताओं पर ध्यान रखने के बारे में कवि यहाँ बताते हैं। धनार्जन के पीछे दौड़नेवालों की आलोचना कवि यहाँ पर करते हैं।

सूचनाः

निम्नलिखित दोहा पढ़िये और प्रश्न 7 से 8 के उत्तर लिखिए।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजौं आपना, मुझसा बुरा न कोय।।

प्रश्न 7.
‘कोई’ शब्द के लिए दोहे में प्रयुक्त शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखिए। (खोजौं, देखन, आपना, कोय)
उत्तर:
कोय

प्रश्न 8.
दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण भक्तिधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि है। कबीरदास के एक प्रसिद्ध दोहा है। आपकी रचनायें साखी, सबद और रमैनी के नाम से तीन भागों में विभक्त है।

प्रस्तुत दोहे में कबीरदास सामाजिक जीवन में देखनेवाली सच्चाई को दिखाया है। हम दूसरों के बुराई सोचते रहते हैं। लेकिन हम अपने आप पर खोजते ही नहीं। अगर ऐसे करते हैं तो पता चलेगा कि असली बुराई हम में ही है। दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने आपको देखों। समाज में अच्छे और सच्चे जीवन बिताने की आवश्यकता कबीर बताते हैं।

सुचना :

निम्नलिखित दोहा पढ़कर 9 और 10 का उत्तर लिखिए।
साई इतना दीजिए, जामें कुटुम्ब समय।
मैं भी भूखा न रहूँ. साधू न भूखा जाय।।

प्रश्न 9.
‘संभालना’ शब्द का आशय दोहे के किस शब्द से मिलता है?
उत्तर:
समाय

प्रश्न 10.
दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कबीरदास हिन्दी के विख्यात रहस्यवादी कवि है। उन्होंने नीति संबंधी अनेक दोहे लिखा है।

कबीर का परिवार साधु-संतों का है। वे कहते हैं, हे भकवान! मुझे इतना ही दीजिए जिससे मेरा परिवार चल सकें। वे चाहते हैं कि कोई भी भूखा नहीं रह जाए। कबीर की राय में जीवन की शांति सादगी में है।

Plus One Hindi दोहे भावार्थ:

1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजौं आपना, मुझ सा बुरा न कोय।

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 5

भावार्थ:
कवि कहते हैं कि बुरे लोगों को ढूँढते ढूढते वे चले। लेकिन कोई बुरा आदमी नहीं मिला। अंत में उन्होंने अपने दिल में खोज़ा। अर्थात्, अपने बारे में सोचा। तब समझ लिया कि अपने समान बुरा दूसरा कोई नहीं हैं। कवि का मतलब यह है कि दूसरों की बुराईयों पर ध्यान देने के पहले अपने आप को सुधारना ज़रूरी है।

2. लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि।
चींटी ले शक्कर चली, हाथी के सिर धूरि।।

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 6
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 7

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 8

भावार्थ:
कवि कहते हैं कि हम विनम्रता दिखाएँ तो हमें ईश्वरीयत्व मिलेगा। लेकिन हम अहंकार दिखाएँ तो ईश्वर हमसे दूर होगा। उदाहरण के रूप में कवि कहते हैं कि छोटी चींटी उससे बड़ा शक्कर लेकर चलती है। लेकिन बड़ी शरीरवाले हाथी के सिर पर मलिन धूल है। कवि का मतलब हैं कि हम दुसरों से विनय के साथ व्यवहार करें तो ईश्वर सदा हमारे साथ रहेंगे। अहंकार से जियें तो ईश्वर हमें छोड़ देंगे। मूल्यहीन अध्यात्मिकता पर आलोचना करके यहाँ कवि विनम्रता के महत्व के बारे में हमें ज्ञान देते हैं।

3. दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय।

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 9

भावार्थ:
कबीरदास कहते की दुख में हम सब ईश्वर का स्मरण करते हैं। लेकिन सुख के अवसर पर कोई भी ईश्वर का स्समरण नहीं करता। कवि पूछते हैं कि जो लोग सुख में ईश्वर का स्मरण करते हैं तो उनको दुख कैसे होगा? अर्थात् हमेशा ईश्वरस्मरण में रहनेवालों को दुख कभी नहीं होता। यहाँ जीवन में ईश्वर स्मरण की ज़रूरत कवि हमें सिखाते हैं। सच्ची आध्यात्मिकता के मूल्य पर कवि यहाँ पर बल देते हैं।

4. कामी क्रोधी लालची, इनते भक्ति न होय।
भक्ति करै कोई सूरमा, जाति बरन कुल खोय।

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 10

भावार्थ:
कामी, क्रोधी, लालची लोगों में भक्ति नहीं होती। लेकिन, जाति, वर्ण और कुल के परे सभी लोगों से समभाव से व्यवहार करनेवाले शूर के मन में सच्ची भक्ति होती है। भक्ति में हृदय की पवित्रता और समभावना जगानेवाली ये पंक्तियाँ द्वारा कवि मूल्यहीन और कपट धार्मिकता पर यहाँ पर आलोचना करते हैं। (धार्मिकता = മതജീവിതം, आलोचना = വിമർശനം)

5. साई इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।।

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 11

भावार्थ:
कबीरदास ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर! आप हमें इतना धन दीजिए कि जिससे अपने कुटुंब को हम संरक्षण कर सकें। कबीरदास यह प्रार्थना भी करते हैं कि हे भगवान! आपका आशीर्वाद हो कि साधु लोग भी भूखा न रह जायें और मैं भी भूखा न रहूँ। दूसरों की कष्टताओं पर ध्यान रखने के बारे में कवि यहाँ बताते हैं। धनार्जन के पीछे दौड़नेवालों की आलोचना कवि यहाँ पर करते हैं।

दोहे Summary in Malayalam

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 1

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 2

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 3
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 4

दोहे Glossary

Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 12
Plus One Hindi Textbook Answers Unit 2 Chapter 5 दोहे 13